Haryana
बिजली कंपनियां हरियाणा में बिजली के नहीं बढ़ाने वाले रेट
HERC ने बुधवार को बिजली वितरण निगमों – उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBV) द्वारा एचईआरसी में दायर वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) की याचिका पर अपना आदेश दिया।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि हरियाणा विद्युत नियामक आयोग (एचईआरसी) ने बुधवार को सभी श्रेणियों के बिजली उपभोक्ताओं के लिए मौजूदा बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी का प्रस्ताव किए बिना वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए टैरिफ आदेश जारी किया।
एचईआरसी ने बुधवार को बिजली वितरण निगमों – उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) द्वारा एचईआरसी में दायर वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) की याचिका पर अपना आदेश दिया। प्रवक्ता ने कहा, “एचईआरसी ने बिजली दरों में किसी भी बढ़ोतरी की सिफारिश नहीं की है और मौजूदा टैरिफ जारी रहेगा…यह बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत है।”
यह एआरआर आदेश एक अप्रैल से प्रभावी होगा. अपने विस्तृत आदेश में, एचईआरसी ने डिस्कॉम को अपनी परिचालन दक्षता में सुधार करने और कुल ट्रांसमिशन और वाणिज्यिक हानि (एटी एंड सी) को 12% से 10% तक कम करने का निर्देश दिया। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए यूएचबीवीएन के लिए 18,621 करोड़ रुपये और डीएचबीवीएन के लिए 25,642 करोड़ रुपये का एआरआर स्वीकृत किया गया है। प्रवक्ता ने कहा , “राज्य सरकार कृषि उपभोक्ताओं के लिए 5,941 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी, जो पिछले वर्ष से 109 करोड़ रुपये कम है ।”
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APP नेता Kejriwal के बाहर आने से हरियाणा में देखने को मिल सकता है असर
दिल्ली के नेता अरविंद Kejriwal को 177 दिनों तक जेल में रहने के बाद रिहा कर दिया गया है। अब जब वे रिहा हुए हैं, तो उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी के लोग बहुत उत्साहित हैं। उन्होंने हरियाणा में होने वाले चुनावों में सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। इस वजह से हरियाणा में होने वाले चुनाव काफ़ी रोमांचक होने वाले हैं। हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी जैसी बड़ी पार्टियों के अलावा AAP नाम की एक और अहम पार्टी है। दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर आने वाले इस राज्य में AAP काफ़ी लोकप्रिय हो रही है।
2019 में AAP ने 46 अलग-अलग इलाकों में लोगों को अपने पक्ष में वोट देने के लिए कहा था, लेकिन तब उन्हें सिर्फ़ एक प्रतिशत वोट ही मिले थे। तब से अब तक काफ़ी कुछ बदल गया है। अब कई लोग जो कांग्रेस या बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते, उन्हें भी AAP एक अच्छा विकल्प लगता है। दिल्ली में, जहाँ पहले ज़्यादातर बीजेपी के उम्मीदवार हुआ करते थे, AAP सरकार में काफ़ी मज़बूत हो गई है। चुनाव के लिए टिकट दिए जाने से पहले हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के अलग-अलग गुटों में काफ़ी लड़ाई-झगड़ा हुआ करता था। इसी समय, भाजपा पार्टी भी कुछ बदलावों से गुज़र रही थी।
कांग्रेस सबको दिखाना चाहती थी कि उनका समूह, जिसे इंडिया अलायंस कहा जाता है, अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। उन्हें लगा कि उन्हें AAP नामक दूसरी पार्टी से भी मदद मिल सकती है। इसलिए, कांग्रेस ने AAP के साथ मिलकर काम करने की कोशिश की। लेकिन AAP के नेता अरविंद केजरीवाल ने साथ न देने का फ़ैसला किया क्योंकि वे इस बात पर सहमत नहीं हो पाए कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी। अभी, यह उनके लिए एक स्मार्ट विकल्प लगता है।
