Connect with us

Politics

Maharashtra में Hindi थोपने पर विवाद बढ़ा, Government ने Three-Language Policy पर जारी Orders वापस लिए

Published

on

महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने के फैसले को लेकर उठे विरोध के बीच एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने रविवार को हुई कैबिनेट बैठक में तीन-भाषा नीति से जुड़े दो सरकारी आदेश (Government Resolutions – GRs) को वापस लेने का फैसला किया है।

सरकार के इस फैसले से पहले यह विवाद गहराता जा रहा था कि क्लास 1 से 5 तक के बच्चों पर हिंदी थोपने की कोशिश हो रही है। खासतौर पर मराठी और इंग्लिश मीडियम स्कूलों के स्टूडेंट्स पर हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में compulsory बनाने के फैसले का कई जगह विरोध हो रहा था।

क्या था विवाद?

दरअसल, 16 अप्रैल को महाराष्ट्र सरकार ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया कि इंग्लिश और मराठी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले क्लास 1 से 5 तक के बच्चों के लिए हिंदी तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य होगी। इस फैसले के खिलाफ कई शिक्षाविदों, राजनीतिक दलों और भाषा प्रेमियों ने आवाज उठाई। विरोध बढ़ने पर सरकार ने 17 जून को एक संशोधित आदेश जारी किया, जिसमें हिंदी को optional यानी वैकल्पिक भाषा बना दिया गया।

अब क्या होगा?

मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि तीन-भाषा नीति को लेकर अप्रैल और जून में जारी किए गए दोनों GRs को सरकार ने वापस ले लिया है। साथ ही एक नई कमेटी बनाई जा रही है, जिसकी अध्यक्षता जाने-माने शिक्षाविद् डॉ. नरेंद्र जाधव करेंगे। यह कमेटी यह सुझाव देगी कि आगे भाषा नीति को कैसे लागू किया जाए और क्या बदलाव किए जा सकते हैं।

पिछली सरकार पर आरोप

फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हीं की सरकार के दौरान डॉ. रघुनाथ माशेलकर कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दी गई थी, जिसमें क्लास 1 से 12 तक के लिए तीन-भाषा नीति लागू करने की बात थी।

जनता और विशेषज्ञों की राय

बहुत से लोगों का मानना है कि बच्चों पर एक और भाषा थोपने से उनके शिक्षा पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा, खासतौर पर उन बच्चों के लिए जिनकी मातृभाषा मराठी है। वहीं कुछ लोग तीन-भाषा नीति को जरूरी भी मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि इसे जबरदस्ती लागू करने की बजाय विकल्प के रूप में दिया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार ने जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए फिलहाल तीन-भाषा नीति से जुड़े विवादित आदेशों को वापस ले लिया है। अब आगे की रणनीति नई कमेटी की सिफारिशों के बाद तय की जाएगी।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement