Delhi
दिल्ली आबकारी घोटाला : आप सांसद संजय सिंह ने कोर्ट से जमानत के लिए किया अनुरोध
नेशनल डेस्क : आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह ने कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धनशोधन मामले में यहां की एक अदालत से उन्हें जमानत देने का बुधवार को अनुरोध किया। उन्होंने दावा किया कि उनके देश छोड़कर भागने की कोई आशंका नहीं है, समाज में उनकी प्रतिष्ठा है और उन पर गवाहों को प्रभावित करने का कोई आरोप भी नहीं है। सिंह के वकील ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश एम. के. नागपाल के समक्ष यह दलील दी। इस बीच, अदालत ने सिंह द्वारा दायर वह अर्जी स्वीकार कर ली, जिसमें उन्होंने गुवाहाटी में मानहानि के एक मामले में उनका प्रतिनिधित्व करने के लिए अपने वकील को अधिकृत करने संबंधी कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति मांगी है।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान, सिंह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मोहित माथुर ने कहा, ‘‘मेरे (संजय सिंह के) देश छोड़कर भागने की कोई आशंका नहीं है, समाज में मेरी प्रतिष्ठा है और 15 महीने तक मेरे ऊपर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में दखल देने या प्रभावित करने का कोई आरोप नहीं लगा।” वकील ने कहा कि सिंह के खिलाफ पूरक शिकायत (ईडी के आरोप पत्र के समान) पहले ही दायर की जा चुकी है। वकील ने कहा कि सिंह न तो आरोपी हैं, न ही उन्हें कभी गिरफ्तार किया गया था, न ही उन पर सीबीआई द्वारा जांच किए जा रहे अपराध (आबकारी घोटाले में कथित भ्रष्टाचार) में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।
वकील ने कहा, ‘‘मुझे (संजय सिंह) भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने समन तक नहीं भेजा है।” वकील ने कहा कि सिंह की गिरफ्तारी से पहले ईडी द्वारा दायर सभी पूरक आरोप पत्रों में उनका नाम कहीं भी नहीं था। अदालत अब इस मामले की सुनवाई नौ दिसंबर को करेगी, जब ईडी अर्जी पर अपनी दलील पेश कर सकती है। आप नेता संजय सिंह ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में 24 नवंबर को जमानत के लिए यहां की एक अदालत का रुख किया था। सिंह इस समय न्यायिक हिरासत में हैं।
सिंह ने अपनी अर्जी में यह भी कहा कि वह जमानत देते समय अदालत द्वारा लगाई गई किसी भी शर्त का पालन करने के लिए तैयार हैं। धनशोधन रोधी एजेंसी ने सिंह को चार अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। ईडी ने आरोप लगाया है कि सिंह ने आबकारी नीति तैयार करने और इसके कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इस नीति से कुछ शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को फायदा पहुंचा। हालांकि, सिंह ने इन आरोपों का खंडन किया है।