Uttar Pradesh
सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए CJI Chandrachud, याद रखे जाएंगे महत्वपूर्ण फैसले
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार, 8 नवंबर, 2024 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने दो साल पूरे कर लिए और रविवार, 10 नवंबर को आधिकारिक रूप से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे। अपने कार्यकाल के अंतिम दिन CJI Chandrachud ने 45 मामलों की सुनवाई की। वे 13 मई, 2016 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में शामिल हुए। मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वे 1274 समूहों का हिस्सा थे जिन्होंने निर्णय लिए और 612 महत्वपूर्ण फैसले लिखे।
CJI Chandrachud ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कई महत्वपूर्ण विकल्प चुने हैं। आइए उनके द्वारा लिए गए कुछ बड़े फैसलों पर नज़र डालें।
राजनीतिक दलों को पैसे से मदद करने से बदले में कुछ अच्छे नियम बनाए जा सकते हैं। लेकिन सिर्फ़ चुनावी बॉन्ड का इस्तेमाल करना गुप्त या अवैध धन को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है।
फरवरी में, लोकसभा के लिए बड़े चुनावों से पहले, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अगुवाई में पाँच जजों के एक समूह ने फैसला किया कि राजनीतिक दलों को पैसे दिलाने में मदद करने के लिए एक विशेष योजना, जिसे चुनावी बॉन्ड योजना कहा जाता है, ठीक नहीं है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह योजना अनुचित है और इससे लोग गुप्त तरीके से राजनीतिक दलों को पैसे दे सकते हैं।
जजों के एक समूह ने भारतीय स्टेट बैंक से कहा कि वह चुनावों के लिए विशेष धन बॉन्ड देना तुरंत बंद कर दे। उन्होंने चुनाव आयोग से अप्रैल 2019 से इन बॉन्ड से पैसे पाने वाले राजनीतिक दलों के नाम ऑनलाइन साझा करने को भी कहा।
इस महीने की शुरुआत में, जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई में नौ जजों के एक समूह ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया। वे ज़्यादातर सहमत थे, जिसमें 8 जजों ने हाँ कहा और सिर्फ़ 1 ने ना कहा। उन्होंने फैसला किया कि सरकार हर निजी संपत्ति को सभी की मदद के लिए नहीं ले सकती। यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 31सी नामक एक नियम से जुड़ा है।
जो लोग समान लिंग के किसी व्यक्ति से प्यार करते हैं, उन्हें एक साथ रहने और एक परिवार के रूप में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करने में मदद करनी चाहिए कि उन्हें भी बाकी सभी लोगों की तरह ही अधिकार प्राप्त हों, ताकि वे बिना किसी समस्या के खुश रह सकें। साथ ही, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि केवल सीधे जोड़े ही अच्छे माता-पिता हो सकते हैं।
अक्टूबर 2023 में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के नेतृत्व में पाँच महत्वपूर्ण न्यायाधीशों के एक समूह ने फैसला किया कि समलैंगिक विवाह को अभी कानून द्वारा अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि विवाह करने का कोई विशेष अधिकार नहीं है जो हर किसी के पास हो, सिवाय उन विवाहों के जिन्हें कानून ठीक कहता है। न्यायाधीशों ने कहा कि यह कानून बनाने वालों पर निर्भर करता है कि वे ऐसा कानून बनाना चाहते हैं या नहीं, जिससे हर कोई अपने प्यार से विवाह कर सके। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सरकार एक महत्वपूर्ण अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम बनाने जा रही है, जो समलैंगिक जोड़ों के सामने आने वाली समस्याओं पर विचार करेगी।
मदरसा अधिनियम में धर्म के बारे में कुछ पाठ शामिल हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह नियमों के विरुद्ध है। यह स्कूलों को एक विशेष समूह की पुस्तकों का उपयोग करके पढ़ाने में मदद करता है जो धर्म के बारे में पढ़ाने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करता है कि सीखना अच्छा हो।
Uttar Pradesh
Hazratganj: अतिक्रमण को लेकर दो गुटों में झगड़ा, पुलिस और नगर निगम की उदासीनता पर सवाल
बुधवार दोपहर Hazratganj के नवल किशोर रोड पर अतिक्रमण को लेकर हुए विवाद ने बवाल का रूप ले लिया। लीला सिनेमा के सामने एक समोसे की दुकान से शुरू हुई कहासुनी ने जल्द ही हिंसक झगड़े का रूप ले लिया। हालांकि, पुलिस तब मौके पर पहुंची जब मामला शांत हो चुका था।
कैसे हुआ विवाद?
