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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कांग्रेस ने किया स्वागत, कहा- SC ने लोकतंत्र को भाजपा से बचाया

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नेशनल डेस्क: कांग्रेस ने चंडीगढ़ महापौर चुनाव परिणाम को उच्चतम न्यायालय द्वारा पलटे जाने के बाद मंगलवार को कहा कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने लोकतंत्र को ‘‘निरंकुश भारतीय जनता पाटी” के जबड़े से बचाया है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को चंडीगढ़ महापौर चुनाव के परिणाम को पलटते हुए आम आदमी पार्टी (आप)-कांग्रेस गठबंधन के पराजित उम्मीदवार कुलदीप कुमार को शहर का नया महापौर घोषित किया। न्यायालय ने 30 जनवरी के चुनाव के संचालन में गंभीर खामियां पाए जाने के बाद, निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ “कदाचार” के लिए मुकदमा चलाने का भी आदेश दिया। मसीह भाजपा नेता हैं।

चुनावी हेरफेर का सहारा लेती बीजेपी
खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने लोकतंत्र को निरंकुश भाजपा के जबड़े से बचाया है। भाजपा चुनावी हेरफेर का सहारा लेती है। चंडीगढ़ महापौर चुनाव में संस्थागत रूप से नुकसान पहुंचाने का प्रयास मोदी-शाह की लोकतंत्र को कुचलने की कुटिल साजिश का एक छोटा सा हिस्सा मात्र है।” उन्होंने दावा किया, ‘‘सभी भारतीय नागरिकों को हमारे संविधान पर इस हमले का सामूहिक रूप से मुकाबला करना चाहिए। कभी नहीं भूलें। 2024 के लोकसभा चुनाव में हमारा लोकतंत्र चौराहे पर होगा!”

फैसला लोकतंत्र को बचाने में मददगार
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा ”चंडीगढ़ महापौर के चुनाव पर माननीय उच्चतम न्यायालय का निर्णय भारतीय लोकतंत्र को बचाने में बहुत मददगार साबित होगा। पूरी चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से एक दिखावा थी, जो इस ऐतिहासिक फैसले से विधिवत उजागर हो गई है।” उन्होंने कहा, ‘‘हम 4 महीने से लगातार वीवीपैट की पूरी गिनती के मुद्दे पर चर्चा के लिए निर्वाचन आयोग से समय मांग रहे हैं, लेकिन अभी तक हमें समय नहीं मिला है। हमें उम्मीद है कि निर्वाचन आयोग तेजी से कदम उठाएगा और ऐसे कदम उठाएगा जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बढ़ेगा, न कि उसे ठेस पहुंचेगी।”

घपला किया, निर्वाचन अधिकारी ने कबूला
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इससे ज्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि निर्वाचन अधिकारी ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया कि उसने घपला किया है, लेकिन कुछ लोग कह रहे हैं कि उसने कोई घपला नहीं किया है।” उन्होंने दावा किया, ‘‘चंडीगढ़ के महापौर का चुनाव लोकतंत्र के इतिहास में काला अध्याय है। लगता है कि बनवारीलाल पुरोहित के राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने के (घटनाक्रम के) तार इस घपले से जुड़े हुए हैं। वह बहुत परिपक्व, ज्ञानी और सिद्धांत पर चलने वाले व्यक्ति हैं…राज्यपाल का अचानक से इस्तीफा हो जाना भी कुछ दर्शाता है।”

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NEET पेपर लीक मामले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हुई तीखी बहस, BJP ने राहुल गांधी पर बोला हमला

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संसद के मॉनसून सत्र की हंगामेदार शुरुआत हुई। नीट पेपर लीक मामले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई| NEET मुद्दे पर राहुल गांधी ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला है| अब इस बयान के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी पर सवाल उठाए हैं| BJP ने राहुल गांधी से पूछा कि क्या NEET मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वह माफी मांगेंगे |

NEET UG 2024 से जुड़े एक मामले पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मंगलवार को परीक्षा रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग वाली याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दीं कि इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है। कोर्ट के मुताबिक इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि परीक्षा की पवित्रता का उल्लंघन किया गया है |

भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फैसले के बाद विपक्षी कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा और उन पर अपने कठोर शब्दों से विश्व स्तर पर भारत की परीक्षा को बदनाम करने का आरोप लगाया। मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उनके शब्दों का चयन संसद की गरिमा और विपक्ष के नेता के पद की गरिमा का उल्लंघन करता है.

