Haryana
Hansi में 15 वर्षीय लड़की की तबीयत बिगड़ने से हुई मौत, पुलिस ने कराया शव का पोस्टमार्टम
Hansi के रामपुरा गांव की 15 वर्षीय लड़की बहुत बीमार हो गई और दुखद रूप से उसकी मौत हो गई। उसके परिवार ने बताया कि उसे बुखार था। अस्पताल में जांच के बाद उसका शव उसके परिवार को सौंप दिया गया। पुलिस ने उसके पिता से बात की है कि क्या हुआ। वे रिपोर्ट देखकर पता लगाएंगे कि उसकी मौत क्यों हुई। रामपुरा गांव में रहने वाले और खेती-बाड़ी का काम करने वाले अनिल कुमार के दो बच्चे हैं। उनकी 15 वर्षीय बेटी को 12 अक्टूबर को बुखार हुआ तो उन्होंने उसे गांव से दवाई दिलवाई।
लेकिन अगले दिन यानी 13 अक्टूबर को उसकी हालत और खराब हो गई और वे उसे शाम करीब साढ़े सात बजे हांसी के एक निजी अस्पताल में ले गए। डॉक्टर ने उनकी बेटी को देखा और फैसला किया कि उसे हिसार के एक विशेष अस्पताल में ले जाना चाहिए क्योंकि उसकी हालत और खराब हो रही थी। इसलिए वे उसे मदद के लिए वहां ले गए। अस्पताल में डॉक्टर ने उसकी फिर से जांच की लेकिन दुखद रूप से कहा कि उसकी मौत हो गई है। उसकी मौत इसलिए हुई क्योंकि वह बहुत बीमार थी और इसके लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
हांसी सदर थाने की पुलिस ने उस लड़की की देखभाल की जिसकी मौत हो चुकी थी। उन्होंने अस्पताल में उसके शव की जांच की ताकि पता चल सके कि आखिर हुआ क्या था। उसके पिता से बात करके उनका पक्ष जानने के बाद, उन्होंने लड़की का शव उसके परिवार को वापस कर दिया।
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Panipat में मोटरसाइकिल सवार चार युवकों ने पेट्रोल पंप मालिक से की मारपीट, लूटने का किया प्रयास
हरियाणा के Panipat के दहर टोल प्लाजा पर मोटरसाइकिल सवार चार युवकों ने पेट्रोल पंप के मालिक पर हमला कर दिया। यह घटना रात 9:30 बजे हुई। नीरज इसराना गांव में रहता है और उसका एक शुगर मिल के पास शिव शक्ति फिलिंग स्टेशन नामक पेट्रोल पंप है। उन्होंने उसके पैसे छीनने की कोशिश की।
13 अक्टूबर की रात 9:30 बजे मैं पेट्रोल पंप से निकलकर अपनी कार से इसराना जा रहा था। जब मैं दाल टोल और एक्सल स्कूल के पास एक जगह पर पहुंचा, तो मैंने देखा कि एक व्यक्ति छोटी वैन चला रहा था और दूसरा व्यक्ति मोटरसाइकिल पर बीच सड़क पर बहुत धीमी गति से जा रहा था। मैंने अपनी कार रोकी और उनसे हटने को कहा, और फिर वे दोनों रास्ते से हट गए।
दो बाइकों पर सवार चार लड़के मेरे पीछे आए। उन्होंने मेरी मोटरसाइकिल रोकी और उनमें से एक ने मेरी नाक पर मारा। दूसरे ने मेरे गले में पहनी सोने की चेन छीनने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे कसकर पकड़ रखा था, और चेन टूटकर मेरे हाथ में आ गई। फिर, एक और कार मदद के लिए रुकी।
एक युवक अपनी मोटरसाइकिल बहुत तेजी से भाग गया। मैंने मोटरसाइकिल का नंबर देखा, जो HR 06 Z 3945 था। मैं तुरंत इसराना पुलिस स्टेशन गया और उन्हें पूरी घटना बताई। पुलिस ने मेरी कहानी को आधिकारिक मामले के रूप में दर्ज कर लिया।
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कुमारी सैलजा खेमा हार की हैट्रिक के पीछे भूपेंद्र और दीपेंद्र सिंह Hooda को ठहरा रही है जिम्मेवार
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी काफी उत्साहित थी, लेकिन अब हरियाणा के नतीजों से वह असमंजस और परेशान है। उसे हार की उम्मीद नहीं थी और अब चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक पार्टी के अंदर ही अंदर घमासान मचा हुआ है। Hooda खेमा कहलाने वाला एक गुट वोटिंग मशीन को अपनी हार का जिम्मेदार ठहरा रहा है। वहीं, शैलजा खेमा Hooda पिता-पुत्र को लगातार तीन हार का जिम्मेदार ठहरा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रचार अभियान के दौरान Hooda जोड़ी पर काफी फोकस किया था, लेकिन अब लोग उनकी भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।
हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर अहम नेताओं के साथ बैठक के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि हरियाणा में कुछ लोग पार्टी के हित से ज्यादा अपने हित के बारे में सोच रहे हैं। चुनाव से पहले भूपेंद्र Hoodaऔर उनके बेटे दीपेंद्र Hooda को मीडिया से खूब तारीफ मिल रही थी और उन्हें हीरो के तौर पर देखा जा रहा था। लेकिन अब लोग उन्हें खलनायक के तौर पर देखने लगे हैं। जब हम चुनाव नतीजों को करीब से देखते हैं, तो ऐसा लगता है कि वे खुद पर कुछ ज़्यादा ही आश्वस्त थे। दीपेंद्र Hooda ने जीटी रोड बेल्ट नामक जगह पर मतदाताओं को जीतने के लिए प्रसिद्ध नेताओं राहुल और प्रियंका गांधी के साथ कार्यक्रम आयोजित करके ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की, जो आमतौर पर भाजपा पार्टी के लिए मजबूत है। हालांकि, भाजपा ने एक चतुर रणनीति के साथ उन्हें चौंका दिया, जिससे उन्हें उम्मीद से ज़्यादा परेशानी हुई। आइए देखें कि भाजपा हरियाणा में Hooda परिवार के प्रभाव को कैसे चुनौती देने में कामयाब रही।
रोहतक, झज्जर और सोनीपत हरियाणा में तीन जगहें हैं जिन्हें देशवाली बेल्ट के रूप में जाना जाता है। इन इलाकों में Hooda परिवार काफ़ी शक्तिशाली है। इन तीनों जगहों को मिलाकर 14 सीटें हैं जहाँ लोग नेताओं को वोट देते हैं और इस बार कांग्रेस पार्टी ने उनमें से 8 सीटें जीतीं। 2019 में, उनके पास 12 सीटें थीं। अगर हम जींद, दादरी और भिवानी के आस-पास के इलाकों के बारे में भी सोचें, जहाँ बहुत सारे जाट लोग रहते हैं, तो इस पूरे इलाके को जाटलैंड कहा जाता है और यहाँ कुल 25 वोटिंग सीटें हैं। कांग्रेस पार्टी ने आमतौर पर इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है और उसे बहुत समर्थन मिला है।
उदाहरण के लिए, 2014 के चुनावों में, वे 10 साल तक प्रभारी रहे लेकिन केवल 15 सीटें जीतकर तीसरे स्थान पर रहे, जो मुख्य विपक्षी पार्टी होने के लिए पर्याप्त नहीं था। हरियाणा में, जिसे जाटलैंड कहा जाता है, कांग्रेस पार्टी ने पिछले चुनावों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, बहुत सारी सीटें जीतीं। उन्हें लगा कि वे 2024 के चुनावों में और भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे क्योंकि उनके नेता Hooda लोकप्रिय थे। लेकिन जब नतीजे सामने आए, तो वे हैरान और निराश थे क्योंकि वे पहले की सीटें हार गए थे। दूसरी ओर, भाजपा पार्टी, जो आमतौर पर उस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है, ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया और कई सीटें जीतीं। दो अन्य सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के पास गईं, एक कांग्रेस से और एक जो पहले भाजपा के साथ हुआ करता था, लेकिन वे दोनों अब भाजपा पार्टी की मदद कर रहे हैं।
Haryana
Yamuna में डूबने से 2 युवकों की हुई मौत, वहीं मृतक के परिजनों ने गोताखोरों पर लापरवाही बरतने का लगाया आरोप
सोमवार दोपहर हरियाणा के पानीपत के सनौली पर Yamuna नदी में एक दुखद हादसा हुआ। हनुमान सभा समूह के पांच युवा दोस्त नदी में तैरने गए और दुर्भाग्य से डूब गए। कुछ गोताखोर उनमें से तीन को बचाने में सफल रहे, लेकिन दुख की बात है कि अन्य दो के शव उसी शाम करीब साढ़े पांच घंटे बाद मिले। आज डॉक्टरों ने उनके शवों की जांच की ताकि पता चल सके कि आखिर हुआ क्या था।
जब उनके दोस्तों ने देखा कि क्या हो रहा है, तो उन्होंने मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। सौभाग्य से, साजिद, दिलशाद, बिल्लू और नौशाद नामक कुछ गोताखोर, जो पास में ही थे, तुरंत पानी में कूद गए और तीनों दोस्तों को बचाने में कामयाब रहे। हालांकि, अमन और साहिल अभी भी पानी में खोए हुए थे। डूबने की खबर सुनकर यूपी और हरियाणा से पुलिस पहुंची। उन्होंने अमन और साहिल की तलाश में मदद के लिए पानीपत से गोताखोरों की एक टीम भी बुलाई। करीब साढ़े पांच घंटे की तलाश के बाद उन्हें करीब छह बजे नदी में अमन और साहिल के शव मिले।
एक दुखी पिता ने कहा कि जिन लोगों को पानी में मदद करनी थी, उन्होंने अपना काम ठीक से नहीं किया। उन्होंने बताया कि मुसीबत में फंसे उनके बच्चों की मदद करने से पहले उन्होंने बहुत ज़्यादा पैसे मांगे, 50,000 रुपये। एक बार जब उन्होंने पैसे के बारे में बात की, तो गोताखोरों ने सिर्फ़ 5 मिनट में दोनों बच्चों को पानी से बाहर निकाल लिया। पिता का मानना है कि अगर गोताखोरों ने तेज़ी से काम किया होता, तो उनके बच्चों को बचाया जा सकता था। उन्होंने यह भी बताया कि हनुमान सभा नामक एक विशेष आयोजन के बाद, लोग आमतौर पर यमुना नदी में स्नान करते हैं, और उनके बच्चों के लिए, यह उनका आखिरी स्नान साबित हुआ।
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