दोपहर करीब दो बजे, समोसा खाने आए एक युवक और दुकान मालिक के बीच पार्किंग को लेकर बहस हो गई।
युवक ने दुकान मालिक को टोकते हुए कहा कि उसकी दुकान भी सड़क पर अवैध रूप से लगाई गई है।
कहासुनी मारपीट में बदल गई, जिसमें दुकानदार और उसके कर्मचारियों ने युवक को पीटा।
युवक ने अपनी टीम बुला ली, और फिर दुकान मालिक के कर्मचारियों पर हमला किया गया।
इस दौरान युवक के साथी दो समूहों में बंट गए। एक टीम विष्णु नारायण इंटर कॉलेज की ओर गई, जबकि दूसरी टीम लीला सिनेमा की ओर दौड़ पड़ी। सड़कों पर यह झगड़ा देखने वालों के लिए अराजकता का माहौल पैदा कर गया।
अतिक्रमण बना झगड़े की जड़
स्थानीय निवासियों और व्यापारियों के अनुसार, नवल किशोर रोड पर अतिक्रमण की समस्या लगातार बढ़ रही है।
सड़क पर खुले दफ्तर, दुकानें और वेंडरों के कारण रास्ता संकरा हो गया है।
वाहन सड़क पर खड़े रहते हैं, जिससे जाम की स्थिति बन जाती है।
बिना वेंडिंग ज़ोन के दुकानों और ठेलों ने सड़क के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है।
प्रशासन की उदासीनता
अतिक्रमण हटाने में नगर निगम और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम अवैध कब्जों को हटाने में पूरी तरह लापरवाह है।
पुलिस भी इन मामलों में मौन बनी रहती है, जिससे विवाद और झगड़ों की घटनाएं बढ़ रही हैं।
यातायात और सुरक्षा पर असर
अतिक्रमण के कारण नवल किशोर रोड पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
सड़क पर एक वाहन निकलने भर की जगह ही बचती है।
यदि कोई वाहन गलत दिशा से आ जाए तो जाम लगना तय है, जो अक्सर विवाद का कारण बनता है।
पूड़ी-सब्जी और समोसे की दुकानों के बाहर खड़े ग्राहकों और वाहनों से समस्या और गंभीर हो जाती है।
निवासियों की मांग
स्थानीय लोगों ने नगर निगम और पुलिस से अतिक्रमण हटाने की सख्त मांग की है।
यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो सड़क पर झगड़े और जाम की समस्या गंभीर रूप ले सकती है।
प्रशासन को वेंडिंग जोन बनाकर दुकानों और ठेलों को व्यवस्थित करना चाहिए।
Uttar Pradesh
Bihar के हत्या आरोपी, साधु के भेष में लूट करते गोरखपुर में गिरफ्तार
Bihar में हत्या के आरोपी, साधु के भेष में गोरखपुर में लूट की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। तारामंडल के यशोधरा कुंज इलाके में एक महिला से लूट करने के बाद रामगढ़ताल पुलिस ने चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। इनकी पहचान बिहार के जहानाबाद जिले के काको थाना क्षेत्र के हाजीपुर नदियावा निवासी पारस नट उर्फ लाठौर, गेंहरी नट, मारकण्डेय नट और परमिला उर्फ संतरा के रूप में हुई है। परमिला जोगी उर्फ योगी नट की पत्नी है, जबकि जोगी और पारस नट अगस्त में बिहार में हत्या करने के बाद फरार हो गए थे। पुलिस अब जोगी की तलाश में जुटी है।
लूट की घटना का तरीका
19 नवंबर को यशोधरा कुंज की निवासी साधना सिंह ने रामगढ़ताल थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि सुबह करीब 10 बजे, दो अज्ञात व्यक्ति उनके कमरे के सामने भीख मांगने के लिए आए। ये दोनों साधु के भेष में थे और कामाख्या देवी के नाम पर कुछ चावल देने के बहाने उनके गहनों को चुराने का प्रयास कर रहे थे। आरोपितों ने चावल के साथ उनका मंगलसूत्र, कान की बालियां और अंगूठी रखवा दी और दावा किया कि इससे उनके धन में वृद्धि होगी।
