Haryana
Charkhi Dadri में हो रही लगातार बारिश, डूब गया बाजार, 6 साल का टूट रिकॉर्ड
हरियाणा में बुधवार सुबह से ही कई जगहों पर खूब बारिश हो रही है। इसमें चंडीगढ़, पंचकूला, अंबाला और दूसरे शहर शामिल हैं। Charkhi Dadri में 2 घंटे तक जमकर बारिश हुई, जिससे बाजार में करीब 3 फीट पानी भर गया। बारिश की वजह से दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद करके घर जाना पड़ा। जीटी रोड के आसपास के इलाकों में बादल छाए हुए हैं और तेज हवाएं चल रही हैं।
मंगलवार को सुबह से लेकर रात तक कई जगहों पर खूब बारिश हुई। हिसार में सितंबर में होने वाली बारिश से ज्यादा बारिश हुई, जिसने 6 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। सुबह 57 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जिससे शहर के कुछ इलाकों में पानी भर गया। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के नाम से मशहूर बारिश का मौसम 8 सितंबर तक राज्य में बारिश लाता रहेगा। उसके बाद बारिश कम होगी। अब तक 11 जगहों पर ठीकठाक बारिश हुई है, जबकि 11 जगहों पर सामान्य से कम बारिश हुई है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि 6 सितंबर तक खूब बारिश होती रहेगी, लेकिन 8 तारीख से बारिश कम होने लगेगी। एक दिन में डबवाली में 80 मिमी, पानीपत में 7.2 मिमी, हिसार में 57 मिमी, यमुनानगर में 4.4 मिमी, झज्जर में 3.3 मिमी, अंबाला में 1.6 मिमी और भिवानी और फतेहाबाद में क्रमश: 20 मिमी और 2 मिमी बारिश हुई।
इस मानसून सीजन में अब तक 305.2 मिमी बारिश हो चुकी है। लेकिन हमें अभी भी 105 मिमी और बारिश की जरूरत है, ताकि हम सामान्य रूप से होने वाली बारिश तक पहुंच सकें। आमतौर पर सितंबर के अंत तक बारिश का मौसम खत्म हो जाता है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ इलाकों में बारिश जारी रह सकती है, लेकिन इसकी कोई चेतावनी नहीं है। मौसम में आए बदलाव की वजह से तापमान में 0.2 डिग्री की मामूली बढ़ोतरी हुई है। अब तक सबसे गर्म जगह चरखी दादरी है, जहां तापमान 36.1 डिग्री तक पहुंच गया!
जुलाई में हरियाणा में पिछले पांच सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आइए देखते हैं कि पिछले सालों में कितनी बारिश हुई: 2018 में 549 मिमी, 2019 में 244.8 मिमी, 2020 में 440.6 मिमी, 2021 में 668.1 मिमी, 2022 में 472 मिमी और 2023 में 390 मिमी बारिश हुई। इस साल यानी 2024 में सिर्फ़ 97.9 मिमी बारिश हुई है। पर्याप्त बारिश न होने की वजह से चावल उगाने वाले किसानों को काफ़ी नुकसान हो रहा है। उन्हें अपने पौधों के लिए पानी लाने के लिए ट्यूबवेल का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।