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क्या 2024 में होकर रहेगा वर्ल्ड वार? 6 बड़ी परमाणु ताकतों ने बना लिया है विनाश का प्लान

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दुनिया के 6 देशों के एटम बम हथियार डिपो से बाहर आ चुके हैं. ये मुल्क दुनिया के सबसे ताकतवर देश हैं. इन देशों के नेताओं ने विनाश का प्लान बना लिया है. ये देश हैं रूस, अमेरिका, चीन, इजराइल, उत्तर कोरिया और ब्रिटेन.

दुनिया की 6 बड़ी परमाणु ताकतों ने नए साल के पहले दिन ही दुनिया के सामने अपने परमाणु प्लान का ऐलान कर दियाा है. ये 6 न्यूक्लियर गॉडफादर अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिए पूरी धरती को परमाणु की रेडियोएक्टिव अग्नि में झोंकने वाले हैं. रूस, अमेरिका , उत्तर कोरिया, इजराइल, चीन और ब्रिटेन… दुनिया के ये 6 देशों के एटम बम हथियार डिपो से बाहर आ चुके हैं. इनमें भी रूस, अमेरिका, उत्तर कोरिया और चीन के परमाणु प्रहारक (स्ट्राइकर) तो निशाना तक साध चुके हैं.

गाजा और यूक्रेन में कभी भी कुछ भी हो सकता है, लेकिन नए साल की शुरुआत से कुछ ही घंटे पहले दुनिया में एक और ऐसी जंग शुरू हो गई है जिसका अंजाम एटम बम से कम नहीं होगा. नए साल की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2023 की कामयाबियां गिना रहे थे. फिर उन्होंने 2024 वाला प्रण लिया और साफ-साफ शब्दों में कहा ताइवान को चीन में मिलाना है. शी जिनपिंग ने साल 2023 के अंतिम और 2024 के पहले संबोधन में चीन के लोगों से वादा किया.

ताइवान पर अड़े जिनपिंग

जिनपिंग ने कहा कि ताइवान चीन का ही हिस्सा है. ताइवान निश्चित रूप से चीन में शामिल होगा. अगर बातचीत से बात नहीं बनी तो बलपूर्वक ताइवान को चीन में मिलाया जाएगा. लेकिन ताइवान पर अंततः बीजिंग का ही नियंत्रण होगा. इधर चीन के विस्तारवादी राष्ट्रपति ने ताइवान को चीन में मिलाने का प्रण लिया. उधर चीन ने फाइटर जेट और युद्धपोत ताइवान स्ट्रेट की तरफ बढ़ गए. हालांकि 2023 में भी चीन कई बार ताइवान स्ट्रेट में अपनी हद से आगे बढ़ चुका है.

लेकिन इस बार नया साल शुरू होते ही जिनपिंग ने जिस तरह ताइवान पर जबर्दस्ती कब्जा करने का वादा किया है उसने तय कर दिया है कि 2024 में एक और युद्ध शुरू होने वाला है और अगर ये युद्ध हुआ तो पहले दिन से ये जंग अमेरिका और चीन की जंग होगी और समंदर एटमी शोलों से भर जाएगा.

ताइवान में 13 जनवरी को राष्ट्रपति चुनाव है. उससे ठीक पहले धमकी देकर चीन ने ताइवान पर सैन्य दबाव बढ़ा दिया है. हालांकि इस बार शी की धमकी को हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि चीन ने पिछले हफ्ते ही नेवी कमांडर जनरल डॉन्ग जुन को नया रक्षा मंत्री बनाया है.चीन के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब नौसेना के किसी अधिकारी को ये पद मिला. सबसे बड़ी बात ये है कि जनरल डॉन्ग जुन ताइवान के लिए बनाई गई थिएटर कमांड और दक्षिण चीन सागर में काम कर चुके हैं. यानी चीन ने रणनीति के तहत रक्षा मंत्री उस अधिकारी को बनाया जो ताइवान के इलाके को अच्छी तरह समझता है.

