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Uttar Pradesh

सुल्तानपुर डकैती कांड, इनामी Mangesh Yadav एनकाउंटर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से नए खुलासे

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सुल्तानपुर डकैती कांड के आरोपी और 1 लाख रुपये के इनामी Mangesh Yadav के एनकाउंटर को लेकर सवाल उठने के बाद अब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में मंगेश को दो गोलियां लगने की पुष्टि हुई है, साथ ही उसके शरीर पर कुल 5 चोटों का उल्लेख किया गया है।

मंगेश को दो गोलियां लगीं, पहली गोली बाएं माथे के ऊपर, जो सिर के पीछे से दाहिनी तरफ निकल गई। दूसरी गोली बाएं हाथ की कोहनी से 5 सेंटीमीटर ऊपर लगी। शरीर पर बाईं छाती में गोली छूकर निकलने का निशान पाया गया। रिपोर्ट में तीन एग्जिट वाउंड (गोली के बाहर निकलने के घाव) का जिक्र किया गया है।

एनकाउंटर: क्या हुआ था उस दिन?

5 सितंबर की सुबह, सुल्तानपुर देहात कोतवाली क्षेत्र में यूपी एसटीएफ ने मंगेश यादव का एनकाउंटर किया।घटना का समय: सुबह 3:15 बजे। एनकाउंटर के बाद मंगेश को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां 3:20 बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस एनकाउंटर के बाद यूपी पुलिस और एसटीएफ पर कई सवाल उठाए गए। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे संदिग्ध बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी।

डकैती कांड का मामला

28 अगस्त को सुल्तानपुर जिले के चौक बाजार स्थित भारत ज्वैलर्स पर दिनदहाड़े डकैती हुई थी।बदमाशों ने करोड़ों रुपये के गहनों पर हाथ साफ किया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के जरिए आरोपियों की पहचान की और कार्रवाई शुरू की। इस दौरान, दो आरोपियों का एनकाउंटर हुआ, जबकि दर्जनभर से अधिक गिरफ्तारियां हुईं। मंगेश यादव, जो इस मामले का मुख्य आरोपी था, पर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था।

एनकाउंटर पर उठे सवाल

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि मंगेश को दो गोलियां मारी गईं और उसकी मौत गोली लगने से हुई। हालांकि, रिपोर्ट के बावजूद इस एनकाउंटर की पारदर्शिता पर सवाल बने हुए हैं।

समाजवादी पार्टी ने इसे संदिग्ध बताते हुए कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। पुलिस और एसटीएफ पर आरोप हैं कि मंगेश का एनकाउंटर पूर्व-नियोजित था।

क्या होगी निष्पक्ष जांच?

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने एनकाउंटर की परिस्थितियों पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि इस मामले की सीबीआई जांच की मांग पर सरकार क्या फैसला लेती है और मंगेश यादव के एनकाउंटर से जुड़े विवादों पर आगे क्या खुलासे होते हैं।

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Uttar Pradesh

Google Map की गलती से फिर हुआ हादसा, बरेली में कार नहर में गिरी

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उत्तर प्रदेश के बरेली में Google Map का इस्तेमाल करते हुए एक और हादसा हुआ। इज्जतनगर थाना क्षेत्र में पीलीभीत रोड पर एक टाटा टियागो कार गूगल मैप के निर्देशों का पालन करते हुए कलापुर नहर में गिर गई। कार में तीन युवक सवार थे। हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं और जेसीबी की मदद से कार को नहर से बाहर निकाला गया।

गूगल मैप के निर्देशों पर भरोसा बना हादसे की वजह

औरैया निवासी दिव्यांशु अपने दोस्तों के साथ हरियाणा नंबर प्लेट वाली कार में पीलीभीत जा रहे थे। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान गूगल मैप का सहारा लिया। कलापुर नहर के पास बरकापुर तिराहे पर सड़क का कटान था, जिसे समय पर देख नहीं पाए, और कार नहर में पलट गई। गनीमत रही कि तीनों को कोई चोट नहीं आई। बाद में क्रेन की मदद से कार को बाहर निकाला गया।

एसपी सिटी ने दी जानकारी

एसपी सिटी मानुष पारिक ने बताया कि मंगलवार सुबह कानपुर से पीलीभीत जा रहे तीन लोग गूगल मैप के निर्देशों का पालन करते हुए गलत रास्ते पर चले गए, जिससे उनकी कार नहर में गिर गई। राहत की बात यह रही कि सभी सुरक्षित हैं, और कार को नहर से बाहर निकाल लिया गया है।

