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Haryana की सियासत में लंबे समय तक शासन करने वाले प्रदेश के तीन लालों

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Haryana की सियासत में लंबे समय तक शासन करने वाले प्रदेश के तीन लालों चौ. देवीलाल, चौ. बंसीलाल व चौ. भजनलाल ने समय-समय पर जहां प्रदेश की सियासत को प्रभावित किया है तो राष्ट्रीय राजनीति में भी अपना प्रभाव छोड़ा है।

यूं तो तीनों ही लालों ने भाजपा के साथ मिलकर न केवल गठबंधन के तहत चुनाव लड़े हैं, बल्कि भाजपा के साथ सत्ता में भागीदार भी रहे हैं, मगर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चौ. बंसीलाल की पुत्रवधु किरण चौधरी व पौत्री श्रुति चौधरी के बुधवार को भाजपा में शामिल होने के साथ ही हरियाणा के सियासी इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है जब तीनों ही लाल परिवारों के अनेक सदस्य एक ही राजनीतिक दल में रहकर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाते हुए नजर आएंगे।

खास बात यह है कि ही तीनों ही लाल परिवारों के सदस्यों को भाजपा के झंडे के नीचे लाने का श्रेय प्रदेश के चौथे सियासी लाल मनोहर लाल खट्टर को जाता है। उल्लेखनीय है कि स्व. चौ. देवीलाल के परिवार से उनके बेटे चौ. रणजीत सिंह व पौत्र आदित्य देवीलाल पहले से ही भाजपा में हैं और चौ. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्रोई व पौत्र भव्य बिश्रोई ने 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी, तो अब प्रदेश के तीसरे सियासी लाल चौ. बंसीलाल की पुत्रवधु किरण चौधरी व पौत्री श्रुति चौधरी भी भाजपा में शामिल हो गई हैं।

ऐसे में कहा जा सकता है कि तीनों लालों के लालों को भाजपा में लाकर चौथे लाल मनोहर लाल ने प्रदेश की सियासत में एक नया इतिहास रच दिया है, जिससे अब तीनों लालों के लाल पहली बार एक साथ भाजपा की जय-जयकार करते हुए नजर आएंगे।

तीनों ही लालों का भाजपा से रहा है पुराना नाता

गौरतलब है कि तीनों ही लालों चौ. देवीलाल, चौ. बंसीलाल व चौ. भजनलाल के सियासी अतीत पर नजर दौड़ाएं तो इन तीनों ही लालों ने प्रदेश के साढ़े 57 वर्षों के सियासी सफर में करीब 28 वर्षों तक शासन किया और तीनों ही लालों का भाजपा के साथ पुराना नाता रहा है। विशेष बात यह है कि तीनों ही लालों ने कांग्रेस से अपने सियासी कॅरियर का आगाज किया।

साल 1982 में लोकदल और भाजपा ने मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था तो इससे पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और चौ. देवीलाल जनता पार्टी के बैनर तले 1977 के विधानसभा चुनाव में एक साथ थे। साल 1987 में चौ. देवीलाल की लोकदल और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा। चुनावों में लोकदल को 60, भाजपा को 16 सीटों पर जीत मिली थी और तब गठबंधन की सरकार में चौ. देवीलाल मुख्यमंत्री बने और भाजपा से डॉ. मंगलसेन उपमुख्यमंत्री बने थे।

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Haryana के BJP विधायक हरविंदर कल्याण ने अपने पिता का सपना किया पूरा, बने विधानसभा के नए अध्यक्ष

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Haryana विधानसभा के नए अध्यक्ष के रूप में भाजपा पार्टी के सदस्य और करनाल के घरौंदा का प्रतिनिधित्व करने वाले हरविंदर कल्याण को चुना गया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने उनके नाम का सुझाव दिया और सभी ने सहमति जताई। कल्याण इस महत्वपूर्ण पद को संभालने वाले 18वें व्यक्ति होंगे। कल्याण चुनाव जीते और अब लगातार तीसरी बार विधानसभा में हैं। लोगों को लगा कि वे सरकार में शामिल हो सकते हैं, लेकिन उन्हें किसी खास पद के लिए नहीं चुना गया। फिर उन्हें अध्यक्ष बनाने की खूब चर्चा हुई और अंत में उनकी पार्टी के नेताओं ने उन्हें अध्यक्ष बनाने का फैसला किया। कल्याण के पिता ने कुछ महत्वपूर्ण चुनाव जीतने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए।

