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Punjab

Triple Murder मामले में Police ने गैंगस्टर को किया काबू, कार में जा रहे परिवार के 5 सदस्यों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गईं थीं।

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3 सितंबर की दोपहर फिरोजपुर शहर में मोटरसाइकिल सवार कुछ बदमाशों ने एक परिवार की कार को घेर लिया और उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं, बिल्कुल किसी एक्शन फिल्म की तरह। कार में पांच लोग सवार थे। ऐसा करने के बाद बदमाशों ने अपनी कार को दूसरे वाहनों से टकराकर भागने की कोशिश की और बंदूक लहराते रहे। लेकिन Police और स्पेशल टीमों ने मिलकर काम किया और समझदारी से काम लिया और बदमाशों को पकड़ने में कामयाब हो गए।

जिस दिन से फिरोजपुर शहर में यह घटना हुई है, पुलिस दिन-रात कड़ी मेहनत कर रही है, ताकि इस घटना को अंजाम देने वालों को पकड़ा जा सके। वे गुप्त सूचनाएं जुटा रहे हैं और लुटेरों की तलाश के लिए विशेष उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस के बड़े साहब, डीजीपी ने सभी को इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़ने के लिए कहा। पंजाब के गौरव यादव, जो एक महत्वपूर्ण पुलिस अधिकारी भी हैं, हर समय अपडेट चेक कर रहे थे। आखिरकार पुलिस शूटरों को पकड़ने में कामयाब हो गई।

इस स्थिति में फिरोजपुर की पुलिस ने काफी मदद की। महाराष्ट्र पुलिस के एक वीडियो में दिखाया गया है कि फिरोजपुर में एक बुरी घटना के बाद पंजाब और महाराष्ट्र की पुलिस टीमों को पता चला कि कुछ लोग जिन्होंने कुछ गलत किया है, एक कार में सवार हैं। इसलिए, उन्होंने सड़क पर एक एम्बुलेंस को रोकने की योजना बनाई ताकि रास्ता रोका जा सके। जब एम्बुलेंस रुकी, तो बहुत सारी कारें आपस में फंस गईं, जिसमें वह कार भी शामिल थी जिसमें गलत काम करने वाले लोग थे।

पुलिस कुछ ऐसे लोगों को पकड़ने की कोशिश कर रही थी जिन्होंने कुछ गलत किया था। ये लोग एक कार में थे और फिल्मों की तरह दूसरी खड़ी कारों से टकराकर भागने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन वे भाग नहीं पाए क्योंकि एक एम्बुलेंस ने उनका रास्ता रोक रखा था। पुलिस ने जल्दी से उनकी कार को बंदूकों से घेर लिया और अंदर मौजूद सभी लोगों को बाहर आने को कहा। जब बदमाश बाहर नहीं निकले, तो पुलिस ने कार की खिड़कियां तोड़कर उन्हें हिरासत में लेने के लिए बाहर निकाला।

पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उनके मोबाइल फोन से बहुत कुछ पता चल रहा है। वे आशीष चोपड़ा नाम के एक शख्स को पकड़ने की बहुत कोशिश कर रहे हैं, जिसके बारे में माना जाता है कि वह इस बुरे काम का सरगना है और दूसरे देश में रहता है। पुलिस गिरफ़्तार लोगों से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए सवाल पूछ रही है, जैसे कि उन्हें वह कार किसने दी जिसका उन्होंने इस्तेमाल किया, उन्हें हथियार कहाँ से मिले और बुरी घटना के बाद वे महाराष्ट्र कैसे पहुँचे। वे और अधिक सुराग पाने के लिए इन लोगों के पिछले संबंधों की जाँच कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि वे जल्द ही और भी अधिक जानकारी प्राप्त कर लेंगे।

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Punjab

CM Mann ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को लिखा पत्र, पंजाब यूनिवर्सिटी में जल्द चुनव करने की अपील

