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भाजपा की जीत को शेयर बाजार की सलामी, रिकॉर्ड ऊंचाई पर सेंसेक्स-निफ्टी

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बिजनेस डेस्कः मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद 4 दिसंबर को शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी दिखी। सोमवार को शेयर बाजार नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। सेंसेक्स 1383.93 अंक चढ़कर 68,865.12 और निफ्टी 418.90 अंक बढ़त के साथ 20,686.80 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स ने 68,763.07 का ऑल टाइम हाई बनाया, तो वहीं निफ्टी ने भी 20,656.40 का हाई बनाया है।

इससे पहले सेंसेक्स का ऑल टाइम हाई 67,927 था, जो 15 सितंबर को बना था। वहीं निफ्टी का ऑल टाइम हाई 20,272.75 था जो उसने शुक्रवार 1 दिसंबर के कारोबार में बनाया था।
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बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 4.09 लाख करोड़ रुपए बढ़ा
सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान सेंसेक्स की लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 4.09 लाख करोड़ बढ़कर 341.76 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। सेंसेक्स में एसबीआई, आईसीआईसीआई, एलएंडटी, एनटीपीसी और एयरटेल के शेयर दो-दो प्रतिशत की बढ़त के साथ टॉप गेनर्स के रूप में कारोबार करते दिखे। इसके अलावे एमएंडएम, एचडीएफसी बैंक, बजाज फाइनेंस और एक्सिस बैंक के शेयर भी बढ़त के साथ खुले। केवल नेस्ले का शेयर लाल निशान पर खुला।

अडानी समूह के शेयरों में भी बढ़त
इस दौरान अडानी समूह के शेयर भी 14% तक उछले। अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस का शेयर 14 प्रतिशत चढ़ा जबकि अडानी पावर और अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयर 12 प्रतिशत तक मजबूत हुए। अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस और अडानी विल्मार के शेयरों में 6-8% तक की बढ़त दिखी।

सरकारी बैंकों ने बनाया नया रिकॉर्ड
सरकारी बैंकों में रिकॉर्ड तेजी के दम पर निफ्टी पीएसयू बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन 12 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच चुका है। खास बात है कि साल 2023 में निफ्टी पीएसयू बैंकिंग इंडेक्स में 23% की तेजी देखने को मिली है। दरअसल, सरकारी बैंकों के बेहतर नतीजों और आकर्षक वैल्युएशन के दम पर यह तेजी देखने को मिल रही है। कई सरकारी बैंकों के शेयरों में इस साल लगभग 50% तक की तेजी देखने को मिली है।

इस साल अब तक इस इंडेक्स में शामिल सरकारी बैंकिंग स्टॉक्स में तेजी की बात करें Bank of Maharashtra 49%, Central Bank और PNB 48% की तेजी दिखा चुका है. इसके अलावा Indian Bank 44%, Union Bank 42%, Canara Bank 28% और Punjab and Sind Bank 25% की तेजी दिखा चुका है।

वैल्युएशन के लिहाज से भी सरकारी बैंक बेहद आकर्षक स्थिति में नजर आ रहे हैं। Bank of Maharashtra का P/E 9.4 गुना है। बैंक वैल्यू के मुकाबले यह स्टॉक करी 94% ऊपर है। इसी तरह Central Bank का P/E 18.9 गुना है और यह बुक वैल्यू से 41% ऊपर है। PNB Bank का P/E 15.6 गुना, Indian Bank का 7.40 गुना, Union Bank का 7.06 गुना, Canara Bank का 8.3 गुना पर है।

अमेरिकी बाजार में भी रही थी तेजी
अमेरिकी बाजार शुक्रवार को जोरदार तेजी पर बंद हुए थे। डाऊ जोन्स में 295 अंकों की बढ़त रही और यह 36,245.50 के लेवल पर बंद हुआ था। नैस्डैक कंपोजिट में 79 अंकों की तेजी रही और यह 14,305.03 के लेवल पर बंद हुआ।

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Supreme Court ने Ramdev और पतंजलि की माफी को फिर किया खारिज

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supreme court refuses to accept appolgy of Ramdev and Patanjli

लोग, जो इन उत्पादों के लिए अच्छे पैसे देते हैं, अंत में अपने स्वास्थ्य की कीमत पर पीड़ित होते हैं… यह बिल्कुल अस्वीकार्य है, Supreme Court ने कहा

