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कम उम्र में जिम जाने से हो सकता है कई नुकसान

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आजकल हर कोई फिट रहना चाहता है। ये क्रेज युवाओं में ज्यादा देखने को मिल रहा है. इसके लिए वे जिम में घंटों मेहनत करते हैं। इसमें युवा लड़के सिक्स पैक एब्स और मस्कुलर बॉडी बनाने का जुनून रखते हैं, जबकि किशोर लड़कियां जीरो फिगर और स्लिम लुक पाने के लिए जिम शुरू करती हैं। लेकिन कम उम्र में जिम शुरू करना घातक हो सकता है। आपको कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में जरूरी है कि सही उम्र में जिम शुरू किया जाए, ताकि आपको इसका सही फायदा मिल सके। अब सवाल यह है कि जिम शुरू करने की सही उम्र क्या होनी चाहिए?

डॉक्टर बता ते है की, यह सच है कि शारीरिक विकास के लिए व्यायाम बहुत जरूरी है। इसके लिए बच्चा जन्म से ही हाथ-पैर मारना शुरू कर देता है। ऐसा करने से बच्चे के शरीर का विकास होता है और शरीर को लचीलापन और ताकत भी मिलती है। इसके बाद बच्चे को खेलना-कूदना चाहिए, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं। लेकिन जिम जाने से बचना चाहिए. लेकिन कम उम्र में जिम जाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

डॉक्टर बता ते है की, यह सच है कि शारीरिक विकास के लिए व्यायाम बहुत जरूरी है। इसके लिए बच्चा जन्म से ही हाथ-पैर मारना शुरू कर देता है। ऐसा करने से बच्चे के शरीर का विकास होता है और शरीर को लचीलापन और ताकत भी मिलती है। इसके बाद बच्चे को खेलना-कूदना चाहिए, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं। लेकिन जिम जाने से बचना चाहिए. लेकिन कम उम्र में जिम जाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
अगर आप भी अपने बच्चे को जिम भेजने की सोच रहे हैं तो आप गलत हैं। बेशक 13-14 साल की उम्र में हड्डियां और शरीर के अंग मजबूत हो जाते हैं, लेकिन जिम शुरू करने की यह सही उम्र नहीं है। क्योंकि, यही वह उम्र होती है जब शरीर में लंबाई समेत कई तरह के बदलाव होते हैं। ऐसे में जिम जाने की सही उम्र 20 साल से 50 साल के बीच है। हालाँकि आप चाहें तो 17-18 साल की उम्र में भी जिम शुरू कर सकते हैं। लेकिन, समय और वजन का खास ख्याल रखें।

कम उम्र में जिम शुरू करने से मांसपेशियों को नुकसान होता है और चोट लग सकती है। बॉडीबिल्डिंग, स्टेरॉयड या भारी वर्कआउट से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। मांसपेशियों में दर्द या खिंचाव के साथ-साथ मांसपेशियों में कमजोरी का खतरा भी बढ़ जाता है। जिम में कार्डियो या पावर लिफ्टिंग हृदय गति को बढ़ाकर हृदय को नुकसान पहुंचा सकती है।

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मजे मजे में कहीं ‘लाल जहर’ तो नहीं खा रहे? Watermelon में मिलाया जा रहा सबसे घातक chemical

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गर्मियों के मौसम में लाल मीठा The most dangerous chemical being mixed in watermelon खाना भला किसे पसंद नहीं है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे लाल और ज्यादा मीठा करने के लिए इसमें Injection भी लगाए जाते हैं, इनमें मौजूद chemicals सेहत के लिए घातक हैं।

गर्मी का मौसम आ गया है और इसके साथ आया है Watermelon का सीजन।Watermelon, जिसे गर्मी का सबसे फायदेमंद फल माना जाता है। Watermelon में 92% पानी और 6% शुगर होता है। फाइबर से भरपूर होने के कारण गर्मी में Watermelon का सेवन बहुत लाभदायक होता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि आजकल बाजार में ऐसे Watermelon भी खूब मिलते हैं, जिन्हें इंजेक्शन लगाकर लाल दिखाया जाता है? आम लोगों के लिए यह पहचानना मुश्किल होता है कि कौन सा तरबूज असली और कौन सा injected है।

