Haryana
Vijender Singh भाजपा में शामिल, दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा तेज
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हरियाणा के मशहूर बॉक्सर और ओलंपियन Vijender Singh अब दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं। चर्चा है कि वह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर उम्मीदवार बन सकते हैं।
चर्चा का आधार
यह अटकलें तब और तेज हो गईं, जब विजेंदर सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े के साथ एक तस्वीर साझा की। तस्वीर में विजेंदर अपने प्रसिद्ध बॉक्सिंग पंच के साथ नजर आए।
हालांकि, विजेंदर के भाई मनोज बेनीवाल ने इन अटकलों पर साफ जवाब देने से इनकार किया। उनका कहना है कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, विजेंदर उसे बखूबी निभाएंगे।
2019 में कांग्रेस से राजनीतिक शुरुआत
विजेंदर सिंह ने 2019 में कांग्रेस पार्टी जॉइन की थी।
पार्टी ने उन्हें दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी के खिलाफ उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद से विजेंदर राजनीति में कम सक्रिय रहे।
भाजपा में शामिल होने के पीछे का उद्देश्य
विजेंदर जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिसका हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में खासा प्रभाव है।
भाजपा ने जाट समुदाय को साधने के लिए उन्हें पार्टी में शामिल किया है।
विजेंदर के शामिल होने से भाजपा की रणनीति में इस समुदाय के साथ संपर्क मजबूत करना शामिल हो सकता है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के जाट नेता कैलाश गहलोत पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। अब भाजपा विजेंदर को भी इस रणनीति का हिस्सा बना रही है।
विजेंदर की पृष्ठभूमि
जन्म: 29 अक्टूबर, 1985, भिवानी, हरियाणा
पिता: महिपाल सिंह बेनीवाल (हरियाणा रोडवेज में बस ड्राइवर)
मां: गृहिणी
शिक्षा और खेल: विजेंदर ने भिवानी बॉक्सिंग क्लब से प्रशिक्षण लिया और भारतीय बॉक्सिंग कोच गुरबख्श सिंह संधू से बॉक्सिंग के गुर सीखे।
शादी: 2011 में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल अर्चना सिंह से विवाह।
अभिनय: 2014 में फिल्म फगली से बॉलीवुड डेब्यू किया, लेकिन इसे औसत सफलता मिली।
भाजपा में शामिल होने के बाद संभावनाएं
विजेंदर के भाजपा में शामिल होने के बाद 2024 लोकसभा चुनाव और दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका पर चर्चा है।
कांग्रेस में रहते हुए उनके मथुरा से चुनाव लड़ने की संभावना थी, जहां उन्हें भाजपा सांसद हेमा मालिनी का प्रतिद्वंदी माना जा रहा था।
भाजपा में आने के बाद उनकी प्राथमिकता बदल सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भाजपा उन्हें दिल्ली में बड़े समुदायों और युवाओं को जोड़ने के लिए इस्तेमाल कर सकती है।