Supreme Court ने बुधवार को योग गुरु बाबा Ramdev, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण से अवमानना मामले में दूसरे दौर की माफी स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसमें फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों के बारे में चिंता जताई गई।

पीड़ित हमेशा जनता होती है। हम उन सभी FMCG कंपनियों के बारे में चिंतित हैं जो अपने उपभोक्ताओं और ग्राहकों को ऊपर और नीचे ले जा रही हैं, उन्हें बहुत अच्छी तस्वीरें दिखा रही हैं कि उनके उत्पाद उनके लिए क्या कर सकते हैं। जो लोग इन उत्पादों के लिए अच्छे पैसे देते हैं, वे अंततः अपने स्वास्थ्य की कीमत पर पीड़ित होते है यह बिल्कुल अस्वीकार्य है, “Justice Hema Kohli ने कहा।

Justice अहसानउद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा

पतंजलि आयुर्वेद द्वारा मधुमेह और मोटापे से लेकर लीवर की शिथिलता और यहां तक कि महामारी के महीनों के दौरान Covid-19 के इलाज के लिए आपत्तिजनक और भ्रामक विज्ञापन दवा और जादू उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 और इसके नियमों का जानबूझकर और जानबूझकर उल्लंघन था ।

Supreme Court ने 27 फरवरी को पतंजलि आयुर्वेद और बालकृष्ण के खिलाफ नवंबर 2023 में दिए गए एक वचन का उल्लंघन करने के लिए अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी कि वे 1954 के अधिनियम का उल्लंघन करते हुए “उपचार” का विज्ञापन करने से बचेंगे। 21 नवंबर को, शीर्ष अदालत ने कंपनी को निर्देश दिया था कि वह अपने औषधीय उत्पादों की प्रभावकारिता के बारे में प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कोई “अनौपचारिक बयान” न दे या एलोपैथी सहित चिकित्सा के अन्य विषयों के बारे में कोई अपमानजनक बयान न दे। हालांकि, अगले ही दिन श्री रामदेव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।

हम सोच रहे हैं कि हमें आपकी माफी को उसी तिरस्कार के साथ क्यों नहीं लेना चाहिए जैसा आपने इस अदालत को दिए गए वचन के साथ किया था? न्यायमूर्ति कोहली ने प्रस्तावित अवमाननाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी को संबोधित किया।

Also read: Ramdev ने भ्रामक विज्ञापनों (Ads) के मामले के लिए Supreme Court से माफी मांगी। रामदेव के वकील ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से अदालत से माफी मांगना चाहते हैं।

न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने टिप्पणी की कि “दीवार पर लेखन सादा होने” के बाद ही तीनों ने माफी मांगी।

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि उनका आचरण, जब अवमानना की कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, जब वे खुद को घेर लेते हैं तो वे अहंकार से घोर आत्मसमर्पण में बदल जाते हैं।

अपने आदेश में, अदालत ने दर्ज किया कि अवमाननाकर्ताओं, रामदेव और बालकृष्ण ने शीर्ष अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से बचने की कोशिश की थी।

न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि यह इस तरह का आचरण था जिसने सर्वोच्च न्यायालय का मजाक उड़ाया, जनता ने दावा किया कि न्यायाधीश हाथीदांत की मीनार में बैठे थे।

अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह कानून तोड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति या प्राधिकरण के खिलाफ बिना किसी दया के कार्रवाई का निर्देश देगी।

“हमें दया क्यों दिखानी चाहिए जब जनता को इलाज के रूप में बताई जाने वाली दवाओं द्वारा धोखा दिया जाता है?” जस्टिस कोहली ने पूछा। अदालत ने अवमानना मामले को 16 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया।

सुनवाई में अदालत ने भ्रामक विज्ञापनों पर आंखें मूंद लेने का विकल्प चुनने के लिए उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण पर अपना गुस्सा निकाला।

“आपने अपने अँगूठे हिलाये… हमें आपके अधिकारियों पर एक टन ईंटों की तरह क्यों नहीं उतरना चाहिए? न्यायमूर्ति कोहली ने अदालत कक्ष में मौजूद उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी से कहा, “आप 2018 से 2024 तक गहरी नींद में थे, जब उनके उत्पादों के बारे में पहली शिकायत आई थी।

अधिकारी ने कहा कि वह अब प्रथम FIR (एफआईआर) दर्ज करेंगे। न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि इतने सालों के बाद उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है।

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Restaurants में खाना या ऑर्डर करना अब 10 फीसदी तक महंगा 

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2024 में तेल, चीनी, सब्जियों के दाम 15% बढ़ने का असर….