इसके अलावा जिनपिंग ने कुछ दिन पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की एक विशेष बैठक की. ऐसी बैठक जो 10 साल में सिर्फ 2 बार होती है. इस बैठक में जिनपिंग ने अपनी हाईपॉवर कोर टीम को बुलाया और कहा कि चाहे जो करना पड़े अब समंदर से अमेरिकी वर्चस्व को खत्म करना है.

किम भी कम नहीं

समंदर से अमेरिकी वर्चस्व को खत्म करने का काम चीन ताइवान को रणभूमि बनाकर शुरू करने वाला है लेकिन ये युद्ध शुरू होते दुनिया में एटमी जंग भड़कने का खतरा सबसे ज्यादा होगा क्योंकि ताइवान के साथ अमेरिका है और बाइडेन कह चुके हैं कि अगर चीन हमला करता है तो अमेरिका ताइवान की रक्षा दीवार बनकर खड़ा हो जाएगा.

ताइवान पर तनाव और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ती दुश्मनी का फायदा किम जोंग उन ने उठाया है. नए साल के मौके पर किम जोंग उन ने भी शी जिनपिंग की तरह कोरिया वर्कर पार्टी की खास बैठक बुलाई. इस मीटिंग में किम जोंग उन ने उत्तर कोरियाई सेना के कमांडिंग अफसरों को भी बुलाया.

इसी बैठक में किम जोंग उन ने उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख को आदेश देते हुए कहा कि अगर अमेरिका और दक्षिण कोरिया कोई उकसावे वाली कार्रवाई करें तो वह उन्हें पूरी तरह से तबाह कर दें. किम जोंग उन ने 2024 में एक और परमाणु परीक्षण का लक्ष्य रखा है. अमेरिका को सबसे ज्यादा डर किम से लगता है, क्योंकि एटम बम का रिमोट अपने हाथ में लेकर चलने वाले दुनिया के गिने चुने लोगों में सिर्फ किम जोंग उन ही वो शख्स है जो धमाके से पहले सोचेगा नहीं.

अमेरिका को किम के एटम बम से इसलिए भी डर लगता है क्योंकि अब उत्तर कोरिया के पास ह्वासोंग-18 नाम की वो एटमी मिसाइल है जिसके निशाने पर अमेरिका का हर शहर है. 18 दिसंबर को ही किम जोंग उन ने अपनी सबसे विनाशक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल ह्वासोंग-18 का तीसरा टेस्ट लॉन्च करवाया था. किम जोंग उन अपनी पत्नी और बेटी के साथ अमेरिका को डराने वाली इस एटमी मिसाइल का परीक्षण देखने पहुंचा था.

अमेरिका किम की एटमी सनक से डरा हुआ है क्योंकि पहली बार किम ने नए साल के मौके पर प्योंगयांग में भव्य जश्न का आयोजन करवाया और उत्तर कोरिया की जनता के सामने कई बार अमेरिका को जलाकर खाक कर देने का ऐलान किया. किम जोंग उन भड़के हुए हैं क्योंकि पड़ोसी दक्षिण कोरिया में अमेरिकी सैनिक किम के देश उत्तर कोरिया से अंतिम जंग लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन किम के भड़कने की वजह सिर्फ इतनी नहीं है. किम को खबर ये मिली है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने मिलकर किम जोंग उन को खत्म करने का ऑपरेशन शुरू कर दिया है.

न्यूयॉर्क पोस्ट ने दावा किया है कि दक्षिण कोरिया की सेना अमेरिकी कमांडो के साथ मिलकर उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की हत्या का अभ्यास यानी डिकैपिटेशन ड्रिल कर रही है. साउथ कोरिया की सेना नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की हत्या की तैयारी कर रही है. इसलिए किम ने 31 दिसंबर को अमेरिका और दक्षिण कोरिया को जलाकर खाक कर देने का आदेश दे दिया. पर नए साल पर परमाणु धमकी देने में ना जिनपिंग पीछे रहे. ना किम और ना पुतिन. रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने तो नए साल के अपने पहले संबोधन में पिछली साल हुई तबाही से हासिल और इस साल मचने वाले विनाश का लक्ष्य भी बता दिया.

