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मंडी में विजिलेंस की रेड से मची अफरा-तफरी, आढ़ती और किसानों में रोष

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पठानकोट : भ्रष्टाचार को लेकर विजिलेंस विभाग की ओर से लगातार नकेल कसी जा रही है। इसी कड़ी के चलते पठानकोट के साथ लगते सरना दाना मंडी व नरोट जैमल सिंह की मंडी में उस समय अफरा तफरी मच गई जब इस दाना मंडी में बीती रात अचानक विजिलेंस ने रेड कर जांच शुरू कर दी। वहीं दूसरी ओर विजिलेंस द्वारा की गई कार्रवाई के चलते दाना मंडी में आढ़ती और किसान इकट्ठे हो गए और उन्होंने रेड को लेकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि वह कई सालों से इस दाना मंडी में आढ़त का काम कर रहे हैं लेकिन यह पहली बार हुआ है कि उनकी दाना मंडी में विजिलेंस द्वारा रेड की गई है। उन्होंने कहा कि रेड से उनमे रोष है क्योंकि कारोबारी इस मंडी में अपनी फसल बेचने से परहेज करेंगे जिसका असर उन पर पड़ेगा। वहीं दूसरी और अभी तक विजिलेंस विभाग के अधिकारियों की ओर से इस पूरे मामले को लेकर कोई भी जानकारी मीडिया के साथ सांझी नहीं की गई।

विभाग के अधिकारियों ने स्टॉक की गणना

बीती रात सरना दाना मंडी में विजिलेंस की ओर से की गई रेड के दौरान विभाग के अधिकारियों की ओर से दाना मंडी में पड़ी धान की बोरियों की जहां गिनती की गई वहीं उन्होंने स्टॉक को मेंटेन करने वाले दस्तावेजों को बारीकी से खंगाला। खासकर उन्होंने इस बात पर ध्यान दिया कि आखिर इस दाना मंडी में धान की कितनी परचेज की गई है क्या कहीं दूसरे राज्यों से धान लाकर तो नहीं इस मंडी में बेचा जा रहा।

फूड सिविल सप्लाई एंड कंज्यूमर अफैयर सचिव के जारी किए निर्देश पर विजिलेंस ने की जांच

उल्लेखनीय है कि धान की प्रचेज में कथित धांधली की सूचना को देखते हुए फूड सिविल सप्लाई और कंज्यूमर अफैयर के सचिव गुरकिरत कृपाल सिंह ने विजिलेंस को मामले की छानबीन के लिए पत्र के माध्यम से कहा था। अधिकारियों का मानना है कि 4.7 लाख मीट्रक टन धान की कथित धांधली प्रचेज हो सकती है इसको अत्यंत गंभीर मानते हुए पत्र में लिखा गया है कि धान की मंडियो में आवाजाही को पैट्रन को देखते हुए ऐसा लगता है कि कुछ गलत हुआ है। दीवाली वाले दिन जबकि छुट्टी होती है और किसानों को भी पता होता है कि दीवाली के चलते स्टाफ, लेबर और आढ़तिया बहुत कम होते हैं ऐसी स्थिति में 4.7 लाख टन धान उस दिन मार्कीट कमेटी के अधिकारियों ने किताबों में दर्ज की। इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि कुछ तत्वों द्वारा धान की रिसाइकल की है और कथित रूप से फेक खरीददारी हुई है। ऐसा बॉर्डर की मंडियो में अधिक हुआ है क्योंकि पत्र में पठानकोट का नाम भी था इसकी के चलते विजिलेंस विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए स्थानीय टीम के माध्यम से इसकी जांच करवाई। अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि उपर से निर्देश आए थे इसलिए जांच कर रहे हैं।

आढ़तियों ने जताया रोष

वहीं विजिलेंस द्वारा की गई कार्रवाई से आढ़तियों में खासी नाराजगी पैदा हो गई और उन्होंने रोष स्वरूप कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि उनके अब तक के इतहास में पहली बार हुआ है कि विजिलेंस ने रेड कर जांच की है। आढ़ती गुरनाम सिंह छीना ने बताया कि वह जब से आढ़त का काम कर रहे हैं यह पहली बार हुआ है कि उनकी मंडी में रात के समय विजिलेंस द्वारा दबिश दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार व्यापारी को खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा कि वह न तो कोई नशा बेच रहे और ना ही गलत तरीके से फसल बेच रहे हैं लेकिन उनको तंग परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो नशा बेच रहे है उनको नकेल नहीं डाली जा रही बल्कि जो कारोबार कर प्रदेश को रेवन्यू दे रहे है उन्हें तंग व परेशान किया जा रहा है।