Detoxpri की founderand and Holistic Nutritionist Priyanshi Bhatnagar..के अनुसार, आमतौर पर तरबूज को ज्यादा लाल और रसीला दिखाने के लिए उसमें रंग का इंजेक्शन लगाया जाता है। कई बार तेजी से पकाने के लिए

Oxytocin का injection भी लगाया जाता है। ये chemical से भरे तरबूज सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकते हैं।

तरबूज में इंजेक्शन से मिलाया जाता है जहर

Injected तरबूज में Nitrate, Artificial colors (lead chromate, methanol yellow, Sudan red), calcium carbide और oxytocin जैसे chemical हो सकते हैं, जो आपके पेट के लिए बहुत घातक हो सकते हैं। तरबूज को जल्दी बढ़ाने के लिए कई बार nitrogen का इस्तेमाल किया जाता है। अगर यह Nitrogen आपके शरीर में चला जाए तो यह बहुत हानिकारक हो सकता है क्योंकि इसे जहरीला तत्व माना जाता है। इसे पढ़ने के बाद शयद ही आप कभी तरबूज़ खाना पसंद करे !

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रोज़ सुबह Raisins का पानी पिने से सेहत को मिलते है कई लाभ, दुरी होते है कई रोग

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सूखे मेवों को अपने दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए। यह आपके शरीर को कई बीमारियों से बचाने के लिए बहुत फायदेमंद है। इनी में से बहुत लोकप्रिय है Raisins है| किशमिश सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है | Raisins विटामिन, आहार फाइबर, पोटेशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती है।

सूखे मेवे कई पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसमें कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो आपके शरीर को बीमारियों से दूर रखने के लिए जरूरी होते हैं। Raisins का पानी पिएंगे तो होंगे कई फायदे| Raisins का पानी पीने से शरीर को डिटॉक्स करने में काफी मदद मिलती है|

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Raisins सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है| इसका सेवन आपको खाली पेट ही करना चाहिए। गलत आदतों और अस्वस्थ जीवनशैली से लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। Raisins का पानी फाइबर से भरपूर होता है| यह आपके पेट को स्वस्थ रखकर पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में भी काफी मदद करता है।

कई लोगों को थोड़ी मात्रा में खाना खाने से एसिडिटी हो जाती है। यह उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसके पानी में एंटासिड, पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है। Raisins का सेवन रोजाना करना चाहिए क्योंकि यह पेट के एसिड को ठीक करके आपको काफी आराम पहुंचाता है।

यह लिवर की समस्याओं को ठीक करने में भी आपकी काफी मदद करता है। आप Raisins को रात के समय भिगो दें और फिर सुबह उठकर भीगी हुई Raisins का पानी पी लें। अगर आपके शरीर में खून की कमी है तो भी आप इसका सेवन कर सकते हैं। Raisins आयरन, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन और कॉपर से भरपूर होती है। आयरन रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में आपकी बहुत मदद करता है।

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Raisins वजन को करने में भी सहायता करता है | फ्रुक्टोज और ग्लूकोज दो प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाली शुगर जो आपको लंबे समय तक एनर्जी देते हैं, ये Raisins के पानी में पाए जाते हैं| इसलिए यह आपके शरीर को भोजन की लालसा में कमी लाने में सहायता करता है|

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अपने दिन की शुरुआत एक गिलास भीगी हुई Raisins के पानी से करने से आपके शरीर को वह एनर्जी मिल सकती है जो पूरे दिन बेहतर ढंग से काम करने के लिए जरूरी है| सारा दिन आपका शरीर काफी फुर्तीला रहेगा |

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Alchol के नशे में चला रहा था ये व्यक्ति गाड़ी, लेकिन जब टैस्ट किया तो सामने कुछ और ही आया

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Social Site पर बहुत सी अजीबो गरीब खबरे सामने आती रहती है | ऐसी ही एक खबर सामने आई है जहां पुलिस ने Alchol के नशे में गाड़ी चलाने के संदेह में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया | बाद में जब उसकी जांच की गई तो पुलिसवाले भी हैरान रह गए| हालांकि उस व्यक्ति को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल जांच में पता चला कि शख्स को ऑटोब्रू सिंड्रोम (ABS) नाम की एक दुर्लभ बीमारी है।

