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‘केंद्र में सत्ता नहीं, सेवा का अवसर मिला,’ मदन मोहन मालवीय की 162वीं जयंती पर बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार सुशासन के सिद्धांत का पालन करती है। उनकी सरकार को केंद्र में सत्ता नहीं बल्कि सेवा करने का अवसर मिला है। वह यह सोचकर बहुत प्रसन्नता का अनुभव करते हैं कि उन्हें पंडित मदन मोहन मालवीय की तरह ही काशी की सेवा करने का अवसर मिला है।
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की 162वीं जयंती पर एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी संकलित रचनाओं के 11 खंडों की प्रथम श्रृंखला का विमोचन कर कहा कि उनकी सरकार राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध कुछ संस्थानों की स्थापना कर रही है जैसे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के संस्थापक महामना के लिए ‘पहले राष्ट्र’ सर्वोपरि था।
देश महान हस्तियों का ऋणी है- पीएम
पीएम ने कहा कि देश उन महान हस्तियों का ऋणी है जिन्होंने राष्ट्र के लिए अमूल्य योगदान दिया है। वह मालवीय के काम को जारी करके बहुत अभिभूत महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मालवीय जी ने कई संस्थानों को देश को समर्पित किया है जो राष्ट्र निर्माण में जुटे हुए हैं। हमें आज यह देखकर गर्व होता है कि एक बार फिर भारत ऐसे राष्ट्र निर्माण वाले संस्थानों का गठन करने लगा है। हमने उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देकर एक नई शुरुआत की है।
सरकार ने मालवीय को भारत रत्न से सम्मानित किया
उन्होंने कहा कि आज का दिन उन लोगों के लिए प्रेरणा का उत्सव है जो भारत और भारतीयता में विश्वास करते हैं। मोदी ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि हमारी सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया है। महामना इसलिए भी खास हैं क्योंकि उनकी तरह ही मुझे भी काशी की सेवा करने का अवसर मिला है।
पीएम ने कहा कि मैं इसलिए भी सौभाग्यशाली हूं कि जब 2014 के चुनाव में मैंने नामांकन भरा था तो उसके प्रस्तावक महामना मालवीय के परिवार के लोग थे। महामना जैसी हस्ती एक सदी में एक ही बार पैदा होती है। वह अपने समय के सबसे बड़े विद्वान थे।