Jammu & Kashmir
Guru Teg Bahadur की शहादत पर Musical Event: Government के Programme पर उठा विवाद, SGPC और Shiromani Akali Dal ने जताया विरोध

पंजाब सरकार की ओर से श्रीनगर में आयोजित एक म्यूजिकल इवेंट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह कार्यक्रम सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहादत वर्षगांठ के उपलक्ष्य में गुरुवार शाम को आयोजित किया गया था। लेकिन इस आयोजन में संगीत और मनोरंजन को शामिल करने पर सिख संगठनों और सोशल मीडिया यूज़र्स ने नाराज़गी जताई है।
कार्यक्रम का आयोजन पंजाब सरकार के भाषा विभाग (Bhasha Vibhag) द्वारा किया गया था, जिसमें पंजाबी गायक बीर सिंह ने प्रस्तुति दी। कई लोग इस बात से आहत हैं कि गुरु साहिब की शहादत जैसे गंभीर और धार्मिक मौके पर डांस और म्यूजिक शो कैसे आयोजित किया जा सकता है?
SGPC ने बताया ‘सीधी बेअदबी’
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इस कार्यक्रम की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के इवेंट सिख धर्म की मान्यताओं और गुरु तेग बहादुर जी की कुर्बानी की गरिमा के खिलाफ हैं।
उन्होंने कहा, “गुरुओं की शहादत को याद करने का सिख तरीका स्पष्ट है – गुरबाणी का पाठ, कीर्तन और सेवा। गीत-संगीत और नाच-गाना इस पवित्र परंपरा का हिस्सा नहीं हैं। यह एक धार्मिक बेअदबी है।”
SGPC ने मांग की है कि पंजाब सरकार इस घटना पर सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे और आगे से ऐसे मामलों से बचने के लिए स्पष्ट गाइडलाइन जारी करे।
अकाली दल ने भी उठाए सवाल
शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने भी इस कार्यक्रम पर सख्त ऐतराज़ जताया है। पार्टी ने कहा कि यह गुरु साहिब की शहादत का अपमान है और इसे “बेअदबी” की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। पार्टी ने शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस, जो भाषा विभाग के प्रभारी हैं, से सार्वजनिक माफ़ी की मांग की है।
अकाली दल के नेता और पूर्व विधायक वीरसा सिंह वाल्टोहा ने कहा, “बीर सिंह एक अच्छे गायक हैं, लेकिन शहादत दिवस पर गाना-बजाना करना सिख परंपराओं के खिलाफ है। हम श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से अपील करते हैं कि वे सिख मर्यादा के अनुसार इस मामले पर उचित कार्रवाई करें।”
सोशल मीडिया पर भी उठा विरोध
सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने सरकार के इस फैसले पर नाराज़गी जताई। लोगों ने पूछा कि सरकारी फंड्स का इस्तेमाल धार्मिक श्रद्धांजलि की जगह मनोरंजन कार्यक्रमों पर क्यों किया गया? क्या शहादत जैसे गंभीर मौके पर लोगों का “गानों पर झूमना” उचित है?
सरकार की सफाई
जब इस विवाद पर पंजाब भाषा विभाग की संयुक्त निदेशक हरप्रीत कौर से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मुझे इस कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जब यह कार्यक्रम प्लान हुआ, मैं छुट्टी पर थी।”
गुरु तेग बहादुर जी की शहादत सिख धर्म के लिए एक गंभीर और पवित्र अवसर है। इस मौके पर राज्य सरकार द्वारा संगीत और मनोरंजन का आयोजन करने पर सिख संगठनों और राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। SGPC और अकाली दल ने इस कार्यक्रम को धार्मिक परंपराओं के विरुद्ध बताया है और सरकार से माफ़ी मांगने की अपील की है। वहीं, भाषा विभाग ने इससे पल्ला झाड़ते हुए जानकारी न होने की बात कही है।
अब देखना होगा कि सरकार इस विवाद पर क्या स्पष्टीकरण देती है और क्या भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए नई गाइडलाइन बनती है या नहीं।