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Punjab सरकार की डेंगू-मलेरिया रोकथाम योजना: हर जिले में बनेगी समन्वय समिति, मेडिकल छात्र निभाएंगे मास्टर ट्रेनर की भूमिका, ऑनलाइन नशाखोरी पर भी होगी सख्ती।

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Punjab सरकार राज्यवासियों को डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और डायरिया जैसी बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए पूरी सक्रियता से काम कर रही है। इन रोगों की रोकथाम के लिए एक ठोस रणनीति के तहत कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य के सभी जिलों में समन्वय समितियों का गठन किया गया है, जिनमें स्थानीय प्रशासन, जलापूर्ति, सीवरेज और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शामिल हैं। ये सभी विभाग आपसी तालमेल से कार्य करेंगे और जरूरतमंदों को त्वरित सहायता पहुंचाई जाएगी।

Punjab के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने भरोसा जताया है कि इस बार डेंगू के मामलों में 80 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिलेगी। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयास किए जा रहे हैं। मेडिकल क्षेत्र के विद्यार्थियों, जैसे नर्सिंग और फार्मेसी के छात्र, ‘मास्टर ट्रेनर’ की भूमिका निभाएंगे। वहीं, शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्करों को लार्वा की जांच और जनजागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। ये कार्यकर्ता घर-घर जाकर लार्वा की पहचान करेंगे और लोगों को रोकथाम के उपाय बताएंगे। साथ ही, मच्छरों की संख्या नियंत्रित करने के लिए फॉगिंग जैसी गतिविधियां भी करवाई जाएंगी।

ऑनलाइन फार्मेसी बिक्री रेगुलेट करने की तैयारी

ड्रग तस्करों के निशाने पर अब बच्चे आ गए हैं। वे उनको नशे की लत में लगा रहे हैं। इसके लिए पेरेंट्स के साथ मिलकर काम करेंगे। वहीं, एनर्जी ड्रिंक व ऑनलाइन फार्मेसी बेचते हैं। उस पर शिकंजा कसने के लिए वे केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा से मिले हैं।

साथ ही अब उन पर भी मॉनिटरिंग की जाएगी, ताकि अपनी युवा पीढ़ी को बचाया जा सके। उन्होंने पेरेंटस से भी अपील की है कि वह घरों में एनर्जी ड्रिंक लाने से परहेज करे, क्योंकि इससे भी नशे की लत युवाओं में लगती है।

5000 बेड आम लोगों के लिए रिजर्व

सेहत मंत्री ने बताया कि वे नशा छोड़ने वालों को जेल भेजने की बजाय नशा मुक्ति केंद्रों में लेकर जाएंगे। वहीं, इन-हाउस सेंटर बनाए जा रहे हैं। वहां पर ही उन्हें इंडस्ट्री की जरूरतों के मुताबिक ट्रेनिंग देने की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए वे पूरे पंजाब का विजिट करेंगे। इसके साथ ही राज्य के सारे अस्पतालों में 5000 बैड बढ़ाए हैं, ताकि नशा छोड़ने वालों को उचित इलाज की व्यवस्था मिल सके।

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