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CM Mann ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ प्रशासन से यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनाव जल्द से जल्द कराने की अपील की है. पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ हमारे राज्य की भावनात्मक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और संसाधनपूर्ण विरासत का हिस्सा है।

CM Mann के अनुसार, विश्वविद्यालय की सीनेट का गठन ऐतिहासिक रूप से हर चार साल में होता रहा है, जिसके सदस्यों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाता है। हालांकि, 31 अक्टूबर को मौजूदा सीनेट का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव नहीं हुए हैं, जो विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से चली आ रही परंपरा का उल्लंघन है। मान ने इस देरी को अभूतपूर्व और विश्वविद्यालय के हितधारकों, जिसमें संकाय, छात्र और पूर्व छात्र शामिल हैं, के लिए “अत्यधिक भावनात्मक” बताया।

भगवंत सिंह मान ने पत्र में लिखा कि 31 अक्टूबर, 2024 को मौजूदा सीनेट का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट चुनाव की घोषणा न करना राज्य के लिए बेहद भावनात्मक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय का गठन पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 (1947 का अधिनियम VII) के तहत किया गया था और इसकी स्थापना 1947 में देश के विभाजन के बाद लाहौर में पंजाब राज्य के मुख्य विश्वविद्यालय के नुकसान की भरपाई के लिए की गई थी। भगवंत सिंह ने कहा कि 1966 में राज्य के विभाजन के बाद, पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 ने अपनी स्थिति बनाए रखी, जिसका अर्थ है कि विश्वविद्यालय उसी तरह काम करता रहा जैसा वह था और वर्तमान पंजाब राज्य में शामिल क्षेत्रों पर इसका अधिकार क्षेत्र वैसे ही जारी रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि तब से ही पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ राज्य की भावनात्मक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और समृद्ध विरासत का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से हर चार साल बाद इसकी सीनेट का गठन किया जाता है, जिसके सदस्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाते हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि इस साल सीनेट के चुनाव नहीं हुए हैं, जबकि पिछले छह दशकों से ये चुनाव नियमित रूप से संबंधित वर्ष के अगस्त-सितंबर के महीनों में होते रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी सीनेट के चुनाव न करवा पाना, जिसका मौजूदा कार्यकाल 31 अक्टूबर को खत्म हो गया है, न केवल हितधारकों को निराश कर रहा है बल्कि यह किसी भी अच्छे शासन और कानून के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सीनेट चुनाव में देरी के कारण शिक्षकों, पेशेवरों, तकनीकी सदस्यों, यूनिवर्सिटी के स्नातकों और विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों में काफी नाराजगी है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह
यूनिवर्सिटी के नियमों के भी खिलाफ है, जिसके अनुसार हर चौथे साल चुनाव करवाना अनिवार्य है और इस देरी ने यूनिवर्सिटी के अकादमिक और पूर्व छात्र समुदायों में व्यापक चिंता पैदा कर दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया की जगह नामांकन प्रक्रिया को लाने की खबरें आग में घी डालने का काम कर रही हैं, क्योंकि इस तरह के बदलाव से विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक भावना कमजोर होगी और स्नातक मतदाताओं की आवाज दब जाएगी, जिन्होंने हमेशा संस्थान के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उपराष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करते हुए भगवंत सिंह मान ने उनसे आग्रह किया कि वे पंजाब विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन को विश्वविद्यालय की सीनेट के चुनाव उचित और समय पर करवाने के लिए सलाह दें।

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Punjab में प्रदूषण से हालात हुए खराब, लोगों का सांस लेना हुआ मुश्किल

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चंडीगढ़ और Punjab में पिछले 5 दिनों से हवा अच्छी नहीं है। बुधवार को सुबह-सुबह हवा की गुणवत्ता बहुत खराब थी, सेक्टर-22 के पास AQI 370 तक पहुंच गया। Punjab यूनिवर्सिटी के पास जैसे दूसरे इलाकों में AQI 320 था, और मोहाली के पास सेक्टर-52 में AQI 352 था। Punjab के आस-पास के इलाकों में भी हवा की गुणवत्ता बहुत अच्छी नहीं है: अमृतसर में AQI 254, बठिंडा में 151, जालंधर में 232, लुधियाना में 228, मंडी गोबिंदगढ़ में 289 और पटियाला में 269 है। रूपनगर में AQI 190 है।