पुतिन को हार बर्दाश्त नहीं

एक तरफ ताइवान में चुनाव हैं और जिनपिंग किसी भी कीमत पर अब ताइवान में साई इंग वेन की जीत बर्दाश्त नहीं कर सकते. दूसरी तरफ रूस में भी चुनाव हैं और पुतिन किसी भी स्थिति में रूस की हार बर्दाश्त नहीं कर सकते. चाहे जीत के लिए पूरी दुनिया को ही क्यों न जलाना पड़े. लेकिन दुनिया में परमाणु जंग का खतरा सिर्फ रूस, चीन, या किम के परमाणु बमों से ही नहीं है.

मध्य पूर्व में छिड़ी जंग में अब कभी भी परमाणु बारूद झोंका जा सकता है. नए साल से ठीक पहले अमेरिका ने हूती विद्रोहियों पर बड़ा प्रहार किया. अमेरिकी नौसेना ने हूती विद्रोहियों की तीन नाव डुबो दी, जिसमें हूती के 10 लड़ाकों की मौत हो गई. उधर, ईरान एटम बम बनाने के एकदम नजदीक है.

ईरान से मिले ड्रोन और मिसाइलों के दम पर यमन के हूती विद्रोही पूरे यूरोप की लाइफलाइन तोड़ने पर आमादा हैं. हूती के टारगेट पर परमाणु शक्ति सम्पन्न देश इजराइल के जहाज हैं, लेकिन अब यूरोप के परमाणु शक्ति सम्पन्न देश ब्रिटेन ने हूती का सर्वनाश करने की सौगंध उठा ली है. हूती विद्रोहियों से निपटने के लिए अमेरिका के साथ अब ब्रिटेन के युद्धपोत भी लाल सागर में उतर गए हैं.

यूक्रेन युद्ध अभी रुका नहीं है. गाजा में जंग जारी है. हूती विद्रोहियों ने यमन में एक नया मोर्चा खोल दिया है और ताइवान पर कब्जा करने की कसम खाए बैठे जिनपिंग ने समंदर में भी आग लगा दी है. 2024 का आगाज परमाणु शक्ति संपन्न देशों की विनाशक योजनाओं से हुआ है.

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हवाई जहाज़ बन गया आग का गोला, हो गया बड़ा हादसा , Plane हुआ Crash

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नेपाल की राजधानी काठमांडू में एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। Plane में सवार अधिकांश लोगों की मौत हो गई, लेकिन पायलट कैप्टन मनीष शाक्य बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। Plane को पोखरा जाना था, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

Plane ने सुबह त्रिभुवन हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी, लेकिन फिर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान सूर्या एयरलाइंस का था और मरने वाले अधिकांश लोग एयरलाइन के कर्मचारी थे।

दुर्घटना के बाद, पुलिस और दमकलकर्मियों का एक समूह तुरंत मदद के लिए पहुंचा। विमान में आग लग गई, लेकिन उन्होंने इसे तुरंत बुझा दिया।

हम दुर्घटना की तस्वीरों में धुआं देख सकते हैं, लेकिन हमें अभी तक नहीं पता है कि ऐसा क्यों हुआ।

विमान दुर्घटना को देखने वाले लोगों ने कहा कि यह उड़ान भरने की कोशिश कर रहा था, लेकिन तभी अचानक झटका लगा और आग लग गई। इसके बाद यह रनवे के पास दो इमारतों के बीच एक गड्ढे में गिर गया।

14 जनवरी, 2023 को नेपाल में एक बड़ा विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में 68 यात्री और 4 चालक दल के सदस्य सवार थे। यह नेपाल के पोखरा शहर के पास एक पहाड़ी से टकरा गया। दुख की बात है कि विमान में सवार सभी लोग इस दुर्घटना में मारे गए।