हरियाणा में कई तरह की अलग-अलग समस्याएँ हो रही हैं। लोग राज्य में एथलीटों की भावनाओं की परवाह करते हैं। दो प्रसिद्ध एथलीट, विनेश फोगट और बजरंग पुनिया ने कांग्रेस नामक एक राजनीतिक पार्टी में शामिल होने का फ़ैसला किया है। वे रेलवे में काम करते थे, लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के लिए उन्होंने उस नौकरी को छोड़ दिया। विनेश फोगट कांग्रेस पार्टी के लिए जुलाना नामक जगह से एक विशेष नौकरी के लिए चुनाव लड़ने जा रही हैं।
विनेश, जो बृजभूषण शरण सिंह से सहमत नहीं थीं, अब भाजपा पार्टी के ख़िलाफ़ जा रही हैं। भाजपा ने अपने कुछ पुराने नेताओं को अब चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी है। इन नेताओं में से एक सावित्री जिंदल हैं, जो एक अमीर परिवार से आती हैं और अब अपने दम पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रही हैं। कई अन्य नेता भी इस बात से परेशान हैं कि उन्हें उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी।
दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी की अपनी समस्याएं हैं। कांग्रेस में तीन अलग-अलग समूह हैं जो बहुत अच्छी तरह से नहीं मिल रहे हैं, और यह स्पष्ट नहीं है कि वे चुनाव के लिए एक साथ काम करेंगे या नहीं। जेजेपी और आजाद समाज पार्टी राज्य में जीतने की कोशिश करने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं। स्थानीय नेताओं के लिए पिछली वोटिंग में, जेजेपी को अच्छी मात्रा में वोट मिले, 13 प्रतिशत से अधिक। लेकिन जब बड़े चुनावों की बात आई, तो उन्हें केवल थोड़े से वोट मिले, 1 प्रतिशत से भी कम। अब, केजरीवाल, जो जेल में थे, फिर से अपना अभियान शुरू करने जा रहे हैं। वह अपने और अपनी पार्टी के साथ हुई बुरी चीजों के बारे में कहानियाँ साझा करेंगे। अगर उनका अभियान लोकप्रिय हो जाता है, तो इस बार हरियाणा में चुनाव बहुत रोमांचक हो सकते हैं!
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Gopal Kanada ने दिया बड़ा बयान, कहा कि मैं भगवामय हूं और आगे भी रहूंगा
गुरुवार को हरियाणा की राजनीति में कुछ बड़ा हुआ। गोपाल कांडा की पार्टी हरियाणा लोकहित पार्टी ने दो अन्य पार्टियों इनेलो और बसपा के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया। अब तीनों मिलकर हरियाणा में चुनाव जीतने की कोशिश करेंगे। इस नई साझेदारी के बाद Gopal Kanada ने कहा कि उन्हें भगवा रंग (जो कुछ राजनीतिक समूहों से जुड़ा हुआ है) पसंद है और हमेशा ऐसा ही महसूस करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि वे अभी भी भाजपा नामक एक अन्य पार्टी के साथ मित्र हैं।
गोपाल कांडा ने कहा कि जब हरियाणा में भाजपा पार्टी की सरकार बनेगी तो वे उनकी हरसंभव मदद करेंगे। उन्होंने बताया कि उनके पिता जनसंघ नामक संगठन का हिस्सा थे, इसलिए वे अभी भी भाजपा के करीब महसूस करते हैं। सिरसा नामक जगह के बारे में उन्होंने कहा कि अगर भाजपा चाहेगी तो वे वहां अपना पद छोड़ देंगे, क्योंकि उन्हें पता है कि कौन वहां जीतेगा। हरियाणा लोकहित पार्टी के नेता ने कहा कि उनकी पार्टी अभी भी एनडीए समूह का हिस्सा है और किसी ने उन्हें बाहर नहीं किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा एक बड़ी पार्टी है और उसने अलग-अलग जगहों पर चुनाव लड़ने के लिए किसको मौका मिलना चाहिए, इस बारे में उनके विचारों को सुना है।
