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Uttar Pradesh

RBI की नौकरी छोड़कर बने संत, ‘करेंसी वाले बाबा’ के रूप में चर्चित

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प्रयागराज महाकुंभ में साधु-संतों की कई कहानियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इनमें से एक नाम है श्री श्री 1008 रामकृष्ण दास जी महाराज का, जिन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर संन्यास का मार्ग अपनाया।

रामकृष्ण दास जी महाराज ने यूपी के गोरखपुर के चौरी चौरा इलाके में जन्म लिया। वे आजमगढ़ के कोल्हू नाथ राम जानकी मंदिर के महंत हैं और वैष्णव संप्रदाय के निर्वाणी अनी अखाड़े से जुड़े हुए हैं।

कंप्यूटर इंजीनियर से संन्यासी बनने का सफर

रामकृष्ण दास जी महाराज ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल करने के बाद 1991 में आरबीआई में नौकरी शुरू की। तीन वर्षों के दौरान उन्होंने नासिक, देवास और नोएडा में बतौर कंप्यूटर इंजीनियर काम किया। नोएडा में रहते हुए उनकी मुलाकात महंत राम प्रसाद से हुई। कुछ समय उनके सानिध्य में बिताने के बाद रामकृष्ण दास जी का भौतिक जीवन से मोहभंग होने लगा।

1994 में उन्होंने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली और संन्यास का मार्ग अपना लिया। इसके बाद उन्होंने महंत राम प्रसाद को अपना गुरु मानते हुए वैष्णव संप्रदाय का हिस्सा बनकर सनातन धर्म के प्रचार और सेवा का संकल्प लिया।

‘करेंसी वाले बाबा’ के नाम से मशहूर

आरबीआई में काम करने के कारण रामकृष्ण दास जी महाराज को लोग प्यार से “करेंसी वाले बाबा” कहते हैं। उन्होंने आजमगढ़ में एक आश्रम बनाया, जहां से वे सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और समाजसेवा के कार्यों का संचालन करते हैं। उनके आश्रम द्वारा संचालित विद्यालय बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

महाकुंभ में शिविर और संदेश

महंत रामकृष्ण दास जी महाराज का शिविर प्रयागराज महाकुंभ के सेक्टर-5 में लगा हुआ है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु उनका दर्शन करने और आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं।

रामकृष्ण दास जी महाराज का कहना है, “आरबीआई की नौकरी में पैसा और नाम तो बहुत था, लेकिन सुकून नहीं था। संन्यास के जीवन में दूसरों की सेवा और सनातन धर्म के प्रसार से जो संतोष और आनंद मिलता है, वह अनमोल है।”

संन्यासी जीवन के अनुभव

उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्हें कुछ समय के लिए यह लगा कि शायद उन्होंने गलत फैसला किया, लेकिन बाद में महसूस हुआ कि दूसरों की सेवा करना ही मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है। आज वे अपने श्रद्धालुओं को मानव धर्म और सेवा का पालन करने का संदेश देते हैं।

रामकृष्ण दास जी महाराज की इस प्रेरणादायक यात्रा ने उन्हें साधु-संतों की दुनिया में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है। उनके विचार और कार्य आज भी अनेक लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं।

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