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Uttar Pradesh

Kannauj में शादी से इनकार करने पर मेडिकल छात्रा की हत्या, पुलिस की लापरवाही उजागर

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यूपी के Kannauj जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां शादी से इनकार करने पर एक युवक ने मेडिकल की पढ़ाई कर रही छात्रा को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। परिजनों ने पहले ही युवक की हरकतों की शिकायत पुलिस से की थी, लेकिन समय पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के चलते इस घटना को अंजाम दिया गया।

मेडिकल छात्रा पर शादी का दबाव

छिबरामऊ कोतवाली क्षेत्र के पालपुर गांव की रहने वाली रिंकी फर्रुखाबाद के एक कॉलेज में एएनएम (सहायक नर्सिंग मिडवाइफरी) की छात्रा थी। गांव का एक युवक काफी समय से उस पर शादी का दबाव बना रहा था। छात्रा के परिवार ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी थी, जिससे नाराज युवक ने पहले भी उसे धमकियां दी थीं।

परिजनों के मुताबिक, करीब पंद्रह दिन पहले आरोपी ने छात्रा के साथ मारपीट की थी। परिजनों ने इस घटना की शिकायत पुलिस से की, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। आरोपी की धमकियों से सहमी छात्रा ने कुछ दिन स्कूल जाना भी बंद कर दिया था।

स्कार्पियो से कुचलकर हत्या

12 नवंबर को जब रिंकी स्कूल जा रही थी, तभी गांव के पास सड़क पर एक तेज रफ्तार स्कार्पियो ने उसे कुचल दिया। यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। गंभीर रूप से घायल छात्रा को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन शुक्रवार को उसकी मौत हो गई।

पुलिस की लापरवाही और परिजनों का गुस्सा

छात्रा के पिता रामनरेश ने मैनपुरी के कुडरा गांव निवासी अरुण कुमार उर्फ ब्रजेश और पालपुर के रामऔतार और राहुल के खिलाफ तहरीर दी है। परिजनों का आरोप है कि अगर पुलिस ने पहले ही आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की होती, तो उनकी बेटी आज जिंदा होती।

Kannauj एसपी अमित कुमार आनंद ने इस घटना को गंभीरता से लिया और प्रारंभिक जांच में थानाध्यक्ष छिबरामऊ सचिन कुमार समेत तीन पुलिसकर्मियों को लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया।

पुलिस का बयान और आगे की कार्रवाई

कोतवाल सचिन कुमार सिंह ने बताया कि मृतका का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और तहरीर मिलने पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

न्याय की मांग

यह घटना पुलिस प्रशासन की लापरवाही और युवाओं में बढ़ती असहिष्णुता का चिंताजनक उदाहरण है। मृतका के परिजन अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन यह घटना प्रशासन की जिम्मेदारी और समाज की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

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Google Map की गलती से फिर हुआ हादसा, बरेली में कार नहर में गिरी

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उत्तर प्रदेश के बरेली में Google Map का इस्तेमाल करते हुए एक और हादसा हुआ। इज्जतनगर थाना क्षेत्र में पीलीभीत रोड पर एक टाटा टियागो कार गूगल मैप के निर्देशों का पालन करते हुए कलापुर नहर में गिर गई। कार में तीन युवक सवार थे। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं और जेसीबी की मदद से कार को नहर से बाहर निकाला गया।

गूगल मैप के निर्देशों पर भरोसा बना हादसे की वजह

औरैया निवासी दिव्यांशु अपने दोस्तों के साथ हरियाणा नंबर प्लेट वाली कार में पीलीभीत जा रहे थे। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान गूगल मैप का सहारा लिया। कलापुर नहर के पास बरकापुर तिराहे पर सड़क का कटान था, जिसे समय पर देख नहीं पाए, और कार नहर में पलट गई। गनीमत रही कि तीनों को कोई चोट नहीं आई। बाद में क्रेन की मदद से कार को बाहर निकाला गया।

एसपी सिटी ने दी जानकारी

एसपी सिटी मानुष पारिक ने बताया कि मंगलवार सुबह कानपुर से पीलीभीत जा रहे तीन लोग गूगल मैप के निर्देशों का पालन करते हुए गलत रास्ते पर चले गए, जिससे उनकी कार नहर में गिर गई। राहत की बात यह रही कि सभी सुरक्षित हैं, और कार को नहर से बाहर निकाल लिया गया है।