भले ही Punjab सरकार इस मामले में बहुत सख्त है, लेकिन अभी भी फसल के बचे हुए हिस्सों को जलाने के कुछ मामले सामने आ रहे हैं, जिन्हें पराली जलाना कहते हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि इन मामलों की संख्या में कमी आ रही है। एक दिन में ही 83 नए मामले सामने आए, लेकिन सबसे अच्छी बात यह रही कि 9 जिलों में पराली जलाने की कोई घटना ही नहीं हुई। ये जिले हैं बरनाला, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर, मोगा, एसबीएस नगर, पठानकोट, रूपनगर, मोहाली और तरनतारन।

\सबसे ज्यादा मामले मुक्तसर में 22 और बठिंडा में 18 हुए। पटियाला में 9 मामले सामने आए। इस सीजन में अब तक पराली जलाने के कुल 7,172 मामले सामने आए हैं। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान चंडीगढ़ की हवा को साफ करने में मदद करने के लिए एक विशेष योजना है क्योंकि यह गंदी हो रही थी। इस वजह से, आपातकालीन या महत्वपूर्ण सेवाओं को छोड़कर, अभी डीजल जनरेटर (बिजली बनाने वाली बड़ी मशीनें) का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे परिणाम भुगतने होंगे।

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19 November को शपथ लेंगे नए पंच, जिला स्तर पर बैठकें की जाएंगी

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पंजाब में नए सरपंचों के चुने जाने के बाद 19 November को पंचों का शपथ ग्रहण समारोह होगा। हर जिले में विशेष कार्यक्रम होंगे और सरकार के मंत्री इस समारोह में शामिल होने आएंगे। पंचायत विभाग ने हर जिले के डिप्टी कमिश्नरों को इसके लिए तैयार रहने को कहा है। कार्यक्रम का आयोजन उसी तरह होगा, जिस तरह से सरपंचों को शपथ दिलाई गई थी। हालांकि, जिन चार जिलों में उपचुनाव हो रहे हैं, वहां के पंच अभी शपथ नहीं लेंगे। वे बाद में शपथ लेंगे।

डीसी नामक प्रभारी व्यक्ति कुछ महत्वपूर्ण बैठकें आयोजित कर रहे हैं। कई मंत्री हैं जो इन बैठकों में मदद करेंगे। हमारे राज्य में 83 हजार पंच (स्थानीय नेता) चुने गए हैं। हाल ही में लुधियाना में एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था, जिसमें करीब 11 हजार सरपंच (स्थानीय समूहों के प्रमुख) और उनके परिवार शपथ लेने आए थे। लेकिन चूंकि पंचों की संख्या बहुत ज्यादा है, इसलिए सभी के एक साथ इकट्ठा होने के लिए जगह मिलना मुश्किल है। इसके अलावा, 20 नवंबर को चार क्षेत्रों में चुनाव होने वाले हैं।

इस वजह से अब बैठकें एक साथ नहीं बल्कि हर जिले में होंगी। इस बार पंजाब में पंचायत चुनाव अलग थे क्योंकि लोगों ने राजनीतिक दलों को वोट नहीं दिया। सरकार ने एक नया नियम बनाया जिसके अनुसार गांवों में नेता, जिन्हें सरपंच कहा जाता है, गांव से ही होने चाहिए और उन्हें राजनीतिक दलों के आधार पर नहीं चुना जाना चाहिए। उन्हें लगा कि यह गांवों के लिए बेहतर होगा। सरकार ने सभी की सहमति से चुनी गई पंचायतों को अतिरिक्त धन देने का भी वादा किया। इस तरह से करीब तीन हजार गांव के नेता चुने गए।

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