Uttar Pradesh
Prayagraj महाकुंभ: अखाड़ों की संवेदनशीलता और Shankaracharya का ऐतिहासिक अमृत स्नान

Prayagraj महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान पर्व सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। मौनी अमावस्या के इस खास अवसर पर, एक घटना के बाद अखाड़ों ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए पहले श्रद्धालुओं को अमृत स्नान करने का अवसर दिया, और फिर बाद में सांकेतिक रूप से स्नान किया।
मौनी अमावस्या के अमृत स्नान पर अखाड़ों की संवेदनशीलता
त्रिवेणी के पवित्र तट पर आयोजित महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान पर्व शाम 6 बजे तक सम्पन्न हो गया, जिसमें करोड़ों श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। प्रशासन के अनुसार, इस अवसर पर एक घटना घटने के बाद अखाड़ों के संतों ने संवेदनशीलता दिखाते हुए पहले श्रद्धालुओं को स्नान का अवसर प्रदान किया। यह पहला अवसर था जब साधु-संतों, नागा संन्यासियों और अखाड़ों ने संगम में ऐतिहासिक स्नान की अपनी परंपरा को अस्थायी रूप से स्थगित किया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि सभी अखाड़ों ने सामूहिक निर्णय लिया था कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए पहले श्रद्धालुओं को स्नान करने का मौका दिया जाएगा। स्थिति सामान्य होने के बाद अखाड़ों ने सांकेतिक रूप से अमृत स्नान किया और अपनी परंपरा का निर्वहन किया।
शंकराचार्यों का संगम में अमृत स्नान
प्रयागराज महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान में, मौनी अमावस्या के मौके पर देश के तीन प्रमुख शंकराचार्यों ने भी त्रिवेणी संगम में पुण्य की डुबकी लगाई। श्रृंगेरी शारदा पीठ के जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी विधु शेखर भारती, द्वारका शारदा पीठ के जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती, और ज्योतिष पीठ के जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मोटर बोट के जरिए संगम में पहुंचकर पूरे धार्मिक विधि विधान से स्नान किया। इन शंकराचार्यों ने श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने की अपील की और देशवासियों के कल्याण की कामना की।
इस आयोजन के दौरान अखाड़ों और शंकराचार्यों ने मिलकर एकजुटता और धर्म के प्रति अपनी आस्था का प्रतीक दिखाया।