उन्होंने ‘कुर्सी बचाओ बजट’ बजट की गांधी की आलोचना को भी खारिज कर दिया और कहा कि अगर लोगों ने चुनावों में उन्हें और उनकी पार्टी को बार-बार खारिज किया है, तो यह भाजपा की गलती नहीं है। एनईईटी विवाद पर सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए, भाजपा नेता ने कहा कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी और 155 परीक्षार्थियों की उम्मीदवारी खारिज कर दी गई थी।

बता दें कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद में कहा था कि देश के लाखों छात्रों से जुड़े मुद्दे पर कुछ नहीं किया जा रहा है. यही चिंता की बात है। भारत की परीक्षा प्रणाली बकवास है. नेता प्रतिपक्ष के बयान की केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भी निंदा की है |

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58 देशों में वीज़ा फ्री एंट्री कर सकेंगे इंडियन, शक्तिशाली Passport की लिस्ट में भारत हुआ मजबूत

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किसी भी देश की ताकत का अंदाजा उसके Passport से लगाया जा सकता है। सिंगापुर का पासपोर्ट दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट है, अब भारत के पासपोर्ट की भी रैंकिंग बढ़ गई है। ब्रिटेन स्थित हेनले पासपोर्ट इंडेक्स की रैंकिंग के मुताबिक भारत को इस सूची में 82वां स्थान मिला है|

रैंकिंग इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के आंकड़ों पर आधारित है। 2022 में भारत 87वें स्थान पर था। जबकि 2023 में भारत 84वें स्थान पर था. भारतीय पासपोर्ट से 58 देशों में वीजा फ्री एंट्री मिलती है।

सिंगापुर पासपोर्ट धारक 195 देशों में वीज़ा मुक्त प्रवेश कर सकते हैं, सिंगापुर पासपोर्ट दुनिया का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट है।

दूसरे स्थान पर फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और स्पेन के पासपोर्ट हैं, जो 192 देशों और क्षेत्रों में वीजा-मुक्त प्रवेश प्रदान करते हैं।

ऑस्ट्रिया, फ़िनलैंड, आयरलैंड, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया और स्वीडन तीसरे स्थान पर हैं। प्रत्येक को 191 देशों में वीज़ा-मुक्त पहुंच प्राप्त है।

चौथे स्थान पर ब्रिटेन, बेल्जियम, डेनमार्क, न्यूजीलैंड, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड हैं।

वहीं, अमेरिका में एक दशक से अधिक समय से सूचकांक में गिरावट जारी है।

इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया छठे और संयुक्त राज्य अमेरिका आठवें स्थान पर है.

पाकिस्तान 100वें स्थान पर है

अगर पाकिस्तान की बात करें तो पाकिस्तान वैश्विक रैंकिंग की सूची में 100वें स्थान पर है। पाकिस्तानी पासपोर्ट के जरिए केवल 33 देशों में वीजा-मुक्त प्रवेश किया जा सकता है। साथ ही, 2023 में पाकिस्तानी पासपोर्ट पर बिना वीजा के केवल 32 देशों की यात्रा की जा सकती थी, लेकिन अब कोई 33 देशों की यात्रा कर सकता है।

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12 कॉलेजों के लिए Delhi सरकार ने जारी किए 100 करोड़, बजट में तीन गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी

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Delhi सरकार ने Delhi विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों को 100 करोड़ रुपये दिए। उच्च शिक्षा मंत्री आतिशी ने दूसरी तिमाही में कॉलेजों के लिए पैसे मंजूर किए।

दिल्ली सरकार ने वर्ष 2024-25 में कॉलेजों की मदद के लिए 400 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। यह केजरीवाल के दिल्ली का नेता बनने से पहले मिलने वाले पैसे से तीन गुना ज़्यादा है।

लोगों को कॉलेज जाने की सुविधा सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी संभालने वाली आतिशी ने कहा कि दिल्ली सरकार के लिए शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। वे हर साल बजट में शिक्षा के लिए काफ़ी पैसे अलग रखते हैं।

कुछ कॉलेजों में पैसे के प्रबंधन को लेकर समस्याएँ रही हैं। लेकिन सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इन गलतियों से उन कॉलेजों के शिक्षक और छात्र प्रभावित न हों। इसलिए, वे शिक्षकों को चिकित्सा और पेंशन लाभ दिलाने में मदद करने के लिए 100 करोड़ रुपये दे रहे हैं, जो वित्तीय समस्याओं के कारण उन्हें नहीं मिल पा रहे थे।

सरकार ने 2014-15 में कॉलेजों को 132 करोड़ रुपये दिए थे और अब वे इस वर्ष लगभग 400 करोड़ रुपये दे रहे हैं, जो कि तीन गुना से भी अधिक है।

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