Haryana
Haryana के बेटे ने चमकाया अपने घर वालों का नाम, न्यायिक सेवा में हासिल की सफलता
Haryana के कुरुक्षेत्र के रहने वाले दीपक जगलान ने हरियाणा न्यायिक सेवा नामक बड़ी परीक्षा में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। वे कैथल जिले के बालू नामक एक छोटे से गाँव से आते हैं। उनके पिता रामफल जगलान सिंचाई विभाग में उप-विभागीय अधिकारी के पद पर काम करते थे, लेकिन दुखद रूप से 2017 में उनका निधन हो गया। दीपक अपने गाँव से इस तरह से सफल होने वाले पहले व्यक्ति हैं, और वे कुरुक्षेत्र से भी एकमात्र व्यक्ति हैं, जिन्होंने इस बार इस परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया है। दीपक ने बताया कि उनके पिता हमेशा से न्यायिक सेवा में काम करना चाहते थे, इसलिए दीपक ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की।
उन्होंने बहुत मेहनत की और बिना किसी अतिरिक्त मदद के अपने दूसरे प्रयास में ही सफल हो गए। वे कुरुक्षेत्र में स्कूल गए क्योंकि उनके पिता वहीं काम करते थे। उसके बाद, उन्होंने चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के एसडी कॉलेज से विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की। आज, उनका परिवार और रिश्तेदार बहुत खुश हैं, और दीपक को सबसे ज़्यादा खुशी इसलिए महसूस होती है क्योंकि उन्होंने अपने पिता के सपने को साकार किया, भले ही उनके पिता अब जीवित नहीं हैं। उन्होंने अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों को उनका साथ देने और इस बड़ी उपलब्धि तक पहुँचने में मदद करने के लिए धन्यवाद दिया।
दीपक के पिता का निधन हो गया, और चूँकि दीपक सबसे बड़े हैं, इसलिए उन्हें अपने परिवार की देखभाल करनी पड़ी। अब, वह पंजाब अकाउंट्स जनरल ऑफिस में ऑडिटर के रूप में काम करते हैं। उन्होंने बिना किसी अतिरिक्त मदद या प्रशिक्षण के, खुद ही यह नौकरी हासिल की।
दीपक जगलान उन लोगों की मदद करना चाहते हैं जो गरीब हैं और मदद की ज़रूरत है ताकि उन्हें जल्दी और आसानी से न्याय मिल सके। उनका मानना है कि युवाओं को समाज में बुरी चीज़ों के खिलाफ़ खड़ा होना चाहिए और सामुदायिक सेवा के ज़रिए दूसरों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने युवाओं से यह भी कहा कि अगर वे वास्तव में कड़ी मेहनत करते रहें और समर्पित रहें, तो वे बड़ी चीज़ें हासिल कर सकते हैं।
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शपथ से ही सख्ती Anil Vij बाेले- कौन-कौन अफसर आए हैं, शक्लें देख लेने दीजिए
पंचकूला में मंत्री बनने के बाद वे अंबाला छावनी में एक विशेष सदन में गए। वहां, उनके चाहने वाले कई लोग उन्हें देखकर बहुत उत्साहित थे, लेकिन क्षेत्र के अधिकांश महत्वपूर्ण कार्यकर्ता वहां नहीं थे। Anil Vij ने देखा कि अधिकारी वहां नहीं थे क्योंकि उन्होंने समर्थकों को कुर्सियों पर बैठे देखा था। इसलिए, उन्होंने समर्थकों से थोड़ा पीछे हटने के लिए कहा ताकि वे आए अधिकारियों को देख सकें और चाहते थे कि वे पास आएं।
एक दिन, Anil Vij ने एडीसी महिला से पूछा कि उन्हें बताएं कि वहां कौन से अधिकारी हैं। एडीसी ने उन्हें कुछ अधिकारी दिखाए और उनका परिचय कराया। विज ने फिर पूछा, “समिति का क्या मतलब है? हमारे पास अपने जिले के अधिकारी होने चाहिए। मुझे समिति के अधिकारियों के साथ काम करने की क्या ज़रूरत है? मुझे अपने जिले के लोगों से सड़क बनवानी है!” यह कहने के बाद, विज ने अधिकारियों से कहा कि वे जा सकते हैं और बाद में फिर से बात करेंगे।
