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Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश के राजनीति के नए महाराज: Yogi Adityanath की सफलता की कहानी”

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23 नवंबर 2024 का दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मील का पत्थर साबित हुआ, जब मुख्यमंत्री Yogi Adityanath के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उपचुनाव में 9 में से 7 सीटों पर विजय प्राप्त की। इस सफलता ने योगी को राजनीति का नया महाराज प्रमाणित किया है, जिन्होंने अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक विचारधारा के जरिए राज्य में पार्टी की नींव को और मजबूत किया है।

Yogi Adityanath ने अपनी जनहितैषी नीतियों और योजनाओं के माध्यम से लोगों के दिल में खास स्थान बनाया है। उनकी “डबल इंजन सरकार” ने सुरक्षा, विकास और सुशासन के जो वादे किए थे, वे धरातल पर साकार होते हुए नजर आए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को स्थानीय स्तर पर प्रभावी तरीके से लागू किया, जिससे जनता का विश्वास और भी मजबूत हुआ।

चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए योगी ने इसे न केवल सरकार की नीतियों की जीत कहा, बल्कि इसे जनता के समर्थन का प्रतीक भी माना। उन्होंने कहा, “यह विजय प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और राज्य में पारदर्शी व प्रभावी शासन की सफलता है। उत्तर प्रदेश में विकास और विरासत का अद्वितीय संगम बना है, और जनता ने इसे स्वीकार किया है।”

योगी आदित्यनाथ की यह विजय उनकी संगठनात्मक क्षमता और जमीनी स्तर पर सक्रियता का जीवंत उदाहरण है। उनकी छवि अब केवल एक नेता की नहीं, बल्कि विकास और बदलाव के प्रतीक के रूप में उभरी है। इस नए राजनीतिक महाराज ने यह सिद्ध कर दिया है कि जनता का विश्वास सबसे बड़ी ताकत होती है।

उपचुनाव में भाजपा ने 9 सीटों में से 7 पर जीत हासिल की। कुंदरकी में 31 वर्षों और कटेहरी में 33 वर्षों के बाद पार्टी ने सफलता प्राप्त की। 60% मुस्लिम वोटरों वाली कुंदरकी सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) की जमानत जब्त कर दी गई, जिससे भाजपा की यह सबसे बड़ी जीत बनी। करहल सीट, जजहां सपा का गढ़ माना जाता है, वहां तेज प्रताप यादव ने केवल 14,725 मतों से जीत हासिल की। कानपुर की सीसामऊ सीट पर भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी, फिर भी सपा के उम्मीदवार नसीम सोलंकी को पराजित नहीं कर पाए।

12 वर्ष पूर्व पूर्ण बहुमत से सत्ता में थी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सिर्फ 2 सीटों (कटेहरी, मझवां) पर अपनी जमानत बचा सकी। कुछ सीटों पर बसपा चंद्रशेखर और ओवैसी की पार्टियों से भी पीछे रही। प्रयागराज में एक घटना में भाजपा प्रत्याशी के साथ हाथापाई हुई, जिसमें पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।

हालांकि, चुनावी माहौल में भाजपा और योगी पर उठ रहे प्रश्नों के बीच, योगी ने उपचुनाव में स्थिति को बदलने में सफलता पाई। उन्होंने उन सीटों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जहां भाजपा की जीत मुश्किल लग रही थी। उनका सक्रिय अभियान, जिसमें कटेहरी में 6 बार और कुंदरकी में 2 बार जाना शामिल था, ने सकारात्मक परिणाम दिए। योगी की रणनीति की वजह से भाजपा गठबंधन ने 9 में से 7 सीटें जीतीं, जो योगी का 78% स्ट्राइक रेट दर्शाता है।

महाराष्ट्र में भी योगी ने पार्टी के लिए महत्वपूर्ण प्रचार किया, जहां उन्होंने 4 दिन में 11 रैलियों के जरिए 17 प्रत्याशियों का समर्थन किया। नतीजतन, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को 15 जीत मिली, जबकि सिर्फ 2 सीटें हार गईं।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि योगी का “बटेंगे तो कटेंगे” नारा संघ के समर्थन से उभरा है। आरएसएस अब पीएम नरेंद्र मोदी के बाद एक सर्वमान्य लीडरशिप तैयार करना चाहता है और योगी के अनुभव और भाजपा के भीतर उनकी छवि उन्हें इस दिशा में सबसे उपयुक्त बनाती है।

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बटेंगे तो कटेंगे नारे से मोह मोड़ने वाला बयान दिया, लेकिन बाद में आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेताओं के दबाव में उन्हें इसका समर्थन करने की आवश्यकता महसूस हुई।

इस प्रकार, Yogi Adityanath का नेतृत्व उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई दिशा प्रदान कर रहा है, जो विकास और विश्वास का प्रतीक बना हुआ है।

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