18 महीने में पहली बार बढ़ी कीमतें 

” करीब डेढ़ साल बाद खाने-पीने की चीजों का दाम बढ़े हैं। ये वृद्धि मोटे तौर पर 10% हुई है, लेकिन ये कुछ शहरों में कीमतें ज्यादा बढ़ी हैं। कैजुअल और फाइन डाइनिंग पर खर्च ज्यादा बढ़ सकता है।”

खाने की चीजें महंगी होने के बाद अब रेस्टोरेंट में जाकर खाना और ऑर्डर करना Restaurants में खाना या ऑर्डर करना अब 10 फीसदी तक महंगा होने वाला है। इस माह से कई रेस्टोरेंट संचालकों ने दाम बढ़ाना शुरू कर दिया है। क्विक सर्विस रेस्टोरेंट और साधारण फूड जॉइंट में ये बढ़ोतरी 10% तक हो सकती है। कैजुअल और फाइन डायनिंग के लिए जेब पर इससे भी ज्यादा बोझ बढ़ सकता है। 18 महीनों से रेस्टोरेंट्स ने मेन्यू के रेट्स नहीं बढ़ाए थे। अब बढ़ोतरी की वजह साफ है। जनवरी में खाद्य पदार्थों की महंगाई 8.3% थी, जो फरवरी में बढ़कर 8.66% हो गई। सालभर में पाम ऑयल से लेकर सब्जियां, आटा, चावल, दाल, मसालों तक की कीमतें 10-15% बढ़ गई हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोको के दाम दोगुने होकर करीब 80 हजार रुपए प्रति टन तक पहुंच गए हैं।

रेस्टोरेंट के मेन्यू महंगे होने की वजह

• दाल, चावल, मसाले, सब्जियां, दूध आदि की कीमतें 15 फीसदी तक बढ़ीं 

• लेबर कॉस्ट ( कर्मचारियों के वेतन आदि) में इजाफा 

• लाल सागर में तनाव के चलते आयात होने वाली कमोडिटी की लागत बढ़ना 

• मौसम की वजह से फसलों का उत्पादन घटने से भविष्य में कीमतों में बढ़ोतरी।

सालभर में दालें सबसे ज्यादा 36% महंगी

चीनी – 10%

कॉफी – 15%

पॉम ऑयल – 10%

सब्जियां – 30%

दालें – 36%

आटा – 08%

चावल – 15%

मिल्क प्रोडक्ट – 08%

अन्य खर्च – 15%

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Mobile Retailers पर कंपनियों की सख्ती

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Online Platforms पर डिस्काउंट देकर कंपनियों द्वारा निर्धारित मिनिमम ऑपरेटिंग प्राइस (MOP) से भी सस्ते दाम पर मोबाइल बेचने वाले रिटेलर्स पर अब मोबाइल कंपनियां सख्त हो रही हैं। दरअसल इसकी वजह से ऑफलाइन मार्केट में बिक्री पर असर पड़ता है। ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन ने इन कंपनियों से शिकायत की थी कि ऑनलाइन ये प्रोडक्ट (MOP) से 2 हजार रु. तक सस्ते बेचे जा रहे हैं। इससे ऑफलाइन विक्रेताओं की क्रेडिबिलिटी घटती है। ऐसी शिकायत मिलने के बाद अब मोबाइल ब्रांड्स द्वारा देश के कई राज्यों में रिटेलर्स से वचन पत्र भरवाए जा रहे हैं कि वे अधिकृत प्लेटफार्म के बाहर स्मार्टफोन की बिक्री नहीं करेंगे। गौरतलब है देश में फिर से मोबाइल फोन की ऑफलाइन बिक्री बढ़ रही है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की हिस्सेदारी जनवरी-फरवरी में बीते साल के 49% से घटकर 48% पर आ गई।

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