कुछ देर बाद जब महिला ने चावल के साथ रखी पोटली खोली, तो उसमें मिट्टी जैसा पदार्थ निकला। शोर मचाने पर वही गिरिजा देवी नाम की महिला भी वहां आईं और बताया कि उनके साथ भी यही घटना घटी थी।
पुलिस की कार्रवाई
शिकायत मिलने के बाद रामगढ़ताल पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि ये आरोपी साधु के भेष में घूमते थे और महिलाओं को झांसा देकर उनके गहनों को चुराते थे। गिरफ्तार आरोपितों से पुलिस ने दो मंगलसूत्र, एक जोड़ी कान की बालियां, 27 ताबीज, 14 पीली धातु, चार अंगूठियां और 40 सफेद धातु की अंगूठियां बरामद की हैं।
पुलिस ने आरोपितों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया है, जबकि फरार आरोपित जोगी उर्फ योगी नट की गिरफ्तारी के लिए एक टीम उसकी तलाश कर रही है।
Uttar Pradesh
सपा अध्यक्ष Akhilesh Yadav ने गोरखपुर नगर निगम में आउटसोर्सिंग भर्तियों पर सरकार पर साधा निशाना
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष Akhilesh Yadav ने गोरखपुर नगर निगम में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और लेखपाल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए हो रही भर्तियों पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने इस मामले में व्यंग्य करते हुए कहा कि भाजपा को अपनी पूरी सरकार को आउटसोर्स कर देना चाहिए, ताकि सभी कमीशन एक ही जगह से और एक साथ मिल सके।
गोरखपुर नगर निगम ने 18 नवंबर को एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें इन महत्वपूर्ण पदों के लिए आउटसोर्सिंग के माध्यम से आवेदन मांगे गए थे। इन पदों के लिए 7 दिसंबर तक आवेदन की अंतिम तिथि रखी गई है। तहसीलदार को 35 हजार रुपये, नायब तहसीलदार को 30 हजार रुपये, राजस्व निरीक्षक को 29 हजार रुपये और लेखपाल को 27 हजार रुपये मानदेय देने की बात कही गई है। नगर निगम का कहना है कि कार्यभार अधिक होने के कारण सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों को इन पदों पर नियुक्त किया जाएगा।
अखिलेश यादव ने इस निर्णय का विरोध करते हुए इसे पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समुदाय के खिलाफ एक आर्थिक साजिश करार दिया। उन्होंने भाजपा से इस प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग की और कहा कि सरकार का यह कदम नौकरी और आरक्षण के संवैधानिक अधिकार को छीनने जैसा है। उन्होंने इसे निंदनीय बताया और कहा कि इस तरह की नौकरियों का विरोध उन्होंने पहले भी किया था।
इसके अलावा, अखिलेश यादव ने गुरुवार को उपचुनावों के परिणामों के बाद प्रदेशवासियों के नाम एक चिट्ठी लिखी। उन्होंने प्रशासनिक दबाव के बावजूद मतदान के दौरान प्रदेश की जनता का हौसला बनाए रखने के लिए सभी का धन्यवाद किया। अखिलेश ने कहा कि नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भाजपा के खिलाफ पीडीए की एकजुटता, सम्मान और अधिकारों के लिए थे। उन्होंने दावा किया कि भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद पीडीए ने नैतिक रूप से सभी नौ सीटों पर जीत हासिल की है।
अखिलेश यादव ने प्रदेशवासियों से आग्रह किया कि वे अपने वोट की रक्षा करें और जीत का प्रमाणपत्र लेकर जनसेवा में जुट जाएं। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं, उम्मीदवारों और पत्रकारों को भी शुभकामनाएं दी।
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