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पतंजलि टूथपेस्ट में मांसाहारी सामग्री होने का आरोप

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 दिल्ली उच्च न्यायालय ने दवाओं में शाकाहारी और मांसाहारी सामग्री निर्धारित करने के लिए आयुर्वेद पर कानूनी सलाहकार बोर्ड द्वारा गठित एक समिति को 10 सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने को कहा है। हाई कोर्ट का यह आदेश पतंजलि के दंत उत्पादों में मांसाहारी सामग्री के ‘अवैध इस्तेमाल’ के आरोप पर आया है.

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि समिति का गठन उन मानदंडों को निर्धारित करने के लिए किया गया था जिनके द्वारा दवाओं के उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल को ‘शाकाहारी, मांसाहारी या अन्य श्रेणियों’ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। कोर्ट ने अपने हालिया आदेश में कहा है कि उम्मीद है कि गठित समिति आज से 10 हफ्ते के भीतर अपनी सिफारिशें देगी.

अदालत का आदेश वकील यतिन शर्मा की याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने ‘हरे बिंदु’ के साथ ‘दिव्य मंजन’ बेचकर ग्राहकों को गुमराह करने के लिए पतंजलि के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की मांग थी कि पतंजलि के उत्पाद में मांसाहारी तत्व होते हैं, इसलिए उन्होंने इस पर ‘लाल निशान’ लगाने का निर्देश देने की भी मांग की थी.

दवाओं में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल को ‘शाकाहारी, मांसाहारी या अन्य श्रेणियों’ में वर्गीकृत किया जा सकता है, क्योंकि ऐसी व्याख्या विभिन्न धार्मिक, नैतिक और क्षेत्रीय विचारों पर निर्भर करती है|

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