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Uttar Pradesh

BJP कर्यकर्ता ने लड़की से की बदसलूकी, Train में जमकर हुआ हंगामा , PM ने झंडी दिखाकर किया था रवाना

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शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरठ से लखनऊ जाने वाली वंदे भारत Train की शुरुआत की। पहले ही दिन Train में कुछ लोगों ने यूट्यूब वीडियो बनाने वाली एक लड़की के साथ बुरा व्यवहार किया। इससे काफी शोर-शराबा हुआ। सुरक्षाकर्मियों को स्थिति को नियंत्रित करने में मदद करनी पड़ी। मेरठ स्टेशन से Train के रवाना होने के ठीक बाद यह घटना हुई। लड़की ने बताया कि वह दिल्ली के जागृति विहार में रहती है और वह भाजपा नामक एक समूह का हिस्सा है। वह स्किल इंडिया नामक एक परियोजना के लिए वीडियो बनाती है। उसने बताया कि वह ज्यादा लंबी नहीं है और उसे धक्का दिया गया और उसके भाई को थप्पड़ भी मारे गए।

किसी ने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें मेरठ से लखनऊ जा रही वंदे भारत नामक ट्रेन में एक लड़की के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है। लोगों का कहना है कि भाजपा नामक एक समूह के कुछ कार्यकर्ता अच्छे नहीं थे और उन्होंने मारपीट की। रेलवे पुलिस इस मामले में कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है। साथ ही, आज पीएम मोदी ने ट्रेन का उद्घाटन किया।

लड़की के भाई ने बताया कि ट्रेन में मौजूद पुलिस भाजपा नेता की मदद कर रही थी। उन्होंने कहा कि उनकी बहन के साथ बुरा व्यवहार किया गया। ट्रेन स्टाफ ने दोनों पक्षों से बात करने की कोशिश की। ट्रेन में वरिष्ठ ट्रेन अधिकारी भी थे, और ऐसा लगता है कि आरपीएफ इस बारे में रिपोर्ट लिखेगी। पहले तो ऐसा लग रहा था कि रेलवे ने वंदे भारत ट्रेन को खोलने में मदद के लिए कुछ यूट्यूब स्टार को बुलाया था। वहां एक युवक और एक लड़की थे, और वे ट्रेन में वीडियो बना रहे थे। जब वे ट्रेन की एक बोगी में गए, तो वहां कुछ भाजपा कार्यकर्ता बैठे थे।

एक कार्यकर्ता ने एक लड़की से कहा, “तुम कितने वीडियो बनाओगे?” जब उसने ऐसा कहा, तो लड़की के दोस्त नाराज हो गए और उससे कहा कि उसे ऐसा नहीं कहना चाहिए। फिर, भाजपा के एक कार्यकर्ता ने गुस्से में आकर एक लड़के को मारा।

कल मेरठ से लखनऊ के लिए एक नई ट्रेन शुरू होगी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने दोपहर 12:30 बजे एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान झंडा लहराकर ट्रेन को शुरू करने में मदद की। राज्यपाल सुश्री आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ और रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जैसे कुछ महत्वपूर्ण लोग भी इस कार्यक्रम में ऑनलाइन शामिल हुए।

वहीं, उद्घाटन समारोह में रेलवे के प्रमुख नेता मौजूद थे। कार्यक्रम सुबह 11 बजे शुरू हुआ और इस दौरान बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम पेश किए। चार अलग-अलग स्कूलों के 200 बच्चों और शहर के 300 महत्वपूर्ण मेहमानों को ट्रेन में मुफ्त सफर करने का मौका मिला। बच्चों ने यह भी जाना कि वंदे भारत ट्रेन कैसे काम करती है, जिसमें नवीनतम तकनीक है। रेलवे ने दर्शन अकादमी, दीवान पब्लिक स्कूल और ऋषभ अकादमी समेत चार स्कूलों में वंदे भारत ट्रेन को लेकर लेखन और कला प्रतियोगिता आयोजित की।

