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Chennai: गोदी से गिरी थी बेटी, लोगो ने किया मां को खूब ट्रोल, अब ली अपनी जान
सोशल मीडिया पर ‘कुछ भी लिख देने की आजादी’ का कड़वा सच सामने आया है। तमिलनाडु की राजधानी Chennai में एक महिला आईटी प्रोफेशनल ने सिर्फ इसलिए जान दे दी क्योंकि लोग उसे सोशल मीडिया पर ट्रोल कर रहे थे। रम्या (33) पिछले महीने 28 अप्रैल को सात माह की बेटी को अपार्टमेंट की चौथी मंजिल की गैलरी पर स्तनपान करा रही थी। तभी बच्ची फिसलकर पहली मंजिल के छज्जे पर गिर गई। 15 मिनट मशक्कत के बाद लोगों ने उसे बचा लिया था।
इस घटना का एक वीडियो कुछ ही देर में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोग बिना सही घटना जाने मां को जिम्मेदार ठहराते हुए ट्रोल करने लगे थे। यही रम्या के लिए जानलेवा बना। ट्रोलिंग से परेशान होकर दो हफ्ते पहले रम्या पति और दोनों बच्चों (5 साल के बेटे, 7 महीने की बेटी) के साथ मायके कोयंबटूर आई थी। रविवार को रम्या के माता-पिता, पति शादी में गए थे। वे घर लौटे तो रम्या को मृत पाया।
डिप्रेशन में आ गई थी, बचने के लिए मायके गई, वहां भी पीछा नहीं छोड़ा
घटना के बाद से रम्या डिप्रेशन और तनाव से जूझ रही थी। उनका इलाज चल रहा था। स्थानीय चैनल भी लगातार बच्ची को बचाने वाले लोगों को हीरो और मां को लापरवाह बताने में तुले थे। इनसे बचने के लिए आईटी प्रोफेशनल पति अपनी पत्नी को लेकर कोयंबटूर स्थित उनके मायके चले गए थे। लेकिन वहां भी ट्रोलिंग चलती रही और रम्या ने सुसाइड कर लिया।
लोगो का लिखा और बोला हुआ दूसरों के लिए जानलेवा
सोशल मीडिया पर कुछ भी लिख देने वालों और इस दुनिया की बातों को गंभीरता से लेने वालों के लिए यह घटना बहुत बड़ा सबक है। वर्चुअल स्पेस पर बिना सोचे समझे अपमानजनक और आक्रामक टिप्पणी करने का सीधा असर पीड़ित के मन पर पड़ता है। यह आभासी दुनिया लोगों को बेपरवाह और गैर जिम्मेदार बना देती है। किसी भी व्यक्ति को छलनी कर देने वाले शब्द सोशल मीडिया पर लिखकर उस पर लाइक्स और शेयरिंग के नंबर गिनने वाले ऐसे लाखों निर्दयी किरदार रोज न जाने कितने लोगों की जिंदगी में तनाव घोल रहे हैं।
लेकिन हम उन्हें ‘ट्रोलर’ मानकर और नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाते हैं। अंततः इनका दुस्साहस एक मां, एक संवेदनशील महिला और एक परिवार की तबाही का कारण बन जाता है। कोई जान दे देता है, कोई परेशान होकर जान ले लेता है, तो कोई डिप्रेशन में चला जाता है। इसलिए ऐसे तत्वों को पहले कदम पर ही पहचानकर इनसे कानूनी तरीके के निपटना चाहिए। ऐसी स्थिति में पीड़ित साइबर क्राइम सेल को फोन करे।
पुलिस में ऑनलाइन ही शिकायत भेज दें। सोशल मीडिया कंपनियों को भी ऐसे जानलेवा कंटेंट पर आपरधिक भागीदार करार देना चाहिए। हमें अपने परिवार, बच्चों व शुभचिंतकों को भी समझाना होगा कि उन्हें सोशल मीडिया कंटेंट को गंभीरता से लेने की जरूरत ही नहीं है। जो माध्यम भावनाएं नहीं समझता, जहां परिचित भी कई बार क्रूर होकर बुलीइंग करने लग जाते हैं, ऐसे माध्यम में अपरिचितों के कमेंट का मोल ही क्या है? हमें सोशल मीडिया के उपयोग में संयम और इसके असर से सतर्क रहने की जरूरत है।
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एयर इंडिया की Flight में हुई सामने बड़ी लापरवाही, खाने में से निकला ब्लेड
एयर इंडिया की बेंगलुरु सैन फ्रैंसिस्को जाने वाली Flight में बड़ी लापरवाही देखने को मिली है| दरअसल इस फ्लाइट के एक यात्री ने अपने लिए खाना मंगवाया और खाने में बड़ा ब्लेड निकला है | मामला सामने आने के बाद एयर इंडिया ने अपनी गलती स्वीकारी है| एयर इंडिया का कहना है कि ब्लेड फूड प्रोसेसिंग यूनिट का है|
जानकारी के मुताबिक, मैथर्स पॉल नाम के एक यात्री ने एयर इंडिया की इस फ्लाइट में भुने हुए शकरकंद और अंजीर की चाट का ऑर्डर किया था| पैसेंजर खाना खा रहा था कि अचानक मुंह में एक ठोस चीज आई, जब उन्होंने निकाल कर देखा तो वह ब्लेड थी| उन्होंने फौरन उसे थूक दिया |
Flight के खाने की सोशल मीडिया पर शेयर की तस्वीर
पीड़ित यात्री ने इस खाने की तस्वीर एक्स पर शेयर की और लिखा, “एयर इंडिया का खाना चाकू की तरह काट सकता है| इसके भुने हुए शकरकंद और अंजीर की चाट में एक ब्लेड का टुकड़ा था| खाने के साथ ये मुंह में गया तो इसका पता चला| शुक्र है कि कोई नुकसान नहीं हुआ.”
