Uttar Pradesh
Gorakhpur में 1971 के ब्लैकआउट की मॉक ड्रिल, नागरिक सुरक्षा की तत्परता की परखी गई
Gorakhpur में गुरुवार (5 दिसंबर) को एक महत्वपूर्ण मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसमें नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय के ब्लैक आउट (प्रकाश प्रतिबंध) को फिर से महसूस कराया। गोरखपुर के तारामंडल क्षेत्र में हुई इस मॉक ड्रिल के दौरान, नागरिक सुरक्षा, इंडियन एयर फोर्स, अग्निशमन विभाग और स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों ने मिलकर युद्ध के हालात में सुरक्षा, बम गिरने पर घायलों का रेस्क्यू और लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए तैयारी की।
शहर के दक्षिणी हिस्से तारामंडल क्षेत्र में इस अभ्यास के दौरान शाम 5 बजे जैसे ही बिजली कट गई, नागरिक सुरक्षा का सायरन गूंज उठा और सुरक्षा विभाग के लोग सड़क पर नजर आने लगे। सायरन के साथ ही अधिकारियों ने लोगों से किसी भी प्रकार की लाइट या रोशनी चालू न रखने की अपील की। इसी दौरान हवाई हमले की आशंका को देखते हुए लड़ाकू विमान आसमान में उड़ते हुए नजर आए, जिससे लोग घबराए हुए थे।
मॉक ड्रिल में नागरिक सुरक्षा के कर्मी, पुलिस, फायर ब्रिगेड और अन्य टीमों ने आपातकालीन परिस्थितियों में होने वाले नुकसान और रेस्क्यू कार्यों का व्यावहारिक प्रदर्शन किया। यह अभ्यास शहर के विभिन्न संवेदनशील इलाकों में नागरिक सुरक्षा की तत्परता को जांचने और सुधारने के लिए था, ताकि वास्तविक स्थिति में लोग सही तरीके से सुरक्षित हो सकें।
कार्यक्रम के दौरान एयर फोर्स ने लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन किया, और नागरिक सुरक्षा के स्वयंसेवकों ने आग बुझाने, घायल लोगों की प्राथमिक चिकित्सा देने, और अन्य आपातकालीन कार्यों का प्रदर्शन किया। इस दौरान आतंकवाद और साइबर सुरक्षा जैसी बढ़ती चुनौतियों पर भी चर्चा की गई।
इस मॉक ड्रिल का आयोजन नागरिक सुरक्षा के 62वें स्थापना दिवस के मौके पर किया गया था, और इसके जरिए लोगों को सुरक्षा के प्रति जागरूक किया गया। यह अभ्यास करीब पांच दशक बाद आयोजित किया गया था, जब 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शहर में वास्तविक ब्लैकआउट किया गया था।
मॉक ड्रिल का समापन शाम 7 बजे हुआ, जब सभी टीमों ने अपने कार्यों की रिपोर्ट नियंत्रण कक्ष में प्रस्तुत की।