Haryana
कैशलेस इलाज और नियमित करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर NHA के 16 हजार Employees

हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में करीब 16 हजार Employees हड़ताल पर हैं, यानी वे काम नहीं कर रहे हैं। इससे मरीजों को परेशानी हो रही है, क्योंकि वे अस्पताल में सुरक्षित तरीके से टीके नहीं लगवा पा रहे हैं और न ही बच्चे पैदा कर पा रहे हैं।
काम पर कोई भी कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं कर रहा है और बहुत बीमार मरीजों के लिए सरकारी एंबुलेंस भी उपलब्ध नहीं है। मरीजों को निजी चिकित्सा सेवाओं में जाना पड़ रहा है। हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों की हड़ताल पर ध्यान नहीं दिया है। जब राज्य में सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर गए थे, तो मुख्य प्रधान सचिव और अतिरिक्त प्रधान सचिव ने उनसे कई बार मुलाकात की और उनकी मांगों पर सहमति जताई।
अस्पतालों में बीमार लोगों की मदद करने वाले लोग अभी काम नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वे किसी बात से परेशान हैं। उन्होंने अपने बॉस से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने उनकी मदद नहीं की। एनएचएम में कुछ कर्मचारी, जैसे डॉक्टर, नर्स और कंप्यूटर ऑपरेटर, काम नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वे बेहतर स्थितियों के लिए विरोध कर रहे हैं। वे आंदोलन के प्रति अपना समर्थन दिखाने के लिए कार्यालयों के बाहर इकट्ठा हो रहे हैं।
हमारे राज्य में स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के मालिकों का कहना है कि सभी कर्मचारियों को एक खास तरह की नौकरी पर रखा गया था। 2018 में सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए कुछ नियम बनाए थे, जिन्हें अब वे बदल रहे हैं। वे पुरानी वेतन प्रणाली से छुटकारा चाहते हैं और इसके बदले कर्मचारियों को एक निश्चित वेतन देना चाहते हैं।
जितेंद्र वत्स ने कहा कि एनएचएम कर्मचारी लंबे समय से काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक उनकी नौकरी को स्थायी नहीं किया है। सरकार ने 2012-13 में सुझाव दिया था कि राज्यों को इन कर्मचारियों के लिए और अधिक आधिकारिक पद बनाने चाहिए, लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है।
2022 में, मणिपुर राज्य, जो भाजपा राजनीतिक दल द्वारा नियंत्रित है, ने 2600 कर्मचारियों को स्थायी कर दिया। हालांकि, भाजपा सरकार वाले एक अन्य राज्य हरियाणा में वे मणिपुर जैसी योजना का पालन नहीं कर रहे हैं।
विपिन शर्मा और जितेंद्र वत्स ने कहा कि मरीजों का इलाज करने वाले एनएचएम कर्मचारियों के पास बिना नकद भुगतान के चिकित्सा उपचार पाने का विकल्प नहीं है। आयुष्मान भारत या चिरायु योजना में केवल कुछ सर्जरी ही शामिल हैं। उनका मानना है कि एनएचएम कर्मचारियों को बिना भुगतान के चिकित्सा उपचार मिलने में सक्षम होना चाहिए।
अगर हरियाणा सरकार जल्द ही एनएचएम कर्मचारियों की मदद करना शुरू नहीं करती है, तो राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं बदतर हो सकती हैं। इस समस्या को ठीक करने के लिए आंदोलन और मजबूत होगा।