एडीसी ने विज को कुछ महत्वपूर्ण बताया, लेकिन विज ने जवाब दिया, “क्या यह पहली बार है जब मैं मंत्री बना हूँ?” फिर उन्होंने देखा कि सूचना दो बजे साझा की गई थी, और अब छह बज रहे थे। उन्हें आश्चर्य हुआ कि अधिकारियों को वहां पहुंचने में चार घंटे क्यों लगे। इसलिए, उन्होंने बैठक रद्द करने का फैसला किया और सभी को जाने को कहा। उसके बाद, विज ने अधिकारियों को कमरे से बाहर जाने को कहा, और उनमें से कई, जैसे एडीसी और एसडीएम, बाहर चले गए। जब विज कार्यकर्ताओं से बात कर रहे थे, तो अधिकारियों को बाहर इंतजार करना पड़ा। जब विज मंत्री बने, तो उन्होंने जिले के अधिकारियों से कहा कि केवल वे ही जिले में रह सकते हैं जो कड़ी मेहनत करने को तैयार हैं।
विज ने आज ऐसा ही किया, लेकिन उन्होंने 2019 में भी कुछ ऐसा ही किया था। जब वे एक महत्वपूर्ण नेता बन गए और एक विशेष भवन में गए, तो उन्होंने वहां कार्यकर्ताओं से कहा कि केवल वे ही रहें जो अपना काम अच्छी तरह से करना चाहते हैं। अगर वे कड़ी मेहनत नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें जाने के लिए कोई और जगह ढूंढनी चाहिए। अनिज विज ने कहा कि उन्हें पता है कि कार्यकर्ताओं की मदद से काम कैसे करवाया जाता है। उन्होंने देखा कि चुनाव के दौरान कुछ कार्यकर्ता काम को मुश्किल बना रहे थे। विज ने बताया कि उन्हें हर चीज की जानकारी है।
जब विज गुरुवार को सर्किट हाउस पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि सभी महत्वपूर्ण अधिकारी वहां नहीं थे। कुछ अधिकारी छुट्टी पर थे, और कुछ मीटिंग में थे, लेकिन विज को लगा कि सभी को वहां होना चाहिए था। उनका मानना है कि उन्हें पता है कि अधिकारियों को अपना काम कैसे करना है।
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Hisar: महिला ने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त, पति बोला- मानसिक रूप से परेशान थी
Hisar के हांसी के सिसाय गांव में बुधवार सुबह एक महिला ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। वह काफी समय से मानसिक रूप से परेशान थी। पुलिस ने तुरंत मदद की और सुनिश्चित किया कि उसका अस्पताल में चेकअप हो और फिर उन्होंने उसका शव उसके परिवार को सौंप दिया।
सत्यवान सिसई गांव में रहता है और इलेक्ट्रीशियन का काम करता है। उसकी एक 16 साल की बेटी और 12 साल का बेटा है। उसकी शादी 2007 में राजस्थान के दूसरे गांव की शकुंतला नाम की महिला से हुई थी। पिछले कुछ महीनों से शकुंतला बहुत दुखी और अस्वस्थ महसूस कर रही थी। 16 अक्टूबर को जब सत्यवान काम पर गया हुआ था और बच्चे स्कूल गए हुए थे, तो शकुंतला ने घर में ही फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
सत्यवान ने पुलिस को बताया कि जब वह दोपहर के समय घर पहुंचा, तो उसने अपनी पत्नी शकुंतला को प्लास्टिक की रस्सी से छत से लटकता हुआ पाया। उसने मदद के लिए चिल्लाया और जल्द ही उसके परिवार और पड़ोसी यह देखने के लिए आ गए कि क्या हुआ है। उन्होंने 112 नंबर डायल करके पुलिस को बुलाया। पुलिस तुरंत पहुंची और जांच की कि क्या हुआ है। फिर, वे शकुंतला के शव को जांच के लिए अस्पताल ले गए और बाद में उसे उसके परिवार को सौंप दिया।
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चंद्रशेखर आजाद ने Haryana सरकार पर गंभीर आरोप, शपथ ग्रहण समारोह में सरेआम संविधान की…..