गूगल मैप के कारण पहले भी हुआ है हादसा

गौरतलब है कि यह पहली घटना नहीं है। 24 नवंबर को भी बरेली में गूगल मैप पर गलत रास्ता दिखाए जाने के कारण एक कार पुल से नीचे गिर गई थी। इस दर्दनाक हादसे में तीन युवकों की जान चली गई थी। बदायूं के दातागंज से बरेली के फरीदपुर जाते समय यह घटना हुई। अधूरे पुल के कारण कार 20 फीट नीचे जा गिरी। जांच में सामने आया कि इस मामले में पीडब्ल्यूडी की गंभीर लापरवाही थी।

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Agra: रेलवे स्टेशन पर मिली लावारिस नवजात, महिला सिपाही बनी ममता की मिसाल

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मां की ममता वह करुणा है जो पत्थर को भी पिघला देती है। लेकिन कभी-कभी मानवता का ऐसा दृश्य सामने आता है, जो इस ममता पर सवाल खड़े कर देता है। Agra कैंट रेलवे स्टेशन पर रविवार शाम को ऐसा ही एक हृदयविदारक मामला सामने आया, जब एक नवजात बच्ची को उसकी मां फर्श पर छोड़कर चली गई।

नवजात बच्ची वेटिंग रूम में मिली

रविवार शाम को आगरा कैंट रेलवे स्टेशन के सेकंड क्लास वेटिंग रूम में बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी। यात्रियों ने तुरंत आरपीएफ को सूचित किया। दो महिला सिपाहियों ने नवजात को गर्म कपड़े में लपेटा और तत्काल इलाज के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज भेजा।

बच्ची की हालत नाजुक

चिकित्सकों ने बच्ची को एनआईसीयू में भर्ती किया। एसएन मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष, डॉ. नीरज यादव ने बताया कि बच्ची को रक्त संक्रमण और ठंड लगने के कारण बुखार है। नाल काटी नहीं गई थी और वह गंदगी में पड़ी रही, जिससे संक्रमण हुआ। डॉक्टरों ने उसे 48 घंटे की निगरानी में रखा है।

वॉशरूम में पड़ी मिली नवजात

आरपीएफ इंस्पेक्टर सुशील कुमार झा ने बताया कि रविवार शाम 5 बजे स्लीपर क्लास वेटिंग रूम के वॉशरूम में बच्ची के होने की सूचना मिली। सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है, लेकिन वॉशरूम कैमरे की सीमा में नहीं आता। यह स्पष्ट नहीं है कि बच्ची को कौन छोड़कर गया। वॉशरूम में प्रसव होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं।

लोग अपनाने को तैयार

बाल कल्याण समिति, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, और स्थानीय पुलिस को मामले की जानकारी दी गई है। बच्ची की देखभाल वर्तमान में आरपीएफ की महिला सिपाही गीता कश्यप कर रही हैं। अस्पताल में बच्ची की खबर फैलने के बाद, कई महिलाएं उसे गोद लेने की इच्छा जता रही हैं और प्रार्थना पत्र भी दे चुकी हैं।

यह घटना मानवता और ममता पर एक गहरा सवाल छोड़ती है, लेकिन साथ ही, समाज के उन संवेदनशील लोगों की उपस्थिति भी दिखाती है, जो ऐसे बच्चों को अपनाने के लिए तैयार हैं।

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Badaun की जामा मस्जिद शम्सी को लेकर आज कोर्ट में अहम सुनवाई, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

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Badaun की जामा मस्जिद शम्सी बनाम नीलकंठ महादेव मामले में आज जिला कोर्ट में सुनवाई होगी। हिंदू नेता मुकेश पटेल ने 2022 में दावा किया था कि इस मस्जिद को नीलकंठ महादेव मंदिर तोड़कर बनाया गया है। आज कोर्ट यह तय करेगा कि यह मामला सुनवाई के योग्य है या नहीं।

फास्ट ट्रैक कोर्ट में होने वाली सुनवाई में पहले मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें पेश करेगा। इससे पहले सरकारी वकील और पुरातत्व विभाग ने अपनी बहस पूरी कर ली है। पुरातत्व विभाग ने इस स्थल को अपनी संपत्ति बताया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

मस्जिद या मंदिर: दोनों पक्षों की दलीलें
हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद से पहले वहां नीलकंठ महादेव मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि इस मस्जिद का निर्माण सूफी संत शमशुद्दीन अल्तमश ने करवाया था और यहां कभी भी मंदिर होने के कोई सबूत नहीं मिले।

मामले में प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट 1991 का भी हवाला दिया जा रहा है। इस एक्ट के तहत धार्मिक स्थलों की स्थिति को 1947 की स्थिति के अनुसार बनाए रखने का प्रावधान है।

संभल की मस्जिद पर भी विवाद
इससे पहले यूपी के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर विवाद बढ़ा था। 24 नवंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। सपा ने इसे सरकार की साजिश बताया है।आज की सुनवाई के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इससे मामले की आगे की दिशा तय होगी।

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