उन्होंने हमेशा कहा है कि वह बिना किसी शर्त के भाजपा का समर्थन करते हैं और लोगों से उनके अच्छे कामों के बारे में बात करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने कभी मंत्री बनने के लिए नहीं कहा, जो कि सरकार में एक बड़ा काम है। उनका मानना है कि अगर काम अच्छे से हो जाए तो उन्हें उस पद की जरूरत नहीं है। इस बीच गोपाल कांडा ने चौटाला परिवार के बारे में बात करते हुए कहा कि अभय सिंह वाकई कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उनकी पार्टी इनेलो बहुत अच्छा काम करेगी। 2019 में गोपाल कांडा ने भाजपा और जेजेपी नामक नेताओं के एक समूह की पूरे पांच साल तक बिना कुछ मांगे मदद की।
इस बार वह चाहते थे कि वे उन्हें सिरसा और रानिया नामक जगहों पर दो विशेष पद दें। लेकिन वे इस पर सहमत नहीं हो सके। इसलिए गोपाल कांडा ने इनेलो-बसपा नामक नेताओं के एक अन्य समूह के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया। गोपाल कांडा ने कहा कि रानिया में धवल कांडा नौकरी के लिए चुनाव लड़ेंगे, जबकि सिरसा में वे खुद चुनाव लड़ेंगे। जुलाई में इनेलो और बसपा नामक दो समूहों ने मिलकर काम करने का फैसला किया। क्योंकि वे साथ मिलकर काम कर रहे हैं, इसलिए इनेलो 53 जगहों पर जीतने की कोशिश करेगी, और बसपा 37 जगहों पर जीतने की कोशिश करेगी।
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Raghav Chadha ने BJP पर बोला हमला, कहा मिर्ची सुनने वाले ऑलवेज खुश, वैसे ही…..
कल सांसद Raghav Chadha हरियाणा के असंध विधानसभा से चुनाव लड़ रहे अमनदीप सिंह जुंडला के समर्थन में एक बड़े कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में राघव ने कहा कि जिस तरह मिर्ची खाने वाले लोग हमेशा खुश रहते हैं, उसी तरह केजरीवाल को अपना नेता चुनने वाले लोग भी खुश हैं। राघव चड्ढा ने कहा कि भाजपा पार्टी एक खराब फिल्म की तरह है, जिसे कोई देखना नहीं चाहता।
उन्होंने बताया कि हरियाणा में कोई भी नेता भाजपा में शामिल नहीं होना चाहता और जो चुने गए हैं, वे भी पार्टी का हिस्सा बनने के लिए अपने टिकट वापस कर रहे हैं। राघव ने बताया कि हरियाणा के एक तरफ पंजाब है, जहां आप नामक समूह का शासन है और दूसरी तरफ दिल्ली है, जहां भी आप का शासन है। उन्होंने कहा कि अगर आप हरियाणा में भी नेता बन जाती है, तो चीजें बहुत बेहतर हो जाएंगी, जैसे तीन इंजन वाली ट्रेन आसानी से चलती है।
उनका मानना है कि अगर बुरे काम करने वाले नेता हरियाणा में नहीं रहेंगे, तो लोगों को नौकरी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। राघव लोगों से अरविंद केजरीवाल की पार्टी के लिए वोट मांग रहे हैं। उनका कहना है कि लोग पहले ही भाजपा, कांग्रेस, इनेलो और जेजेपी जैसी अन्य पार्टियों को आजमा चुके हैं, लेकिन उनसे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। उनका मानना है कि अगर वे केजरीवाल की पार्टी को मौका देते हैं, तो इससे फर्क पड़ सकता है, ठीक वैसे ही जैसे दिल्ली में लोग वोट देते समय झाड़ू का बटन दबाकर उसे चुनते हैं।
राघव कह रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अच्छा काम नहीं कर रही हैं। उनका मानना है कि इस बार भाजपा को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जेजेपी, जिसे हरियाणा के लोग भरोसेमंद नहीं मानते, उसे कोई मदद न मिले। उनका मानना है कि जेजेपी ने हरियाणा के लोगों को निराश किया है। राघव ने यह भी उल्लेख किया कि लोगों ने कांग्रेस पर भरोसा करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने भी अच्छा काम नहीं किया। वह यह तब कह रहे हैं, जब दोनों पार्टियों के साथ मिलकर काम करने की चर्चा थी, लेकिन वह बातचीत नहीं हुई।
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