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जानिए दीपावली में वाले दिन आखिर कितने जलाने चाहिए दीये ? और क्यों जलाने चाहिए दिये |

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दीपावली का पूर्व बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है | कुछ दिन पहले से ही दीपवले की तैयारी शुरू हो जाती है | दीपावली वाले दिन माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा कि जाती है और रात के वक्त दिये जलाये जाते है | क्या आप जानते है इन दीपक को जलने के पीछे की परंपरा |
माना जाता है की जब भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करने के बाद अयोध्या नगरी पधारे थे तब अयोध्यावासियों उनके स्वागत में अयोध्या नगरी को दीपों से सजा दिया था। उस समय अयोध्या नगरी दीपों के प्रकाश से चमक उठी थी। तभी से दिये जलाने की परंपरा को शुरू किया गए था | और तभी से इसी दिन दीपवाली का पूर्व को मनाया जाने लगा |

दीपवाली वाले दिन जलाए इतने दिये

दीपावली वाले दिन दीपक जलाना शुभ माना जाता है | विषम संख्या में दीपक जलाए जाते है | दीपावली से पहले धनतेरस वाले दिन भी एक दीपक को जलाए जाता है | यह दीपक यम दीपक कहलाता है | इस दीपक को सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में यह दीपक जलाया जाता है।
मान्यता है कि यम देव को दीपदान करने से परिवार में किसी की आकाल मृत्यु नहीं होती है। दिया माटी से बना होना चाहिए और उसमे सरसों का तेल डालकर ही दीप दान करें। दीपदान करने के बाद घर के बाहर किसी भी सदस्य को उस दिन बाहर नहीं जाना चाहिए।

शास्त्रों के अनुसार मुख्य तौर पर 5 दीपक जलाना दीपावली पर अनिवार्य होता है। इनमें से 1 दिया घर के सबसे ऊंचे स्थान पर, दूसरा दिया घर के रसोई घर में, तीसरा दिया पीने के पानी के पास, चौथा पीपल के पैड़ के पास और पांचवा दिया घर के बार मुख्य प्रवेश द्वार पर जिसे यम दीपक भी कहा जाता है।
वैसे तो आप जितने चाहें उतने दीपक जला सकते है | दीपक जलने की कोई सीमा नहीं है परंतु 5 दीपक जलाना अनिवार्य है |

(नोट – यहां दी गई संपूर्ण जानकारी पौराणिक मान्यताओं, शास्त्र मत और आध्यात्म गुरु के मार्गर्दश में दी गई है इसकी सत्यता से संबंधित कोई भी जिम्मेदारी लोकल 18 की नहीं है.)

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कब है तुलसी विवाह? इस दिन तुलसी माता का विवाह करने से मिलेगा लाभ

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कार्तिक मास के शुकल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है. इसके अगले दिन ही तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ किया जाता है. माना जाता है कि जो व्यक्ति तुलसी. विवाह का अनुष्ठान करता है उसे उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना कन्यादान से मिलता है. दरअसल, शालिग्राम भगवान विष्णु का ही अवतार माने जाते हैं. तो आइए जानते हैं कि तुलसी माता का विवाह किन शुभ मुहूर्तों में किया जाए. 

देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास की समाप्ति होती है. इसके बाद तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन किया जाता है. तुलसी विवाह के दिन द्वादशी तिथि 23 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी और समापन 24 नवंबर को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, तुलसी का विवाह इस बार 24 नवंबर को ही होगा. 
इस बार तुलसी विवाह के लिए कई सारे शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. इस दिन तुलसी विवाह का समय शाम 5 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग, सिद्धि योग भी है |
सर्वार्थ सिद्धि योग- पूरे दिन
अमृत सिद्धि योग- सुबह 6 बजकर 51 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 1 मिनट तक
सिद्धि योग- सुबह 9 बजकर 5 मिनट तक 
तुलसी विवाह का आयोजन करना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम के साथ तुलसी का विवाह कराने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उस पर भगवान हरि की विशेष कृपा होती है. तुलसी विवाह को कन्यादान जितना पुण्य कार्य माना जाता है. कहा जाता है कि तुलसी विवाह संपन्न कराने वालों को वैवाहिक सुख प्राप्त होता है.

