Haryana
High Court ने नगर निगम को ठहराया जिम्मेदार, पेड़ गिरने से मृत व्यक्ति के परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश
पंजाब एवं हरियाणा High Court ने पांच साल पहले पेड़ गिरने से ऑटो-रिक्शा चालक की मौत के मामले में नगर निगम को लापरवाही का दोषी ठहराया है। कोर्ट ने मृतक नरेश कुमार की विधवा और बच्चों को 4 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया।
क्या है मामला?
11 जुलाई 2019 को 53 वर्षीय ऑटो-रिक्शा चालक नरेश कुमार चंडीगढ़ के सेक्टर-37 स्थित सरकारी स्कूल के बाहर बच्चों को लाने-ले जाने के लिए खड़ा था। दोपहर के समय अचानक एक पेड़ उसके ऑटो पर गिर पड़ा। इस हादसे में नरेश कुमार के सिर पर गंभीर चोटें आईं। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हालत बिगड़ने पर पीजीआईएमईआर रेफर किया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
नगर निगम की लापरवाही
हाई कोर्ट ने पाया कि पेड़ की नियमित देखभाल और खतरनाक शाखाओं की छंटाई नहीं की गई थी। कोर्ट ने नगर निगम की इस लापरवाही को हादसे का मुख्य कारण माना। जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि यह निगम की जिम्मेदारी थी कि वह सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
मुआवजा देने का आदेश
हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि नगर निगम 4 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा दो महीने के भीतर मृतक की पत्नी उषा और बच्चों को दे। यदि यह राशि समय पर नहीं दी जाती है, तो याचिकाकर्ता को ब्याज के साथ राशि मिलने का अधिकार होगा। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि अंतिम मुआवजा तय होने पर अंतरिम राशि उसमें से समायोजित की जाएगी।
25 लाख रुपये की मुआवजे की मांग
मृतक की पत्नी और बच्चों ने इस घटना के लिए नगर निगम की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए 25 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी। कोर्ट ने फिलहाल 4 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा तय किया है, लेकिन अंतिम मुआवजा राशि की सुनवाई अभी बाकी है।
यह घटना क्यों महत्वपूर्ण है?
यह मामला नगर निगमों और प्रशासनिक संस्थानों की जिम्मेदारियों की ओर ध्यान आकर्षित करता है। सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ों की देखरेख में लापरवाही से जान-माल का नुकसान होता है। हाई कोर्ट के इस फैसले ने लापरवाही से होने वाली मौतों को गंभीरता से लेने की मिसाल कायम की है।