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2019 में भाजपा को 303 सीटें मिली थी, इस बार जनता ने 18 प्रतिशत जीएसटी लगाकर 240 पर ला दिया – Chadha

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Raghav Chadha ने कहा कि इस बजट से कई लोग नाखुश हैं, जिनमें भाजपा के समर्थक भी शामिल हैं। उनका मानना ​​है कि पिछले 10 सालों से सरकार आम लोगों से टैक्स के जरिए बहुत ज्यादा पैसे ले रही है। चड्ढा का मानना ​​है कि भारत में लोग बहुत सारे टैक्स देते हैं, लेकिन बदले में उन्हें अच्छी सेवाएं नहीं मिलती हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति 10 रुपये कमाता है, तो सरकार उससे करीब 7-8 रुपये टैक्स लेती है, लेकिन उसे अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य या परिवहन नहीं देती है।

चड्ढा सवाल करते हैं कि अगर सरकार बदले में अच्छी सेवाएं नहीं देती है, तो इतना टैक्स क्यों है। राघव चड्ढा ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में क्यों हारी। उन्होंने कहा कि इसकी मुख्य वजह अर्थव्यवस्था, अर्थव्यवस्था और अर्थव्यवस्था है। देश की अर्थव्यवस्था ठीक नहीं चल रही है, खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां बहुत सारे लोग रहते हैं।

यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में भाजपा की सीटें कम हुई हैं। 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार उन्हें जीएसटी नामक टैक्स की वजह से सिर्फ 240 सीटें ही मिलीं। ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था इस समय बहुत खराब है, क्योंकि कीमतें बहुत अधिक हैं, पर्याप्त नौकरियाँ नहीं हैं और किसान कर्ज में डूबे हुए हैं। सरकार ने किसानों को अधिक पैसे कमाने और उनकी फसलों के उचित दाम दिलाने का वादा किया था, लेकिन उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है।

चड्ढा ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में काम करने वाले लोग पहले की तुलना में कम पैसे कमा रहे हैं। 2014 में, एक दिन काम करने वाला व्यक्ति तीन बोरी अरहर दाल खरीद सकता था, लेकिन अब वह केवल 1.5 बोरी ही खरीद सकता है। इसका मतलब है कि कीमतें बढ़ रही हैं और वे कम कमा रहे हैं। इस वजह से, भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ वोटों का नुकसान हुआ।

चुनावों में उनके खराब प्रदर्शन का एक और कारण यह है कि खाद्य पदार्थों की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं। आटा, दूध, चावल और दही जैसी चीज़ें अब अधिक महंगी हो गई हैं। देश में खाद्य पदार्थों की कीमत में नौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। इसका मतलब यह है कि भले ही किसान खाद्य पदार्थ उगा रहे हैं और बेच रहे हैं, लेकिन वे उतना पैसा नहीं कमा रहे हैं जितना उन्हें कमाना चाहिए। तो वह सारा अतिरिक्त पैसा कहाँ जा रहा है?

अर्थव्यवस्था की मदद करने के बारे में उनके पास सरकार के लिए कुछ विचार थे। एक विचार यह सुनिश्चित करना था कि जब कीमतें बढ़ें, तो लोगों द्वारा अर्जित की जा सकने वाली न्यूनतम राशि भी बढ़े। दूसरा विचार यह सुनिश्चित करना था कि किसानों को उनकी फसलों के लिए उचित मूल्य मिले। और अंत में, उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को किसानों को उनकी फसलों के लिए एक निश्चित राशि का भुगतान करने का वादा करना चाहिए, जैसा कि स्वामीनाथन आयोग ने सिफारिश की थी।

