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Chandigarh

SYL पर हरियाणा की दो टूक, सुप्रीम कोर्ट का फैसला माने पंजाब या फिर कह दे न्यायपालिका पर भरोसा नहीं

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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के चीफ मीडिया कार्डिनेटर सुदेश कटारिया ने कहा है कि सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) बनाने के मामले में हरियाणा के हक में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कर पंजाब को अपना बड़प्पन दिखाना चाहिए। पंजाब यदि ऐसा नहीं करता है तो उसे यह भी स्पष्ट कर देना चाहिए कि उसका देश की न्यायपालिका व संवैधानिक प्रक्रियाओं में कोई भरोसा नहीं है। 

चंडीगढ़ में 28 दिसंबर को एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक होने वाली है। चंडीगढ़ में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सुदेश कटारिया ने कहा कि हरियाणा ने हमेशा से न्यायपालिका का सम्मान किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बहुत पहले से कह दिया था कि एसवाईएल नहर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, वह हरियाणा को स्वीकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला सुनाया और एसवाईएल बनाने के आदेश दिए, मगर पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार इस फैसले को पूरी तरह से अनदेखा कर रही है तथा मानने को तैयार नहीं है। 

सुदेश कटारिया ने कहा कि न्यायपालिका के आदेश की अनदेखी पंजाब को बहुत भारी पड़ेगी। फिलहाल तो हरियाणा के मुख्यमंत्री यह कह रहे हैं कि हम पानी के बंटवारे की बात बाद में कर लेंगे, पहले आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए एसवाईएल बनवा दो, लेकिन पंजाब अपने पास पानी नहीं होने की बात कहकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन पर कोई बात नहीं करना चाहता। कटारिया ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि केजरीवाल जब भी हरियाणा आते हैं, स्वयं को हरियाणा का बेटा बताते हैं। अब उन्हें अपने प्रदेश की जनता के हितों को कुचलने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से जवाब मांगना चाहिए कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। 

चीफ मीडिया कार्डिनेटर ने स्वयं ही जवाब दिया कि हरियाणा के हितों की अनदेखी को लेकर दिल्ली व पंजाब दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री मिले हुए हैं। केजरीवाल यह भूल रहे हैं कि जब दिल्ली प्यासी होती है तो हरियाणा ही उसकी प्यास बुझाता है। सुदेश कटारिया ने कहा कि पंजाब को इसे अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का सवाल न बनाकर हरियाणा के हितों की चिंता करनी चाहिए, क्योंकि काफी पानी पाकिस्तान व्यर्थ जा रहा है। इसलिए इस पानी को यदि उसका छोटा भाई पी लेगा या किसान खेती करने लगेंगे तो उसे क्या नुकसान होगा।

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