कल्याण ने विधानसभा में पहुंचकर अपने पिता के सपने को साकार किया। पहले वे कांग्रेस नामक समूह का हिस्सा थे, लेकिन फिर वे भाजपा नामक एक अलग समूह में चले गए। जब ​​वे भाजपा के साथ चुनाव लड़े, तो लगातार तीन बार जीते! हरविंदर कल्याण मनोहर लाल नामक एक महत्वपूर्ण नेता के मित्र हैं, जो कभी मुख्यमंत्री हुआ करते थे। मनोहर लाल जब प्रभारी थे, तो उन्होंने हरविंदर के इलाके में हालात बेहतर बनाने में मदद की। मनोहर लाल जब भी करनाल जाते हैं, तो हरविंदर से जरूर मिलते हैं। कभी-कभी वे हरविंदर के घर भी जाते हैं। खट्टर के मुख्यमंत्री रहते हुए हरविंदर ने उनके इलाके में पंडित दीनदयाल उपाध्याय नाम से एक विश्वविद्यालय बनाने में मदद की थी। कल्याण को उनकी पार्टी ने कभी मंत्री नहीं बनाया, लेकिन उन्होंने इसकी शिकायत भी नहीं की। क्योंकि लोग उन्हें ईमानदार मानते हैं और उन्होंने अपने इलाके में कई महत्वपूर्ण काम करवाने में मदद की, इसलिए पुराने मुख्यमंत्री उन्हें बहुत पसंद करते हैं।

मनोहर लाल ने कल्याण को बीएसपी से बीजेपी में जाने में भी मदद की। हरविंदर कल्याण का जन्म कुटैल नामक गांव में एक किसान परिवार में हुआ था, जो करनाल नामक जगह पर है। यह हरियाणा नामक एक नए स्थान के बनने के ठीक एक साल बाद हुआ था। राजनीति में अपने काम में हरविंदर को कई अलग-अलग अनुभव हुए हैं। जब वे 18 साल के हुए, तो उन्होंने बाबासाहेब नाइक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग नामक कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की, जो महाराष्ट्र के पुसाद नामक शहर में है। उनकी पत्नी रेशमा कल्याण घर पर ही रहती हैं और कहानियाँ लिखती हैं। रेशमा के पिता मनोहर नाइक महाराष्ट्र के पुसद नामक स्थान पर लोगों के लिए निर्णय लेने में मदद करने वाले नेता हुआ करते थे। 2004 में, हरविंदर कल्याण कांग्रेस नामक समूह में एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में काम करते थे।

जब 2005 में विधानसभा के लिए चुनाव हुए, तो कई लोगों ने सोचा कि उन्हें किसी पद के लिए चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है। लोगों से मिलने और यह देखने के लिए कि गाँव का हाल कैसा है, उन्होंने पदयात्रा नामक एक लंबी पदयात्रा करने का फैसला किया। हरविंदर 18 दिनों तक पदयात्रा करते रहे और इस दौरान वे घर से दूर रहे। वे अपनी रातें गाँव वालों के साथ बिताते थे, उनके साथ खाना खाते और सोते थे। वहाँ रहते हुए उन्होंने गाँव की सभी समस्याओं के बारे में जाना। उन्होंने गाँव वालों से वादा किया कि अगर उन्हें उनके समर्थन से नेता बनने का मौका मिला, तो वे उन समस्याओं को हल करने में मदद करेंगे। लेकिन 2005 के चुनावों में, उन्हें चुनने के बजाय, कांग्रेस पार्टी ने वीरेंद्र सिंह राठौर नामक एक अलग व्यक्ति को चुना। हरविंदर कल्याण के पिता देवी सिंह कल्याण को राजनीति बहुत पसंद थी और वे राजनीतिज्ञ बनना चाहते थे। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण चुनाव जीतने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। भले ही वे हरियाणा में किसानों की मदद करने वाली एक कंपनी के अध्यक्ष बन गए, फिर भी उनकी इच्छा थी कि वे स्थानीय विधानसभा या संसद के सदस्य बन सकते थे।