जी हाँ इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में अपने आप Alchol का उत्पादन शुरू हो जाता है और यह नशे की लत जैसा दिखता है। रॉयटर्स के मुताबिक, आरोपी के वकील एन्से गेशक्वियर ने कहा कि यह एक संयोग है कि उनका मुवक्किल एक शराब फैक्ट्री में काम करता था, लेकिन कम से कम तीन मेडिकल परीक्षणों से पता चला कि उसे एबीएस नामक बीमारी है।

आखिर ये बीमारी है क्या ?
डॉक्टरों के मुताबिक, Auto Brewer Syndrome (ABS) जिसे gut fermentation syndrome (GFS) भी कहा जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी के जठरांत्र पथ में मौजूद एक विशेष कवक माइक्रोबियल किण्वन(microbial fermentation) के माध्यम से कार्बोहाइड्रेट को अल्कोहल में बदल देता है। University of Virginia School of Medicine के अनुसार, ABS एक दुर्लभ बीमारी है। मेडिकल साइंस इसके बारे में 50 साल से भी ज्यादा समय से जानता है, लेकिन अभी भी इसके बारे में बहुत ही सीमित जानकारी उपलब्ध है।

ABS Syndrome क्यों होता है?
डॉक्टरों के अनुसार, जब छोटी आंत में कुछ किण्वन सूक्ष्मजीव, विशेष रूप से सैक्रोमाइसेस सेरेविसिया जैसे यीस्ट, असंतुलित हो जाते हैं या अत्यधिक बढ़ जाते हैं, तो यह एबीएस सिंड्रोम का कारण बनता है। यह असंतुलन कार्बोहाइड्रेट को किण्वित करता है और उन्हें इथेनॉल में परिवर्तित करता है, जिससे नशीला प्रभाव पड़ता है। डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर ए.बी.एस. इसका निदान केवल वयस्कता में ही किया जाता है।

किसे अधिक ख़तरा है?
आंत किण्वन सिंड्रोम (जीएफएस), जिसे ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम (एबीएस) भी कहा जाता है, किसी भी लिंग या उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मधुमेह, मोटापा, आंतों की बीमारी और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली से पीड़ित लोगों में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। जो लोग आनुवंशिक रूप से ADH (अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज) और ALDH (एल्डिहाइड डिहाइड्रोजनेज) हैं, उन्हें इथेनॉल पचाने में कठिनाई होती है। ये दो कारक हैं जो ऑटो-ब्रूअरी सिंड्रोम को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

इस Syndrome के लक्षण क्या हैं?
ऑटो अल्कोहल सिंड्रोम (ABS) के लक्षण शराब की लत के समान होते हैं। रक्त में अल्कोहल का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा बोलने में दिक्कत, घबराहट और जीभ का कड़ा होना भी होता है। त्वचा लाल हो जाती है। कुछ रोगियों को पेट फूलना, पेट फूलना और दस्त जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण अनुभव हो सकते हैं।

हम कैसे पता लगा सकते हैं?
US National Library of Medicine के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बिना शराब का सेवन किए नशे में धुत्त हो जाता है, तो यह ऑटो अल्कोहल सिंड्रोम (एबीएस) का पहला संकेत है। अगला चरण लैब परीक्षण है। डॉक्टर कुछ आधारभूत परीक्षण कर सकते हैं। जैसे- मेटाबॉलिक प्रोफाइल, ब्लड अल्कोहल लेवल आदि। इसके अतिरिक्त, यीस्ट की अधिक वृद्धि का पता लगाने के लिए मल परीक्षण भी किया जा सकता है। यदि इसकी पुष्टि नहीं होती है, तो आप ग्लूकोज चैलेंज परीक्षण करा सकते हैं। इससे बीमारियां घर कर जाती हैं।

इस बीमारी का इलाज क्या है?
ऑटो अल्कोहल सिंड्रोम (ABS) को नियंत्रित किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे पहले मरीज को अपने आहार और जीवनशैली में सुधार करना होगा। भोजन में कार्बोहाइड्रेट और शुगर को नियंत्रित रखना चाहिए। कुछ मरीज़, जो गंभीर हैं या जिनमें इथेनॉल का उत्पादन अधिक है, उन्हें यीस्ट या बैक्टीरिया को संतुलित करने में मदद के लिए एंटिफंगल दवाएं और प्रोबायोटिक्स देने की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा अगर व्यक्ति को पहले से ही ब्लड शुगर, मोटापा जैसी कोई अन्य बीमारी है तो उसे भी नियंत्रित करने की जरूरत है।

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