उत्तर प्रदेश के नगीना से नेता चंद्रशेखर आज़ाद Haryana सरकार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बात कह रहे हैं। उन्होंने एक्स नामक वेबसाइट का इस्तेमाल करके सभी को बताया कि उन्हें लगता है कि हरियाणा के राज्यपाल के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है। उनका मानना है कि राज्यपाल और दूसरे महत्वपूर्ण व्यक्ति, उपराज्यपाल का एक साथ एक मंच पर बैठना उचित नहीं है। नगीना से एक व्यक्ति ने लिखा कि कल चंडीगढ़ में, हरियाणा के नए मुख्यमंत्री द्वारा अपना काम करने का महत्वपूर्ण वादा लेने के समारोह के दौरान ऐसा लग रहा था कि हमारे देश के नियमों का सम्मान नहीं किया जा रहा है। इससे ऐसा लग रहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग अपना काम ठीक से करने के बजाय मौजूदा सरकार के कहने पर चल रहे हैं।
जब नए मुख्यमंत्री अपना वादा कर रहे थे, तब राज्यपाल, जिनके पास बहुत महत्वपूर्ण काम है, बस देख रहे थे और हमारे देश के आज़ाद होने के बाद पहली बार वास्तव में शामिल नहीं हुए। लेखक कह रहे हैं कि अगर डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्होंने संविधान बनाने में मदद की और जिनका बहुत सम्मान किया जाता है, अभी जीवित होते, तो वे जो कुछ हो रहा है उससे परेशान होते। वे सवाल कर रहे हैं कि क्या राज्यपाल का पद ऐसी स्थितियों के लिए है। पहली बार कई राज्यों के राज्यपालों को एक विशेष समारोह में आमंत्रित किया गया, जहाँ नए नेता शपथ ले रहे हैं। लेखक का मानना है कि इससे पता चलता है कि भाजपा पार्टी इन महत्वपूर्ण भूमिकाओं का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए और खुद को अच्छा दिखाने के लिए कर रही है।
सांसद कह रहे हैं कि संविधान ने राज्यपाल को राज्य के लिए एक निष्पक्ष रेफरी की तरह बनाया है, जो किसी का पक्ष नहीं लेता। लेकिन एक विशेष समारोह के दौरान जहाँ नए मुख्यमंत्री ने शपथ ली, कई राज्यपालों और विभिन्न राज्यों के एक उपराज्यपाल को एक साथ एक ही मंच पर बैठने के लिए आमंत्रित किया गया। सांसद का मानना है कि इससे पता चलता है कि भले ही उनके पास महत्वपूर्ण कार्य हैं, फिर भी वे निष्पक्ष और तटस्थ होने के बजाय भाजपा पार्टी के साथ एक ही टीम में काम करने जैसा व्यवहार कर रहे हैं।
जब आज़ाद समाज पार्टी के नेता कांशीराम कहते हैं कि केंद्र सरकार (भाजपा) देश के नियमों को बदल रही है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि वे उन नियमों को सुरक्षित और मजबूत रखना चाहते हैं। लेकिन यह सब उनके प्रभारी रहते हुए हो रहा है, जिसका मतलब है कि वे इसके बारे में जानते हैं और इसे होने दे रहे हैं।
सांसद ने कहा कि अगर कुछ बुरा होता है, तो प्रधानमंत्री मोदी, जो वास्तव में हमारे देश के नियमों की परवाह करते हैं, को बताना चाहिए कि उन महत्वपूर्ण नियमों को तोड़ने के लिए कौन जिम्मेदार है।
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