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पंजाब : तहसीलदारों ने वापस ली हड़ताल , मान सरकार ने 235 राजस्व अधिकारियों का किया Transfer।

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पंजाब। पंजाब सरकार की सख्ती के बाद आखिरकार तहसीलदारों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है और अब वे बिना किसी शर्त के काम पर लौट आए हैं। तहसीलदार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखचरन सिंह चन्नी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे सुबह से ही काम पर हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वीरवार को उनकी सरकार के साथ एक और बैठक है।

वहीं, सरकार ने दोपहर के समय 235 राजस्व अधिकारियों के Transfer किए हैं, जिनमें 58 तहसीलदार और 177 नायब तहसीलदार शामिल हैं। सभी अधिकारियों का Transfer दूरस्थ इलाकों में किया गया है। कुछ अधिकारियों का Transfer 200 से 250 किलोमीटर तक किया गया है, जबकि किसी को 100 किलोमीटर से कम का नहीं दिया गया है।

डीसी तय करेगा काम की जिम्मेदारी।

सरकार के आदेश के मुताबिक, तहसीलदारों को जिला आवंटित किया गया है, लेकिन स्टेशन नहीं बताया गया है। अब उन्हें संबंधित जिले में जाकर डीसी को रिपोर्ट करना होगा। डीसी यह तय करेंगे कि वे किस क्षेत्र में काम करेंगे। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगी और किसी को भी ब्लैकमेल करने का अधिकार नहीं दिया जाएगा।

सीएम ने दी सामूहिक छुट्टी को शुभकामनाएं।

सीएम भगवंत मान ने सोशल मीडिया पर लिखा, “तहसीलदार अपने भ्रष्ट सहयोगियों के पक्ष में हड़ताल पर जा रहे हैं, लेकिन हमारी सरकार रिश्वतखोरी के खिलाफ है। आम लोगों को परेशानी न हो, इसके लिए अन्य अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है ताकि काम रुकें नहीं। तहसीलदारों को सामूहिक छुट्टी की शुभकामनाएं, लेकिन छुट्टी खत्म होने के बाद वे कहां और कब जॉइन करेंगे, यह वे खुद तय करेंगे।”

विवाद की शुरुआत।

यह विवाद पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा की गई कार्रवाई के विरोध में तहसीलदारों द्वारा सोमवार को सामूहिक छुट्टी पर जाने से शुरू हुआ था। उन्होंने शुक्रवार तक काम न करने का निर्णय लिया था। मंगलवार को सीएम भगवंत मान ने एक्शन मोड में आकर तहसीलदारों को चेतावनी दी कि वे 5 बजे तक काम पर लौट आएं, अन्यथा निलंबित कर दिया जाएगा। इसके बाद कई जिलों में तहसीलदार काम पर लौट आए, लेकिन कुछ ने काम जारी नहीं रखा। इसके बाद सरकार ने 15 तहसीलदारों को निलंबित कर दिया, क्योंकि वे सेल्स डीड रजिस्टर पर दस्तखत करने से मना कर रहे थे।

सीएम ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि यदि कोई अधिकारी अपनी ड्यूटी पर नहीं लौटता और दस्तावेजों के पंजीकरण की जिम्मेदारी नहीं निभाता है, तो उसे निलंबित कर दिया जाएगा। सरकार ने यह भी कहा कि हड़ताल और सामूहिक छुट्टी का निर्णय जबरदस्ती और ब्लैकमेलिंग के बराबर है, जिसे किसी भी हाल में सहन नहीं किया जाएगा। हालांकि, समय पूरा होने से पहले ही कई जिलों में अधिकारी वापस काम पर लौट आए, जिनमें मोहाली, संगरूर और मोगा प्रमुख हैं।

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