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पंजाब में ड्रग्स, हिंसा और म्यूजिक पर रखी गई थी आतंकी-गैंगस्टर गठजोड़ की बुनियाद

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जालंधर: पंजाब में आतंकी गैंगस्टर गठजोड़ घातक सिद्ध होता जा रहा है। इस गठजोड़ की पटकथा पाकिस्तानी एजेंसी आई. एस. आई. ने 90 के दशक में लिख डाली थी। इसके लिए एजेंसी ने पंजाब में ड्रग के कारोबार की बुनियाद रखी, जिससे गैंगस्टर पैदा हुए और बाद में इन्हीं गैंगस्टरों को खालिस्तान की लड़ाई में झोंक दिया गया। 2000 के बाद यह सिलसिला बदस्तूर जारी है और अब हालात यह हैं कि आतंकी गैंगस्टर गठजोड़ के बाद इस से होने वाली कमाई का निवेश विदेशों में पंजावी म्यूजिक इंडस्ट्री में किया जा रहा है, जिसमें रैपर गन कल्चर और हिंसा से जुड़े पंजाबी गानों को प्रमोट कर रहे हैं।  आपको जानकार हैरत होगी कि आई. एस. आई. ने करीब 30 साल की लंबी साजिशों के बाद भारत के खिलाफ यह नेटवर्क विदेशों तक खड़ा करने में कामयाबी हासिल कर ली है।

खात्मे के बाद क्यों पनपा फिर से आतंक पंजाब में 1992 में “ऑप्रेशन नाइट डोमिनेंस के बाद आतंकवाद की जड़ें पंजाब से उखड़ चुकी थीं। खालिस्तान की लड़ाई को भी विराम लग चुका था। खून-खराबे से परेशान पंजाब के लोग शांति चाहते थे, फिर से सवाल उठता है कि खालिस्तानी आतंकवाद पंजाब में अभी भी क्यों जिंदा है। इसके लिए थोड़ा अतीत में झांकने की जरूरत है। मामले से जुड़े जानकारों की मानें तो पंजाब पुलिस ने 1994-95 तक आतंकवाद का खात्मा करकामा रहे हासिल कर ली थी, लेकिन जिन लोगों ने इस दौर में अपने को खोया था उनके जख्मों पर मरहम लगाने वाला कोई नहीं था।

पहले कम कमीशन पर रखे जाते थे तस्कर

यू.पी.एस.सी के लिए मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने वाले शिक्षाविद पवन सिंह कहते हैं रूस के अफगानिस्तान से जाने के बाद पाकिस्तान को यह समझ आ गई थी कि इस के कारोबार से कैसे पंजाब में अशांति फैलाई जा सकती है। अमरीका के दिए इस सुझाव को उसने भारत के पंजाब में लागू करने की योजना तैयार की। पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान में शुरू की गई इस की पैदावार की खपत करने के लिए आई. एस. एस. ने बार्डर के जरिए इस पंजाब में भेजनी शुरू की। इसके लिए पंजाब
के विभिन्न जिलों में कमीशन पर तस्कर रखे गए थे। इन तस्करों को इस बेचने के लिए छोटी-मोटी कम दी जाती थी और इम्स की कमाई का सारा पैसा हवाला के अरिए पाकिस्तान भेज दिया जाता था।

पंजाब में गैंगस्टर और गैंगवार की शुरूआत

पवनीत सिंह कहते हैं कि आई.एस.आई. द्वारा शुरू किया गया यह कारोबार पंजाब में 2000 तक पूरी तरह से फैल चुका था पाकिस्तान से आई इस को बेचने के लिए तस्करों में कम्पीटिशन होने लगा। आपसी दुश्मनी के कारण ये तस्कर कई गुटों में बंट गए और पंजाब में गैंगस्टरों और गैंगवार के युग की शुरूआत हुई। आपको पहले ही बता चुके हैं कि यह आई. एस. आई. की दीर्घकालिक साजिश के तहत ही हो रहा था। एक अन्य जानकारी के मुताबिक पंजाब में आतंकवाद के खात्मे के बाद कई खालिस्तानी आतंकियों को पाकिस्तान पहले ही पनाह दे चुका था। इनमें वा सिंह, रणजीत सिंह उर्फ नीटा, परमजीत सिंह पंजवड़, गजेन्द्र सिंह और लखबीर सिंह रोडे प्रमुखता से शामिल थे। इन गैंगस्टरों का ये पुराने खालिस्तानी आतंकी मार्गदर्शन करने लगे।

म्यूजिक के नाम पर गनकल्चर और हिंसा को बढ़ावा

शिक्षाविद पवनीत सिंह कहते हैं कि “इरस और फिरौती के धंधे से कमाए हुए  पैसे का इस्तेमाल अब कनाडा जैसे देशों में पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में किया जा रहा है जहां पर चरमपंथियों की इच्छा के मुताबिक पंजाब में गन कल्चर और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए गाने तैयार किए जा रहे हैं। यह कहते हैं कि इसमें टूड सरकार में शामिल एक पंजाब नेता भी इस तरह के इवेंट्स की प्रोत्साहन देने का कार्य कर रहा है। वह कहते हैं कि पाकिस्तान एक साजिश के तहत पंजाब के समय में नैतिक रिश्तों को समाप्त कर माहौल खराब करना चाहता है। पंजाब में डेरों और सिख समुदाय के लोगों में तनाव की असली वजह भी पाकिस्तानी आई. एस. आई. की है। इसलिए सरकार को पंजाब को लेकर एक ठोस रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।

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