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अगर आप भी अपनी किस्मत बदलना चाहते है तो शनिवार के दिन करे शनि देव की पूजा

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शनिवार का दिन मतलब भगवान शनि का दिन | हिंदू धर्म में शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित माना जाता है। इस दिन व्रत और शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व है। शनिदेव को प्रसन्न करने से आपकी कुंडली से शनि दोष दूर हो सकता है और आपको परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है।अगर आप भी अपनी किस्मत बदलना चाहते है तो शनिवार के दिन कुछ उपाय करे जिसे आपकी किस्मत बदल सकती है।

  1. शनिवार के दिन व्रत और पूजा करना बहुत लाभकारी माना जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु सलाहकार डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव के अनुसार शनिवार के दिन व्रत करना चाहिए, पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाना चाहिए और शाम के समय तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होंगे और आपको आशीर्वाद देंगे।
  2. जिन लोगों की कुंडली में शनि दोष है या जिनकी कुंडली में साढ़ेसाती है उन्हें शनिवार के दिन बीज मंत्र ऊँ ऐं ह्रीं श्री शनैश्चराय नमः का 108 बार जाप करना चाहिए। ऐसा करने से आप पर शनिदेव की कृपा होगी और शनि दोष और साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी। इस मंत्र का जाप आप मंदिर में जाकर या घर पर भी कर सकते हैं।
  3. शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करने के साथ-साथ कौओं और काले कुत्तों को रोटी खिलाने से आपकी किस्मत चमक सकती है। काले कुत्ते को शनिदेव का वाहन माना जाता है। शनिवार के दिन अगर आपको काला कुत्ता दिख जाए तो यह आपके लिए शुभ हो सकता है। इसके अलावा कौओं को खाना खिलाने और उन्हें आशीर्वाद देने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
  4. शनिवार के दिन दान करना भी बहुत लाभकारी माना जाता है। जानकारों के अनुसार इस दिन गरीबों को काला छाता, कंबल, उड़द, शनि चालीसा, काले तिल, जूते, चप्पल आदि दान करें। इन चीजों के दान से शनिदेव बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी दुख दूर कर देते हैं। आप अपनी क्षमता के अनुसार दान कर सकते हैं.
  5. शनिवार के दिन शनि रक्षा सतोत्र का पाठ करना भी लाभकारी होता है। इसलिए इस दिन शनि रक्षा स्तोत्र का पाठ करें और शनि देव से साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष से रक्षा के लिए प्रार्थना करें। इससे शनिदेव आपके सभी दुख दूर कर देते हैं। अगर किसी की कुंडली में शनि दोष है तो उसे ये उपाय जरूर करने चाहिए।
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जानिए गोवर्धन पूजा का महत्व, कौनसा समय रहेगा पूजा के लिए सही

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गोवर्धन या अन्नकूट का त्योहार भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस दिन भक्त भगवान श्री कृष्ण के लिए भोग प्रसाद तैयार करते हैं और सच्ची श्रद्धा से भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।


साल 2023 में गोवर्धन पर्व 14 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान को 56 चीजें अर्पित की जाती हैं। यह त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है।


इस त्यौहार का उत्तर भारत में बहुत महत्व है, यह हरियाणा, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा का त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।


इस दिन गाय के गोबर से टीले बनाए जाते हैं और फिर इन पहाड़ियों को फूलों से सजाया जाता है और कुमकुम और अक्षत से पूजा की जाती है।
वहीं कुछ लोग गोवर्धन के इस शुभ दिन पर अपने बैलों और गायों को सजाते हैं और उनकी पूजा करते हैं।

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