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Meghalaya की Progress पर PM Modi ने जताई खुशी, बताया ‘Aatmanirbhar Bharat’ का बेहतरीन उदाहरण

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प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लेख को किया शेयर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मेघालय राज्य की तरक्की पर खुशी जताई और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर शेयर करते हुए राज्य के विकास की सराहना की।

पीएम मोदी ने लिखा –
“वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मेघालय में हुए अद्भुत बदलाव को उजागर किया है, जो टूरिज़्म, युवाओं को सशक्त बनाने, महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (SHGs), पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम जैसे प्रयासों से संभव हुआ है। सरकार की मजबूत मदद और लोगों की भागीदारी से मेघालय आज एक ऐसा मॉडल बन चुका है जो आत्मनिर्भर भारत की मजबूत तस्वीर पेश करता है।”

वित्त मंत्री के दौरे में दिखी मेघालय की असली तस्वीर

अपने लेख में निर्मला सीतारमण ने मेघालय में बुनियादी ढांचे (Infrastructure), कृषि (Agriculture), संस्कृति की सुरक्षा और युवाओं के विकास को लेकर हो रहे कामों को साझा किया। उन्होंने बताया कि अब गुवाहाटी से शिलॉंग तक की यात्रा आसान हो गई है, क्योंकि सड़कें बेहतर हो चुकी हैं।
इसके साथ ही, उमियम झील (Umiam Lake) को SASCI योजना के तहत वर्ल्ड क्लास टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

किसानों और महिलाओं की बदली तस्वीर

सीतारमण ने बताया कि उन्होंने वहां कई Farmer Producer Organisations (FPOs) और Self-Help Groups (SHGs) से मुलाकात की। उन्हें देखकर साफ लगा कि मेघालय के किसान और महिलाएं अब सिर्फ काम नहीं कर रहीं, बल्कि बिज़नेस कर रही हैं।
उदाहरण के तौर पर, वहां के मीठे अनानास (Pineapples) अब दुबई तक एक्सपोर्ट हो रहे हैं, और जापान की मदद से शिटाके मशरूम (Shitake Mushroom) की खेती भी शुरू हो गई है। ये साफ इशारा है कि मेघालय अब एग्रीकल्चर इनोवेशन (कृषि नवाचार) की राह पर चल पड़ा है।

सांस्कृतिक धरोहरों को मिल रहा संरक्षण

वित्त मंत्री ने बताया कि मेघालय के लोग अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में भी लगे हैं। Siej गांव के लोग वहां की अनोखी Living Root Bridges (जीवित जड़ों से बनी पुलों) को संजोने का काम कर रहे हैं, और इन्हें UNESCO World Heritage Site की मान्यता दिलाने की कोशिश भी चल रही है।

सीमावर्ती गांवों की तरक्की

सीतारमण ने अपने दौरे का अंत Sohbar और Cherrapunji (Sohra) जैसे सीमावर्ती इलाकों में किया, जहां उन्होंने देखा कि कैसे इन गांवों में लोग पारंपरिक जीवनशैली और सेवा भाव के साथ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं।
Ramakrishna Ashram जैसे संस्थान शिक्षा, सेवा और संस्कृति को मिलाकर एक नया उदाहरण पेश कर रहे हैं।

मेघालय की कहानी आज देश के सामने एक नई मिसाल के तौर पर सामने आ रही है। यहां सरकार और समाज मिलकर ऐसा माहौल बना रहे हैं, जहां हर नागरिक खुद पर भरोसा करते हुए आगे बढ़ रहा है। यही असली आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर है।

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