Punjab
केंद्र और Punjab सरकार के बीच फिर विवाद, खेती मंडी नीति का मसौदा खारिज
किसानों और कृषि से जुड़े मुद्दों पर केंद्र और Punjab सरकार एक बार फिर आमने-सामने हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए ‘खेती मंडी नीति’ के मसौदे को पूरी तरह से नकारते हुए कहा है कि पंजाब इसे कभी लागू नहीं करेगा। सीएम मान ने इसे खारिज किए गए तीन कृषि कानूनों का नया संस्करण बताया और कहा कि राज्य सरकार जल्द ही केंद्र को इस संबंध में पत्र भेजेगी।
Punjab की मंडी व्यवस्था पर खतरा
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मसौदा पंजाब की मंडी व्यवस्था को समाप्त करने की कोशिश है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने केंद्र पर मंडियों को खत्म करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार आधुनिक मंडियों का निर्माण करना चाहती है, जबकि केंद्र मंडी प्रणाली को कमजोर करने पर तुला हुआ है।
किसानों के सुझावों के आधार पर निर्णय
सीएम भगवंत मान ने किसानों, आढ़तियों और शैलरों की राय लेने के बाद मसौदे को खारिज करने का फैसला लिया। उन्होंने केंद्र सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया और इसे कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने की साजिश बताया।
Punjab सरकार की बैठक और सुझाव
Punjab सरकार ने केंद्र द्वारा 25 दिसंबर को जारी कृषि विपणन नीति के मसौदे पर चर्चा के लिए किसानों, आढ़तियों और शैलरों के साथ बैठक की थी। बैठक में सभी पक्षों ने इस नीति को खारिज कर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि पंजाब सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इस मसौदे को औपचारिक रूप से खारिज करे।
केंद्र से तीन हफ्ते का समय मांगा
Punjab सरकार ने मसौदे पर विस्तृत प्रतिक्रिया देने के लिए केंद्र से तीन हफ्ते का समय मांगा था। केंद्र सरकार ने इस पर 10 जनवरी तक का समय दिया है। हालांकि, पंजाब सरकार और किसान संगठनों का रुख साफ है कि इस नीति को किसी भी सूरत में मंजूर नहीं किया जाएगा।
नए मसौदे पर किसानों की आपत्ति
किसानों और किसान संगठनों का कहना है कि यह मसौदा कॉरपोरेट घरानों को बाजार पर कब्जा करने का मौका देगा और छोटे किसानों के हितों को नुकसान पहुंचाएगा। पंजाब सरकार ने किसानों के समर्थन में केंद्र के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए यह सुनिश्चित किया है कि राज्य की मंडी व्यवस्था और किसानों के हितों को संरक्षित किया जाएगा।