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पैकेज्ड फूड पर ‘100%’ दावों पर FSSAI की रोक: कंपनियों को अब बताना होगा पूरा सच।

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पैकेज्ड फूड उत्पादों में ‘100%’ जैसे दावों का प्रयोग अब भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है। सरकार ने इसे उपभोक्ताओं के लिए भ्रामक और अस्पष्ट बताया है, जिससे गलतफहमियां उत्पन्न हो सकती हैं।

FSSAI ने 28 मई को जारी परामर्श में स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ‘100%’ शब्द को किसी भी प्रकार से परिभाषित या संदर्भित नहीं किया गया है। इसलिए, कंपनियों को अपने खाद्य पैकेटों, लेबलों और प्रचार सामग्री से ऐसे दावे हटाने का निर्देश दिया गया है।

उदाहरण के लिए, कई ब्रांड चॉकलेट, चाय, शहद, बिस्कुट और प्रोटीन पाउडर जैसे उत्पादों को ‘100% चीनी मुक्त’ या ‘बाजरा, जई के साथ’ जैसे दावों के साथ बेचते हैं। FSSAI ने इन दावों को उपभोक्ताओं के लिए भ्रामक और अपर्याप्त बताया है।

इस निर्देश का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सटीक और स्पष्ट जानकारी प्रदान करना है, ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें।

सभी खाद्य व्यापार संचालकों (एफबीओ) को जारी निर्देश में कहा गया है कि उन्हें अपने “खाद्य पैकेटों, लेबलों और विज्ञापनों में ‘100 प्रतिशत’ जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये पूरी तरह से अस्पष्ट हैं”, इसलिए नियमों के अनुसार इनसे बचना चाहिए।

देश के शीर्ष खाद्य नियामक ने कहा कि कई कंपनियां अब अपने खाद्य पैकेटों और विज्ञापनों में ‘100 प्रतिशत’ शब्द का अत्यधिक प्रयोग कर रही हैं। एफएसएसएआई ने कहा, “इस तरह की शब्दावली को लेकर नियमों में कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। ये शब्द लोगों को गुमराह कर सकते हैं और गलत धारणा बना सकते हैं कि यह चीज़ पूरी तरह से सही या शुद्ध है, जो ज़रूरी नहीं है। इसलिए, ये शब्द गलतफहमी पैदा करते हैं।”

एफएसएसएआई विनियमन क्या है ?

खाद्य सुरक्षा नियम (2018) के अनुसार, “100 प्रतिशत” शब्द को एफएसएस अधिनियम, 2006 या इसके नियमों में परिभाषित नहीं किया गया है। एफएसएसएआई ने कहा कि नियमों के तहत कोई भी कंपनी अपने विज्ञापन में ऐसा कोई दावा या दावा नहीं कर सकती जिससे दूसरी कंपनियों की बदनामी हो और न ही ऐसा कुछ कह सकती है जिससे उपभोक्ता गुमराह हों। जो भी दावा या जानकारी दी जाए वह सत्य, स्पष्ट और समझने में आसान होनी चाहिए, ताकि उपभोक्ता सही जानकारी समझ सके और कोई भी गुमराह न हो।

“100 प्रतिशत” शब्दों का प्रयोग, चाहे अकेले या किसी अन्य शब्द के साथ, लोगों को यह गलत धारणा दे सकता है कि कोई चीज पूरी तरह से शुद्ध या सर्वोत्तम है, जो कि सच नहीं है। एफएसएसएआई ने कहा कि इस तरह के शब्द के इस्तेमाल से लोगों को लग सकता है कि बाजार में मौजूद अन्य खाद्य पदार्थ अच्छे नहीं हैं या नियमों का पालन नहीं करते, जिससे उपभोक्ताओं को गलत जानकारी मिलती है।

उपभोक्ता को गुमराह करने वाला शब्द

खाद्य नियामक संस्था ने जून 2024 में एक अधिसूचना जारी की थी कि फलों के जूस बनाने वाली कंपनियों को अपने पैकेट में ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए। और विज्ञापनों से ‘100 प्रतिशत फलों का रस’ जैसे दावे हटा दिए जाने चाहिए। इससे पहले, एफएसएसएआई ने अप्रैल में दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया था कि प्रमुख कंपनी डाबर का यह दावा कि उसके फल पेय पदार्थ ‘100 प्रतिशत’ फलों से बने हैं, नियमों के खिलाफ है। यह शब्द उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला है।

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