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Haryana

Panchkula Sports Excellence Centre में बड़ी लापरवाही: Players यों को Diet Chart में Eggs–Paneer–Fruits दिखाए, पर असल में मिल रही सिर्फ दाल-रोटी

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हरियाणा के पंचकूला स्थित ताऊ देवीलाल स्टेडियम के स्पोर्ट्स एक्सीलेंसी सेंटर में खिलाड़ियों की डाइट को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। यह सेंटर बॉक्सिंग, एथलेटिक्स और बैडमिंटन जैसे गेम्स के खिलाड़ियों को ओलिंपिक स्तर तक तैयार करने के लिए बनाया गया है। लेकिन यहां पिछले कई दिनों से जो हालात हैं, वह खिलाड़ियों के करियर के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।

डाइट चार्ट में 40 पौष्टिक चीज़ें, लेकिन असल में सिर्फ दाल-चावल-रोटी

सेंटर के डाइट चार्ट में रोज़ाना के लिए लगभग 40 तरह के हेल्दी आइटम लिखे गए हैं—जैसे अंडे, पनीर, दूध, फल, ड्राई फ्रूट, स्प्राउट्स, चिकन, मटन और कई तरह की दाल-सब्जियां।
लेकिन खिलाड़ियों के मुताबिक और मौके पर पहुंची टीम ने पाया कि ज़मीन पर हकीकत बिल्कुल अलग है
यहां बाहर से टिफिन मंगाकर केवल दाल-चावल-सब्जी और रोटी दी जा रही है।

खिलाड़ी खुलकर सामने आने से डर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने करियर पर असर पड़ने का डर है। लेकिन ऑफ कैमरा कोच और खेल से जुड़े लोगों ने बताया कि करीब 25 दिन से हालात खराब हैं

मैस बंद पेमेंट विवाद में फंसा पूरा सिस्टम

पहले यहां की मैस में न्यूट्रीशियनिस्ट के चार्ट के हिसाब से खाना बनता था।
लेकिन मैस ठेकेदार और खेल विभाग के बीच पेमेंट का विवाद शुरू हो गया।
विभाग के ऊपर ठेकेदार का करीब 2 करोड़ रुपये का बिल बकाया बताया जा रहा है।
इसी वजह से मैस ठेकेदार ने 24 अक्टूबर से खाना देना बंद कर दिया

तीन दिन तक सिर्फ आश्वासन पर काम चलाया गया, लेकिन जब पेमेंट नहीं मिली, तो पूरी तरह सप्लाई रोक दी गई।

अब टिफिन सर्विस से चल रहा काम

मैस बंद होने के बाद खेल विभाग ने अस्थायी तौर पर Himalayan Kitchen नाम की टिफिन सर्विस से खाना मंगवाना शुरू किया।
यह सर्विस दो बहनें चलाती हैं और वे सिर्फ

  • दाल
  • चावल
  • एक सब्जी
  • रोटी
    सप्लाई कर रही हैं।
    इसके लिए वे 150 रुपये प्रति डाइट चार्ज कर रही हैं।

खेल निदेशक का दावा निकला झूठा

खाने की स्थिति पर जब दैनिक भास्कर ऐप ने खेल विभाग के निदेशक IAS संजीव वर्मा से बात की, तो उन्होंने कहा कि—
पिछले 4 दिन से खिलाड़ियों को न्यूट्रीशियनिस्ट के डाइट चार्ट के अनुसार खाना मिल रहा है। मैस विभाग खुद चला रहा है और 6 कुक रखे हैं।

लेकिन जब मीडिया टीम ने

  • 16 नवंबर की रात और
  • 17 नवंबर को लंच टाइम
    पर जाकर जांच की, तो हर बार Himalayan Kitchen की गाड़ी टिफिन लेकर आती मिली।

यानी डिपार्टमेंट के दावे और ग्राउंड रिपोर्ट में जमीन-आसमान का फर्क है।

न्यूट्रीशियनिस्ट का असल डाइट चार्ट कैसा था?

1. Early Morning (5:30 AM)

चाय-बिस्किट, ग्रीन टी, कॉफी, रोस्टेड पीनट/चना, स्प्राउट्स आदि – दिन के हिसाब से अलग-अलग।

2. Breakfast (7:30–9 AM)

दूध, मूसली, कॉर्नफ्लेक्स, दलिया, ओट्स, इडली-सांभर, चीला, परांठा, अंडे और पनीर, सीजनल फ्रूट, ड्राई फ्रूट, स्प्राउट्स – एक दिन में कई विकल्प।

3. Lunch (1–2:30 PM)

कई तरह की दालें, 2–3 सब्जियां, पनीर, सलाद, चावल, रोटी, दही, कभी-कभी मटन आदि।

4. Dinner (7–7:30 PM)

चिकन, फिश, पनीर करी, दाल, सब्जी, सलाद, रोटी, चावल और रोज़ कोई न कोई स्वीट—जैसे आइसक्रीम, खीर, रसगुल्ला।

यानी खिलाड़ियों के लिए भरी हुई न्यूट्रीशन डाइट तय की गई थी, लेकिन अब इनमें से कुछ भी नहीं दिया जा रहा।

टेंडर विवाद की तीन बड़ी बातें

1. दिसंबर 2025 तक का टेंडर था

जनवरी 2024 में राकेश तोमर को मैस का टेंडर दिया गया था। यह दिसंबर 2025 तक चलना था।

2. करीब 2 करोड़ रुपये बकाया

हर महीने सेंटर का मैस बिल लगभग 17–18 लाख रुपये आता है।
ठेकेदार के मुताबिक विभाग ने एक साल से पैसा नहीं दिया।

3. टेंडर शिकायतों के आधार पर रद्द

14 नवंबर को ठेका रद्द कर दिया गया।
विभाग का कहना है—“5 खिलाड़ियों ने खाने की क्वालिटी की शिकायत की थी।”
लेकिन ये शिकायतें हर बार उन्हीं 5 खिलाड़ियों द्वारा भेजी गई थीं।

50-50 सीटों वाला एक्सीलेंसी सेंटर लेकिन खाना सिस्टम फेल

यह सेंटर खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का बड़ा प्रोजेक्ट है।

  • बॉक्सिंग – 50 सीट
  • एथलेटिक्स – 50 सीट
  • बैडमिंटन – 50 सीट

रहना, खाना, ट्रेनिंग—all government supported.

लेकिन मैस बंद होने और टिफिन पर निर्भरता के कारण खिलाड़ियों का न्यूट्रीशन लेवल खतरनाक तरीके से गिर सकता है, जो उनके करियर को नुकसान पहुंचा सकता है।

निष्कर्ष: डाइट चार्ट में सपने, प्लेट में सिर्फ दाल-रोटी

स्पोर्ट्स एक्सीलेंसी सेंटर खिलाड़ियों को ओलिंपिक तक पहुंचाने का दावा करता है,
लेकिन जब बेसिक न्यूट्रीशन ही नहीं मिलेगा,
तो खिलाड़ी कैसे आगे बढ़ पाएंगे?

पेमेंट विवाद, गलत दावे और मैनेजमेंट की कमियों ने
खिलाड़ियों की डाइट और भविष्य—दोनों को खतरे में डाल दिया है।

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