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Haryana लेडी पुलिस कर्मी वाली से कंडक्टर का पंगा, टिकट के लिए हुई बहस

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एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें Haryana की एक महिला पुलिस अधिकारी राजस्थान की बस में सवार है। वीडियो में वह कहती है कि वह अपनी टिकट नहीं खरीदेगी क्योंकि बस में पुलिस अधिकारियों के लिए कोई विशेष किराया नहीं है। बस कंडक्टर ने सभी से कहा कि अगर वे बस में चढ़ना चाहते हैं तो उन्हें टिकट खरीदना होगा। कुछ लोगों ने एक महिला पुलिस अधिकारी से भी टिकट खरीदने के लिए कहा, लेकिन उसने भुगतान नहीं किया। इसके बजाय, उसने पूछा कि क्या उसे सिर्फ इसलिए भुगतान करना चाहिए क्योंकि उसने अपनी वर्दी पहन रखी है।

हालांकि, हम इस वीडियो की पुष्टि नहीं करते । एक लोकप्रिय वीडियो में, हरियाणा की एक महिला पुलिस अधिकारी राजस्थान की बस में सवार है। वीडियो हरियाणा के रेवाड़ी में धारूखेड़ा नामक स्थान का माना जा रहा है, क्योंकि अधिकारी वहां बस से उतरने वाली थी। कुछ लोगों को लगता है कि एक महिला अटेली से बस में चढ़ी। बस कंडक्टर, जो टिकट चेक करने वाला व्यक्ति होता है, उससे कह रहा है कि उसे धारूखेड़ा नामक स्थान पर जाने के लिए 50 रुपये देने होंगे।

अटेली से धारूखेड़ा तक के लिए टिकट की यह सही कीमत है। अभी बस कंडक्टर और महिला पुलिस अधिकारी के बीच टिकट की इस कीमत को लेकर मतभेद चल रहा है। बस कंडक्टर बार-बार टिकट मांगता है, लेकिन पुलिस अधिकारी उसे टिकट न देने के लिए कहता रहता है। बस में सवार कुछ लोग महिला पुलिस अधिकारी से टिकट खरीदने के लिए कहते हैं। कंडक्टर बस रोककर उसे एक तरफ हटने के लिए भी कहता है। लेकिन पुलिस अधिकारी फिर भी अपना मन नहीं बदलती।

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Panipat में मंगेतर ने नाराज़ होकर लड़की पर किया वार, दो साल पहले उनकी हुई थी सगाई

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हरियाणा के Panipat के एक गांव में एक युवक ने अपनी मंगेतर को धारदार हथियार से घायल कर दिया। दो साल पहले उनकी सगाई हुई थी, लेकिन उसके परिवार ने कहा कि वह 18 साल की होने के बाद ही उसके साथ जा सकती है। युवक उसे अपने साथ जाने के लिए कहता रहा, लेकिन उसने मना कर दिया। इसलिए, वह उसके घर में घुस गया और उस पर हमला कर दिया।

लड़की अब गंभीर हालत में अस्पताल में है, और पुलिस को उसके द्वारा किए गए कृत्य की शिकायत मिली है। सुशील गोयला खुर्द नामक गांव में रहता है। उसने पुलिस को बताया कि उसने अपनी 16 वर्षीय बेटी की शादी कुशल नाम के लड़के से करने का वादा किया था, जो जाखोदा नामक दूसरे गांव में रहता है। उनकी सगाई हो चुकी है, जिसका मतलब है कि वे शादी करने की योजना बना रहे हैं, लेकिन अभी तक उनकी शादी नहीं हुई है।

वे अपनी बेटी के 18 साल के होने तक शादी का इंतजार करेंगे। पिछले एक महीने से, एक आदमी वास्तव में एक लड़की को अपने साथ ले जाना चाहता था, लेकिन उसका परिवार नहीं चाहता था कि वह जाए। इसलिए, 23 अक्टूबर की देर रात, वह उसके घर में घुसने के लिए दीवार फांद गया। वह उसके कमरे में गया और उसे किसी नुकीली चीज से घायल कर दिया। जब उसके माता-पिता ने उसकी चीख सुनी, तो वे जाग गए और वह हथियार लेकर भाग गया।

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