उनका चौथा विचार यह था कि संपत्ति बेचने से होने वाले मुनाफे पर कर समान रहना चाहिए, अन्यथा यह रियल एस्टेट उद्योग को नुकसान पहुंचाएगा। इससे लोगों के लिए नए घर खरीदना मुश्किल हो सकता है और बिल्डरों को नुकसान हो सकता है। चड्ढा ने एक उदाहरण देकर इसे समझाया कि कैसे नई कर प्रणाली से रियल एस्टेट में अधिक अवैध धन का उपयोग हो सकता है और अधिक घोटाले हो सकते हैं।

पांचवां सुझाव है कि स्टॉक, म्यूचुअल फंड और बैंक खातों जैसी चीजों में निवेश करके लंबी अवधि के लिए पैसे बचाएं। छठा सुझाव है कि स्टॉक, म्यूचुअल फंड और अन्य वित्तीय विकल्पों जैसी चीजों में निवेश करके भी पैसे बचाएं।

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हथियार के साथ Social Media पर तस्वीर डालने वालो की अब बख्शा नहीं जाएगा

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पंजाब पुलिस Social Media हथियारों के साथ अपनी तस्वीरें पोस्ट करने वालों पर कड़ी नजर रखेगी। पंजाब के वरिष्ठ अधिकारी अपने कर्मचारियों को इस पर ध्यान देने को कह रहे हैं। अगर कोई ऑनलाइन हथियार दिखाते हुए पकड़ा गया तो उससे हथियार रखने की अनुमति छीन ली जाएगी।

हर जिले की पुलिस को इस नियम का पालन करने को कहा गया है। इसके अलावा पुलिस सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले या वीडियो शेयर करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को दंडित करने की तैयारी कर रही है। पुलिस प्रमुख उन अधिकारियों को रोकने के लिए गंभीर हैं जो वर्दी में वीडियो बनाकर ऑनलाइन पोस्ट करते हैं।

सरकार ने सभी पुलिसकर्मियों को ऐसा करना बंद करने और अपने सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट करने को कहा है। अगर कोई कर्मचारी या बॉस कुछ गलत करता है तो आपको तुरंत एसएसपी को बताना चाहिए। वे जांच करेंगे और उन लोगों को दंडित करेंगे जो अपने बॉस द्वारा तय नियमों को तोड़ते रहते हैं। इन कर्मचारियों को वेतन वृद्धि भी नहीं मिल सकती है।

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CM Mann नीति आयोग की Meeting में ना शामिल होने का किया फैसला

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27 जुलाई को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की Meeting में चार राज्यों के शामिल होने से इनकार करने के बाद पंजाब ने भी बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया है|

कांग्रेस शासित तीन राज्य कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश पहले ही नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं. इसके अलावा डीएमके शासित तमिलनाडु भी इस बैठक में शामिल नहीं होगा |

पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी का कहना है कि पंजाब सरकार ने नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. पार्टी भारत की भागीदार है, इसलिए वह गठबंधन के घटक दलों के फैसले के साथ भी है. आप संगठन के महासचिव डॉ. संदीप पाठक ने कहा है कि नीति आयोग की बैठक का कोई मतलब नहीं है. बड़ी-बड़ी बातें होती हैं लेकिन होता कुछ नहीं |

नीति आयोग की बैठक में सिर्फ एक राज्य को पीछे धकेलने और एक राज्य को आगे बढ़ाने पर चर्चा होती है. उन्होंने कहा कि आज केंद्र की मोदी सरकार छोटी मानसिकता से राजनीति कर रही है. हमें सरकार को जगाना होगा. उन्हें आपको बताना होगा कि आप गलत कर रहे हैं।

नरेंद्र मोदी एक विशाल और महान देश के प्रधानमंत्री हैं और इतनी छोटी सोच से राजनीति करेंगे तो देश कैसे आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि मंगलवार को पेश किये गये आम बजट में देश के अधिकतर राज्यों की उपेक्षा की गयी है. ऐसे में देश कैसे आगे बढ़ेगा?

आपको बता दें कि पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकारें हैं, जिनके मुख्यमंत्रियों को नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए पत्र भेजा गया है. वैसे राज्य सरकार की ओर से नीति आयोग में प्रस्ताव जमा किया जायेगा |

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