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‘2+2 मीटिंग में उठा पठानकोट हमले का मुद्दा’, अमेरिका की इस बात से पाकिस्तान को लग सकती है मिर्ची

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नेशनल डेस्कः भारत और अमेरिका ने परोक्ष तौर पर पाकिस्तान को एक संदेश देते हुए शुक्रवार को 26/11 मुंबई हमले और पठानकोट हमले की निंदा दोहरायी और इसके दोषियों को न्याय के दायरे में लाने का आह्वान किया। ‘टू प्लस टू’ विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय वार्ता के अंत में एक संयुक्त बयान में, नयी दिल्ली और वाशिंगटन ने स्पष्ट रूप से आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद और आतंकवादी समूहों के उपयोग और आतंकवादी समूहों को साजोसामान, वित्तीय या सैन्य समर्थन की निंदा की। वार्ता में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने किया, जबकि भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया।

दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान की स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया और तालिबान का आह्वान किया कि वह किसी भी समूह या व्यक्ति को किसी भी देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए अफगानिस्तान की धरती का उपयोग करने से रोकने की अपनी प्रतिबद्धता का पालन करे। भारत और अमेरिका ने तालिबान से महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों सहित सभी अफगानिस्तानियों के मानवाधिकारों का सम्मान करने और आवाजाही की स्वतंत्रता को बनाए रखने का भी आग्रह किया।

बयान में कहा गया, ‘‘भारत और अमेरिका ने 26/11 मुंबई हमले और पठानकोट हमले की निंदा दोहरायी और इन हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया।” बयान में कहा गया, ‘‘मंत्रियों ने सभी आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान भी किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा सूचीबद्ध समूहों जैसे अल-कायदा, आईएसआईएस/दाएश, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े व्यक्तियों को भी आतंकी घोषित करना शामिल है।” 26/11 और 2016 के पठानकोट हमलों के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह थे। मंत्रियों ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की सिफारिशों के अनुरूप, धनशोधन रोधी और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने पर अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। दोनों देशों ने एफएटीएफ और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

बयान में कहा गया, ‘‘उन्होंने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद के नए और उभरते रूपों और आतंकवादी उद्देश्यों के लिए मानव रहित हवाई प्रणाली और इंटरनेट जैसी उभरती और विकसित प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करने के लिए दृढ़ संकल्प व्यक्त किया।” इसमें कहा गया है कि मंत्रियों ने आतंकवाद से मुकाबले पर भारत-अमेरिका संयुक्त कार्य समूह की 20वीं बैठक और पांचवीं ‘डेजिगनेशंस डायलॉग’ अगले साल की शुरुआत में पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख पर आहूत करने का फैसला किया। इसमें कहा गया, ‘‘दोनों पक्ष 2024 में होमलैंड सुरक्षा वार्ता के अगले संस्करण की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहां नेता क्षमता निर्माण और अन्य गतिविधियों के माध्यम से सुरक्षा सहयोग को आगे बढ़ाएंगे।”

दोनों पक्षों ने महत्वपूर्ण नेटवर्क और सूचना बुनियादी ढांचे की सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता की भी पहचान की। मंत्रियों ने अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा की। बयान में कहा गया है, ‘‘मंत्रियों ने तालिबान से किसी भी समूह या व्यक्ति को किसी भी देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग करने से रोकने की अपनी प्रतिबद्धता का पालन करने का आह्वान किया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 (2021) का उल्लेख किया, जो मांग करता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी भी देश को धमकी देने या उस पर हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने या प्रशिक्षित करने, या आतंकवादी हमलों की योजना बनाने या वित्त पोषण करने के लिए नहीं किया जाए।” इसमें कहा गया है, ‘‘उन्होंने मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए निर्बाध पहुंच पर जोर भी दिया और अफगानिस्तान पर परामर्श करने की सिफारिश की जिससे सभी अफगानिस्तानी नागरिकों के लिए एक समावेशी और शांतिपूर्ण भविष्य के लिए सुविधा हो।”

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