रूस में एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और 74 लोगों की मौत हो गई। रूस कह रहा है कि यूक्रेन ने विमान पर मिसाइलें दागी, जिससे विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और उसके अपने लोग मारे गए।

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राहुल गाँधी को आज का Budget नहीं आया पसंद, मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए इसे कुर्सी बचाओ बजट बताया

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम Budget पेश किया। प्रधानमंत्री को यह योजना पसंद आई और उन्होंने कहा कि इससे सभी को मदद मिलेगी। लेकिन एक अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति को यह पसंद नहीं आई और उन्होंने इसे किसी की नौकरी बचाने की योजना बताया।

राहुल गांधी ने कहा कि बजट उनके दोस्तों अडानी और अंबानी के लिए अच्छा है, लेकिन आम भारतीयों के लिए नहीं। उन्हें लगता है कि बजट कांग्रेस पार्टी के विचारों से कॉपी किया गया है और इसमें कुछ भी नया नहीं है। कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया बजट देश की प्रगति में मदद करने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी की सरकार को सत्ता में बनाए रखने पर अधिक केंद्रित है।

उन्होंने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि यह कांग्रेस के ‘न्याय’ एजेंडे की सही नकल नहीं करता है और युवाओं, किसानों और हाशिए के समूहों के लिए पर्याप्त नहीं करता है। खड़गे का मानना ​​है कि बजट अभिनव नहीं है और इसमें महिलाओं और ग्रामीण-गरीब लोगों जैसे समाज के विभिन्न वर्गों के लिए सार्थक पहल का अभाव है।

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क्या आपको पता है की देश के Budget की प्रिंटिंग कहां और कैसे होती है ?

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आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण Budget पेश करने वाली हैं | वित्त मंत्री इस बारे में बात करेंगी कि सरकार अगले साल किस तरह से पैसे खर्च करने की योजना बना रही है। यह सातवीं बार है जब वे यह काम कर रही हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वे इस योजना को कैसे समझती हैं और इसे आधिकारिक कैसे बनाती हैं? आइए साथ मिलकर पता लगाते हैं।

हम आपको बताना चाहते हैं कि देश का बजट गुप्त रूप से बनाया जाता है। इस पर काम करने वाले लोग संसद में दिखाए जाने से पहले 10 दिनों तक अलग-थलग रहते हैं।

बजट बनाने वाले लोग कई दिनों तक काम के अलावा किसी से बात नहीं करते। वे वित्त मंत्रालय की बिल्डिंग में रहते हैं और अपने काम पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ऐसा लगता है कि वे बाकी दुनिया से दूर एक खास बुलबुले में हैं। इस दौरान कुछ ही लोगों को बाहर जाने की अनुमति होती है।

सरकार हर साल पैसे खर्च करने और बचाने के लिए योजना बनाती है। वे यह योजना दिल्ली की एक बिल्डिंग में बनाते थे, लेकिन पहले किसी ने योजना के तैयार होने से पहले ही उसका कुछ हिस्सा साझा कर दिया था। इसलिए अब वे योजना को किसी दूसरी बिल्डिंग में बनाते हैं और इसे तब तक गुप्त रखते हैं जब तक कि यह पूरी तरह से तैयार न हो जाए। वे योजना पर काम करते समय इमारत को सुरक्षित रखने के लिए किसी को भी अंदर नहीं आने देते।

बजट बनाने से पहले, महत्वपूर्ण आर्थिक जानकारी एक नीली शीट पर एकत्र की जाती है। फिर इस जानकारी का उपयोग करके बजट बनाया जाता है। वित्त मंत्री को इस शीट को बाहर ले जाने की अनुमति नहीं है और मंत्रालय के संयुक्त सचिव इसके लिए जिम्मेदार हैं।

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