प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को ट्रेन में सफर करने का मौका दिया गया। स्कूली बच्चे हापुड़ नामक स्थान पर फास्ट ट्रेन से जाएंगे और उसके बाद बसें उन्हें वापस स्कूल ले जाएंगी। 1 सितंबर से अगर आप लखनऊ से मेरठ तक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में सफर करना चाहते हैं तो आपको कुछ पैसे खर्च करने होंगे। अगर आप रेगुलर चेयर कार में बैठते हैं तो आपको 1300 रुपये देने होंगे। अगर आप फैंसी एग्जीक्यूटिव चेयर कार चुनते हैं तो आपको 2365 रुपये देने होंगे। लखनऊ से मेरठ तक जाने में इस ट्रेन को 7 घंटे 15 मिनट का समय लगेगा। अन्य ट्रेनें थोड़ा ज़्यादा समय लेती हैं: राज्यरानी एक्सप्रेस 8 घंटे और 5 मिनट लेती है, और नौचंदी एक्सप्रेस 9 घंटे और 20 मिनट लेती है। इसके अलावा, वंदे भारत एक्सप्रेस नामक एक ट्रेन भी है जो मेरठ जाती है!

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वाराणसी कोर्ट से Akhilesh Yadav और असदुद्दीन ओवैसी को मिली बड़ी राहत, ज्ञानवापी मामले में हुई थी याचका दर्ज़

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Akhilesh Yadav और असदुद्दीन ओवैसी जैसे दो महत्वपूर्ण नेताओं को वाराणसी की एक अदालत से अच्छी खबर मिली। अदालत ने फैसला सुनाया कि ज्ञानवापी नामक स्थान पर पाए गए शिवलिंग नामक एक विशेष पत्थर के बारे में उन्होंने जो कुछ कहा, वह न तो मतलबी था और न ही आहत करने वाला। इसलिए, अदालत ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया और इस बारे में शिकायत स्वीकार नहीं की। पिछली अदालत ने भी यही बात कही थी।

हरिशंकर पांडे नामक व्यक्ति ने अदालत से अखिलेश यादव और ओवैसी जैसे कुछ नेताओं की जांच करने का अनुरोध किया, क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने ज्ञानवापी नामक स्थान पर पाए गए शिवलिंग नामक एक विशेष पत्थर के बारे में घटिया बातें कही हैं। वह चाहते थे कि अदालत कहे कि उन नेताओं ने नफरत भरी बातें करके कुछ गलत किया है। इस पर विनोद कुमार नामक न्यायाधीश ने गौर किया, लेकिन अंत में न्यायाधीश ने हरिशंकर के अनुरोध पर कोई कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया।

हरिशंकर पांडे नाम का एक व्यक्ति किसी चीज़ के लिए मदद मांगने के लिए एक न्यायाधीश के पास गया, लेकिन न्यायाधीश ने 14 फरवरी, 2023 को मना कर दिया। फिर, हरिशंकर ने न्यायाधीश से इस बारे में फिर से सोचने के लिए कहा, लेकिन न्यायाधीश ने फैसला किया कि वह ऐसा भी नहीं कर सकता।

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तेज रफ्तार रोडवेज बस ने पीआरवी Police वाहन को जोरदार मारी टक्कर, एक की हुई मौत

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कल रात महोबा पर एक तेज रफ्तार बस ने पुलिस की गाड़ी को टक्कर मार दी। दुखद बात यह है कि कार में सवार एक Police अधिकारी की मौत हो गई, जबकि दो अन्य बुरी तरह घायल हो गए। बस ने Police की गाड़ी को टक्कर मारने के बाद, एक पैदल यात्री को भी कुचल दिया, जिसकी बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। जब पुलिस को इस दुर्घटना के बारे में पता चला, तो वे तुरंत मदद के लिए पहुंचे। उन्होंने घायल Police अधिकारियों को उनकी कार से बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत की और उन्हें एम्बुलेंस में अस्पताल पहुंचाया।

एक बहुत ही भयानक कार दुर्घटना हुई क्योंकि एक बस बहुत तेज गति से जा रही थी। बस पुलिस की गाड़ी से टकरा गई। पुलिस की गाड़ी को हेड कांस्टेबल अब्दुल हक नाम का व्यक्ति चला रहा था, जो दो अन्य पुलिस अधिकारियों, हेड कांस्टेबल बेचन लाल और कांस्टेबल सुभाष चंद्र के साथ आपातकालीन ड्यूटी पर काम कर रहा था। वे लोगों की मदद करने के लिए जा रहे थे, तभी महोबा की ओर से आ रही बस ने चंद्रावल रोड पर उनकी पुलिस की गाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी।