ये कोई पहला मामला नहीं है जब खाने में से कुछ न मिला हो | कई यात्रिओ को खाने के साथ साथ कभी छिपकली, कॉक्रोच, तो कभी बासी खाना परोसा जाता है | और अब तो हद ही हो गई खाने में बलेड निकल गया | वो तो वक्त रहते पैसेंजर ने ब्लेड अपने मुँह से निकला दिया वरना कोई हादसा हो सकता था |
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Bengaluru: छोटी उम्र में किया बड़ा कमाल! दुनिया कर रही इस लड़की को सलाम
जिस उम्र में बच्चे खेलकूद और पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं, उस उम्र में एक भारतीय लड़की ने कमाल कर दिखाया है | उसने विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दरअसल Bengaluru की रहने वाली 12 साल की कैना खरे के नाम फिलहाल दुनिया की सबसे कम उम्र की स्कूबा मास्टर गोताखोर बनने का रिकॉर्ड है। कयना खरे ने खुद अपने सफर का वर्णन किया है| जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे 10 साल की उम्र में उनका सफर शुरू हुआ| कयना की सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि देश की बेटियां मौका मिलने पर किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं।
कयना खरे कहती हैं कि ‘मैंने 10 साल की उम्र में स्कूबा डाइविंग शुरू कर दी थी। मैंने पहली बार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्कूबा डाइविंग की कोशिश की और यह एक मजेदार अनुभव था। फिर मैंने बाली, इंडोनेशिया में अपना ओपन वॉटर कोर्स पूरा किया और फिर मैंने थाईलैंड में अपना एडवांस्ड ओपन वॉटर कोर्स किया। मैं आधिकारिक तौर पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक मास्टर गोताखोर बन गया हूं… पानी के भीतर रहना मेरे लिए बहुत शांत और आरामदायक है।’
मेरे माता-पिता ने इस यात्रा में मेरा बहुत समर्थन किया है… मैंने तैराकी और स्कूबा डाइविंग में कुछ पुरस्कार जीते हैं, जिसे मैं एक मजेदार खेल मानती हूं… समुद्र में तमाम खतरों के बावजूद, मैं बिल्कुल भी नहीं डरती,” कयना खरे बताती है की । हाँ भारत में, मैंने मालदीव, बाली और थाईलैंड के साथ-साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्कूबा डाइव की है… अब मैंने दुनिया में सबसे कम उम्र के मास्टर गोताखोर होने का विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया है… आप कभी नहीं जान सकते कि पानी के नीचे क्या होने वाला है और यह सबसे अच्छी बात है… मैं समुद्र विज्ञान पढ़ना चाहती हूं क्योंकि मुझे समुद्र से प्यार है।’
छोटी सी उम्र कुछ कर दिखाना उसका अलग ही मजा है | क्यूंकि छोटी सी उम्र में ही लोक जानने पहचाने लगते है | दुनिया में बहुत से बच्चे है जो अपने टैलेंट के दम पर अपना नाम बना लेते है | ऐसे ही कयना खरे है जिसने छोटी सी उम्र में वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया और अपना नाम दुनिया की सबसे कम उम्र की स्कूबा की मास्टर डाइवर बन कर रिकॉर्ड अपने नाम किया है |
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सब्जियों पर Goverment की रहने वाली है नज़र, अधिक भाव बढ़ने पर देगी दखल
नई दिल्ली देश में बढ़ती खाद्य महंगाई सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है| खाद्य महंगाई पर काबू पाने के लिए Government अब आवश्यक वस्तुओं की सूची में 16 नए नाम जोड़ने पर विचार कर रही है, Government सब्जियों को भी निगरानी सूची में डालने की योजना बना रही है| सरकार आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल वस्तुओं की कीमतों पर नजर रखती है। ट्रैक रखने से उनकी दर में उतार-चढ़ाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है। इसके अलावा, जब कीमतें बहुत अधिक बढ़ जाती हैं, तो सरकार भी दरों को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक सब्जियों की कीमतों में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है। इसलिए, मूल्य निगरानी के लिए सब्जियों को 16 नई संभावित वस्तुओं में शामिल किया जा सकता है। वर्तमान में सरकार की निगरानी सूची में 22 वस्तुएं हैं। 16 और वस्तुएं जुड़ने से इनकी संख्या बढ़कर 38 हो जाएगी।
सरकार आवश्यक वस्तुओं की कीमतों के बदलाव पर नज़र रखती है। इससे सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर उनके प्रभाव का आकलन करने में सक्षम होगी। इन वस्तुओं की थोक और खुदरा कीमतें देश भर के 167 केंद्रों से प्रतिदिन एकत्र की जाती हैं और उनका विश्लेषण किया जाता है। जब आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं, तो सरकार हस्तक्षेप करती है और कीमतों को नियंत्रित करती है।
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