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Haryana

चिंटल पैराडिसो सोसायटी के निवासियों को राहत, Gurugram प्रशासन ने टावर खाली करने के फैसले को रोका

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Gurugram के सेक्टर-109 स्थित चिंटल पैराडिसो सोसायटी के निवासियों के लिए एक ताजे अपडेट के रूप में राहत की खबर आई है। जिला प्रशासन ने सोसायटी के तीन टावरों को असुरक्षित मानकर खाली करने के अपने फैसले को फिलहाल स्थगित कर दिया है और इस मामले में बिल्डरों से जवाब मांगा है। अधिकारियों ने शुक्रवार (17 जनवरी) को इस फैसले की जानकारी दी।

अब तक सोसायटी के ए, बी और सी टावरों को खाली करने का आदेश स्थगित कर दिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि सोसायटी के निवासियों और रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) ने गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर अजय कुमार की अध्यक्षता में अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में उठाई गई आपत्तियों को सुनने के बाद इन टावरों को खाली करने के आदेश पर रोक लगा दी गई है।

फैसले पर अंतिम मुहर लगाएगी कमेटी

अधिकारी के मुताबिक, डेवलपर्स द्वारा उठाई गई आपत्तियों का जवाब देने के बाद इन टावरों को खाली करने पर अंतिम फैसला स्ट्रक्चरल ऑडिट कमेटी द्वारा लिया जाएगा। बैठक में आरडब्ल्यूए के प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने सोसायटी के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था, लेकिन बिल्डर फ्लैट मालिकों पर समझौते पर हस्ताक्षर करने का दबाव बना रहे हैं। जो निवासी इस समझौते पर साइन नहीं कर रहे हैं, उन्हें फ्लैट खाली करने के बावजूद किराया नहीं दिया जा रहा है।

आरडब्ल्यूए ने वित्तीय परेशानियों का मुद्दा उठाया

आरडब्ल्यूए के एक प्रतिनिधि ने कहा, “इस कारण लगभग 40 परिवारों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले यह कहा था कि जब निवासी इमारतें खाली करेंगे, तो उन्हें वैकल्पिक आवास और राशि का भुगतान किया जाएगा।”

आरडब्ल्यूए ने रखी तीन प्रमुख मांगें

बैठक में आरडब्ल्यूए ने तीन अन्य प्रमुख मांगें भी रखी। इनमें टावर ए और बी को प्रीमियम टावर घोषित करने, बिल्डर की शर्त हटाने कि फ्लैट मालिकों को 1000 रुपये प्रति वर्ग फुट का भुगतान करना होगा, और ए, बी और सी टावरों का मौजूदा बाजार दरों पर रिवैल्यूएशन करने की मांग शामिल है। आरडब्ल्यूए ने दिल्ली, चेन्नई और गुरुग्राम की अदालतों के आदेशों की कॉपी भी इस मामले में साझा की।

साल 2022 में टॉवर डी में हुआ था हादसा

गौरतलब है कि 10 फरवरी, 2022 को टॉवर डी की छह मंजिलें आंशिक रूप से ढह गई थीं, जिसमें दो महिलाओं की मौत हो गई थी। इसके बाद से चिंटल पैराडिसो के निवासियों और बिल्डरों के बीच टावरों के रिकंस्ट्रक्शन को लेकर विवाद जारी है। आईआईटी-दिल्ली द्वारा किए गए कंस्ट्रक्टिव ऑडिट में अधिकांश टावरों को असुरक्षित घोषित किया गया था।

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