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Punjab में पराली जलाने के 415 मामले: पिछले साल थे 1510, 172 घटना में FIR दर्ज, 189 मामलों में लगा जुर्माना!

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पंजाब से एक सकारात्मक खबर सामने आई है। राज्य में इस बार पराली जलाने के मामलों में पिछले दो वर्षों की तुलना में करीब चार गुना कमी दर्ज की गई है। इस सीजन में अब तक 415 आपराधिक मामले पराली जलाने के दर्ज किए गए हैं, जबकि वर्ष 2023 में यह संख्या 1764 और 2024 में 1510 थी। यह गिरावट पंजाब पुलिस और सिविल प्रशासन द्वारा लगातार चलाए जा रहे सख्त अभियान और जन-जागरूकता प्रयासों का परिणाम है।

राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने यह आंकड़े साझा करते हुए बताया कि पराली जलाने के मामलों में आई यह कमी पुलिस और प्रशासन की साझा रणनीति और निरंतर निगरानी के कारण संभव हुई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट व वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए प्रशासन ने खेतों में आग लगाने वालों पर सख्त कार्रवाई की है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन और निरंतर निगरानी

डीजीपी गौरव यादव और विशेष डीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) अर्पित शुक्ला स्वयं इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं। दोनों अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, रेंज अधिकारियों, पुलिस आयुक्तों (सीपी), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) और थानों के प्रभारी अधिकारियों (एसएचओ) के साथ नियमित बैठकें कर रहे हैं। इन बैठकों में पराली जलाने के मामलों की दैनिक समीक्षा की जा रही है ताकि किसी भी क्षेत्र में लापरवाही न हो।

पुलिस और सिविल प्रशासन का संयुक्त अभियान

विशेष डीजीपी अर्पित शुक्ला ने बताया कि पराली जलाने की समस्या को खत्म करने के लिए पुलिस और नागरिक प्रशासन की टीमें जमीनी स्तर पर मिलकर काम कर रही हैं। डीसी/एसएसपी और एसडीएम/डीएसपी ने राज्यभर में उन गांवों का दौरा किया है जिन्हें पराली जलाने के हॉटस्पॉट के रूप में पहचाना गया है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में निगरानी के साथ-साथ किसानों को जागरूक करने के लिए भी व्यापक अभियान चलाया जा रहा है।

जन-जागरूकता अभियान और किसानों से संवाद

राज्य के सभी जिलों में किसानों को पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय और कानूनी दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। जिला और उपमंडल स्तर पर किसान यूनियनों के साथ बैठकों का आयोजन किया गया है। अब तक डीसी/एसएसपी द्वारा 251, एसडीएम/डीएसपी द्वारा 790 संयुक्त दौरे किए गए हैं। इन अभियानों के दौरान 2381 जन-जागरूकता बैठकें और 1769 किसान यूनियन बैठकों का आयोजन किया गया।

इसके अलावा, थाना स्तर पर पराली सुरक्षा बल (Stubble Protection Force) भी गठित किया गया है। यह विशेष बल खेतों की निगरानी करने के साथ-साथ किसानों को पराली पर आग लगाने से रोकने के लिए प्रेरित कर रहा है।

कानूनी कार्रवाई और सख्त निगरानी

पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (PRSC) की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक राज्य में 415 खेतों में आग लगाने की घटनाओं की पहचान की गई है। इन घटनाओं के बाद मौके पर निरीक्षण के लिए संयुक्त टीमें भेजी गई हैं। पुलिस ने अब तक 172 मामलों में एफआईआर दर्ज की हैं, जबकि 189 मामलों में जुर्माना लगाया गया है। इसके अतिरिक्त, 165 किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में “रेड एंट्री” दर्ज की गई है, ताकि भविष्य में दोबारा ऐसा करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जा सके।

डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि पंजाब सरकार का लक्ष्य आने वाले समय में पराली जलाने के मामलों को शून्य तक लाना है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई वैकल्पिक तकनीकों और मशीनों का उपयोग करें और पर्यावरण की रक्षा में अपना सहयोग दें।

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