दुर्घटना के बाद, बस चालक तेजी से भाग गया। आस-पास के लोगों का कहना है कि जब बस परमानंद तिराहा नामक स्थान पर पहुंची, तो उसने एक पैदल यात्री को टक्कर मार दी और उसे चोट लगी और खून बह रहा था। दुर्घटना के बाद चालक ने बस को गैरेज में खड़ा कर दिया और भाग गया। जब पुलिस को पता चला कि उनकी गाड़ी बस से टकरा गई है, तो कई अधिकारी और स्थानीय लोग मदद के लिए आए। उन्होंने घायल पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत की, जो अपनी गाड़ी के अंदर फंसे हुए थे और खून से लथपथ थे।

आपातकालीन चिकित्सक डॉ. रोहित सोनकर ने बताया कि सुभाष चंद्र नामक एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई है। एक अन्य व्यक्ति, जो एक अजनबी था, भी मदद लेने के दौरान मर गया। दो अन्य पुलिस अधिकारी अब्दुल हक और बेचन लाल अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। जब पुलिस को सुभाष की मौत के बारे में पता चला, तो उनके वरिष्ठ अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। दोनों शव अब शवगृह नामक एक विशेष स्थान पर हैं और सुभाष के परिवार को बताया गया है कि क्या हुआ था।

पुलिस अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अजनबी कौन था। एक दुर्घटना हुई जिसमें एक कार जिसके बारे में कोई नहीं जानता था, पुलिस की गाड़ी से टकरा गई। कुछ लोग घायल हो गए और उन्हें अस्पताल जाना पड़ा, लेकिन दुख की बात है कि एक पुलिस अधिकारी बच नहीं पाया। उन्हें पता चल गया कि वह कौन सी कार थी, और अब वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या हुआ था, तथा यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उचित कार्रवाई की जाए।

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Supreme Court ने ‘बुलडोजर कार्रवाई’ पर लगाई रोक, मायावती बोलीं- ‘विध्वंस कानून के राज का प्रतीक नहीं’

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Supreme Court ने कहा है कि लोग बिना अनुमति के इमारतों को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उन्होंने यह नियम इसलिए बनाया क्योंकि कुछ लोग इस बात से चिंतित थे। कोर्ट के इस फैसले का मतलब है कि 1 अक्टूबर तक देश में कहीं भी बिना अनुमति के इमारतों को नहीं गिराया जा सकता, जब तक कि वे सार्वजनिक सड़कों, ट्रेनों या जल क्षेत्रों के रास्ते में न हों।

मायावती ने भी इस फैसले के बारे में अपने विचार साझा किए हैं। मायावती ने कहा कि इमारतों को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल करना कानून का पालन करने का सही तरीका नहीं है और यह थोड़ा डरावना है कि ऐसा कितनी बार हो रहा है। उनका मानना ​​है कि जब लोग इससे सहमत नहीं होते हैं, तो सरकार को स्पष्ट नियम बनाकर मदद करनी चाहिए जिसका देश में हर कोई पालन कर सके, लेकिन उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है। बसपा के नेता कह रहे हैं कि जब सरकार इमारतों को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल करती है, तो सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय, केंद्र सरकार को अपना काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर कोई संविधान में लिखे नियमों और कानूनों का पालन करे। केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि वे यह काम सही तरीक़े से कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील से कहा कि उन्हें बुलडोज़र को हीरो की तरह पेश नहीं करना चाहिए। वकील ने कहा कि कुछ लोग बुलडोज़र को बहुत महत्वपूर्ण दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर बुलडोज़र को किसी मंदिर, गुरुद्वारे या मस्जिद को गिराना है जो सड़क या ट्रेन की पटरी के रास्ते में है, तो यह ठीक है। लेकिन किसी अन्य कारण से, वे इससे सहमत नहीं होंगे।

सॉलिसिटर जनरल (एसजी) इस फ़ैसले से सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में अलग-अलग जगहों पर चेतावनी दी गई थी, और वे देश में हर किसी को इस नियम का पालन करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। तब, जस्टिस गवई ने जवाब दिया कि वे संविधान के एक विशेष भाग के कारण यह फ़ैसला कर रहे हैं। उन्होंने एसजी से पूछा कि वे दो हफ़्ते के लिए इस पर रोक क्यों नहीं लगा सकते।

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