गूगल मैप के कारण पहले भी हुआ है हादसा

गौरतलब है कि यह पहली घटना नहीं है। 24 नवंबर को भी बरेली में गूगल मैप पर गलत रास्ता दिखाए जाने के कारण एक कार पुल से नीचे गिर गई थी। इस दर्दनाक हादसे में तीन युवकों की जान चली गई थी। बदायूं के दातागंज से बरेली के फरीदपुर जाते समय यह घटना हुई। अधूरे पुल के कारण कार 20 फीट नीचे जा गिरी। जांच में सामने आया कि इस मामले में पीडब्ल्यूडी की गंभीर लापरवाही थी।

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Agra: रेलवे स्टेशन पर मिली लावारिस नवजात, महिला सिपाही बनी ममता की मिसाल

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मां की ममता वह करुणा है जो पत्थर को भी पिघला देती है। लेकिन कभी-कभी मानवता का ऐसा दृश्य सामने आता है, जो इस ममता पर सवाल खड़े कर देता है। Agra कैंट रेलवे स्टेशन पर रविवार शाम को ऐसा ही एक हृदयविदारक मामला सामने आया, जब एक नवजात बच्ची को उसकी मां फर्श पर छोड़कर चली गई।

नवजात बच्ची वेटिंग रूम में मिली

रविवार शाम को आगरा कैंट रेलवे स्टेशन के सेकंड क्लास वेटिंग रूम में बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। यात्रियों ने तुरंत आरपीएफ को सूचित किया। दो महिला सिपाहियों ने नवजात को गर्म कपड़े में लपेटा और तत्काल इलाज के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज भेजा।

बच्ची की हालत नाजुक

चिकित्सकों ने बच्ची को एनआईसीयू में भर्ती किया। एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष, डॉ. नीरज यादव ने बताया कि बच्ची को रक्त संक्रमण और ठंड लगने के कारण बुखार है। नाल काटी नहीं गई थी और वह गंदगी में पड़ी रही, जिससे संक्रमण हुआ। डॉक्टरों ने उसे 48 घंटे की निगरानी में रखा है।

वॉशरूम में पड़ी मिली नवजात

आरपीएफ इंस्पेक्टर सुशील कुमार झा ने बताया कि रविवार शाम 5 बजे स्लीपर क्लास वेटिंग रूम के वॉशरूम में बच्ची के होने की सूचना मिली। सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है, लेकिन वॉशरूम कैमरे की सीमा में नहीं आता। यह स्पष्ट नहीं है कि बच्ची को कौन छोड़कर गया। वॉशरूम में प्रसव होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं।

लोग अपनाने को तैयार

बाल कल्याण समिति, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, और स्थानीय पुलिस को मामले की जानकारी दी गई है। बच्ची की देखभाल वर्तमान में आरपीएफ की महिला सिपाही गीता कश्यप कर रही हैं। अस्पताल में बच्ची की खबर फैलने के बाद, कई महिलाएं उसे गोद लेने की इच्छा जता रही हैं और प्रार्थना पत्र भी दे चुकी हैं।

यह घटना मानवता और ममता पर एक गहरा सवाल छोड़ती है, लेकिन साथ ही, समाज के उन संवेदनशील लोगों की उपस्थिति भी दिखाती है, जो ऐसे बच्चों को अपनाने के लिए तैयार हैं।

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Badaun की जामा मस्जिद शम्सी को लेकर आज कोर्ट में अहम सुनवाई, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

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Badaun की जामा मस्जिद शम्सी बनाम नीलकंठ महादेव मामले में आज जिला कोर्ट में सुनवाई होगी। हिंदू नेता मुकेश पटेल ने 2022 में दावा किया था कि इस मस्जिद को नीलकंठ महादेव मंदिर तोड़कर बनाया गया है। आज कोर्ट यह तय करेगा कि यह मामला सुनवाई के योग्य है या नहीं।

फास्ट ट्रैक कोर्ट में होने वाली सुनवाई में पहले मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें पेश करेगा। इससे पहले सरकारी वकील और पुरातत्व विभाग ने अपनी बहस पूरी कर ली है। पुरातत्व विभाग ने इस स्थल को अपनी संपत्ति बताया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

मस्जिद या मंदिर: दोनों पक्षों की दलीलें
हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद से पहले वहां नीलकंठ महादेव मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि इस मस्जिद का निर्माण सूफी संत शमशुद्दीन अल्तमश ने करवाया था और यहां कभी भी मंदिर होने के कोई सबूत नहीं मिले।

मामले में प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट 1991 का भी हवाला दिया जा रहा है। इस एक्ट के तहत धार्मिक स्थलों की स्थिति को 1947 की स्थिति के अनुसार बनाए रखने का प्रावधान है।

संभल की मस्जिद पर भी विवाद
इससे पहले यूपी के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर विवाद बढ़ा था। 24 नवंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। सपा ने इसे सरकार की साजिश बताया है।आज की सुनवाई के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इससे मामले की आगे की दिशा तय होगी।

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