Uttar Pradesh
Prayagraj में जमीन के विवाद में चाचा-भतीजे की हत्या, गुस्साए परिजनों ने जमकर किया हंगामा
Prayagraj में जमीन को लेकर हुए झगड़े में चाचा-भतीजा की हत्या कर दी गई थी । परिवार आक्रोश में चाचा भतीजे की मौत के बाद जमकर हंगामा किया । वे चाहते थे कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिले, जिस जगह पर आरोपी रहते थे उसे नष्ट कर दिया जाए और उनके परिवारों को पैसे दिए जाएं। काफी देर तक बहस करने के बाद, जिला प्रबंधक और एक पुलिस अधिकारी जैसे कुछ महत्वपूर्ण लोग परिवार से बात करने आए।
उन्होंने मदद करने और उनकी इच्छाओं का ख्याल रखने का वादा किया, जिससे परिवार आखिरकार चाचा-भतीजे को अलविदा कह सका। 31 अक्टूबर को, जो दिवाली का दिन था, आराकला नामक गांव में कुछ दुखद घटना घटी। जितेंद्र दुबे नाम के एक व्यक्ति का जमीन के एक टुकड़े को लेकर कुछ अन्य लोगों से मतभेद हो गया। जब जितेंद्र का परिवार उस जमीन पर दीया जलाकर दिवाली मना रहा था, तो दूसरे लोग नाराज हो गए। इससे बड़ा झगड़ा हुआ और दूसरे समूह ने जितेंद्र और उसके भतीजे पवन को लाठियों से घायल कर दिया। पवन को बहुत चोटें आईं और बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई। पवन का शव जब घर वापस आया तो उसके चाचा जितेन्द्र की भी मौत हो गई।
जब चाचा-भतीजे की पिटाई से मौत हुई तो बहुत से लोग बहुत दुखी हुए। परिवार इतना नाराज था कि वे उनका अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे। भाजपा पार्टी के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति अजय पांडे सहित विभिन्न राजनीतिक समूहों के कई नेता परिवार का समर्थन करने आए। चूंकि पास में ही फूलपुर में चुनाव हो रहा था, इसलिए यह स्थिति सभी के लिए और भी महत्वपूर्ण हो गई। मारपीट में शामिल दोनों समूह अलग-अलग समुदायों के थे, जिससे स्थिति और जटिल हो गई।
परेशान परिवार किसी भी कीमत पर शवों को जलाना नहीं चाहता था। सबसे पहले, कुछ पुलिस अधिकारी आए और परिवार को बताया कि उन्होंने पहले ही जो कुछ हुआ उसके बारे में रिपोर्ट शुरू कर दी है। पांच लोगों को पकड़कर जेल ले जाया गया। फिर, डीएम रवींद्र कुमार मंधाड़ और एक अन्य पुलिस अधिकारी एन कोलांची ने परिवार से बात की और उन्हें वादा किया कि वे बहुत जल्द उनकी उचित मांगों को पूरा करेंगे।
Uttar Pradesh
Zamato डिलीवरी बॉय ने दिवाली की शाम लोगों तक पहुंचाये ऑर्डर, कमाई सुन लोगों की भर आई आंखें
मेरठ शहर में Zamato के लिए काम करने वाले ऋतिक तोमर नाम के एक डिलीवरी बॉय ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें दिखाया गया कि दिवाली की रात छह घंटे काम करने के बाद उसने कितने पैसे कमाए। उसने शाम 5:00 बजे से रात 11:00 बजे के बीच 8 खाने के ऑर्डर डिलीवर किए, लेकिन उसने इतनी मेहनत के लिए सिर्फ़ 316 रुपये कमाए। इसने बहुत से लोगों को ऑनलाइन इसके बारे में बात करने पर मजबूर कर दिया, और उसके वीडियो को 5.6 मिलियन से ज़्यादा लोगों ने देखा!
ऋतिक नाम के एक डिलीवरी बॉय ने इंस्टाग्राम पर दिवाली के दौरान ज़ोमैटो के साथ अपनी नौकरी के बारे में बात करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया, जो एक खास छुट्टी है। यह वीडियो काफ़ी लोकप्रिय हुआ, और बहुत से लोगों ने इस पर टिप्पणी करना शुरू कर दिया। बहुत से लोगों ने कहा कि ज़ोमैटो जैसी डिलीवरी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को खास दिनों पर अतिरिक्त पैसे देने चाहिए क्योंकि वे वाकई कड़ी मेहनत करते हैं। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि डिलीवरी बॉय त्योहारों के दौरान अपने परिवार से दूर रहते हैं, इसलिए वे अपने काम के लिए सम्मान और प्रशंसा के हकदार हैं।
ऋतिक ने एक वीडियो में बताया कि उसने दिवाली की शाम से लेकर देर रात तक मेरठ शहर में ऑर्डर डिलीवर करने में बहुत मेहनत की। इतने सारे काम के लिए उन्हें सिर्फ़ 316 रुपये मिले, जो कई लोगों को लगता है कि उनकी मेहनत के हिसाब से काफी नहीं है। वीडियो पर कई लोगों ने टिप्पणी करते हुए कहा कि डिलीवरी करने वाले कर्मचारियों को दिवाली जैसे खास दिनों पर ज़्यादा पैसे कमाने चाहिए।
Uttar Pradesh
America में भारती की बेटी ने किया नाम रौशन, गाजियाबाद की सबा हैदर ने रिकॉर्ड वोटों से जीता चुनाव
America राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और सबकी निगाहें उन पर टिकी हैं। रिपब्लिकन पार्टी से आने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने भारतीय मूल की कमला हैरिस को हराया है। वहीं, भारत से भी किसी ने शानदार जीत हासिल की है! उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद की रहने वाली सबा हैदर ने ड्यूपेज काउंटी बोर्ड के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव जीता है। उन्होंने वाकई अच्छा प्रदर्शन किया और अपनी प्रतिद्वंद्वी पैटी गुस्टिन, जो रिपब्लिकन पार्टी से ही हैं, के खिलाफ 8,500 वोटों से जीत हासिल की।
सबा 2020 में सिर्फ एक हजार वोटों से चुनाव हारी थीं, लेकिन इस बार उन्होंने जीत हासिल की और उनका परिवार इस बात से बेहद खुश है! गाजियाबाद में रहने वाले उनके पिता अली हैदर को उन पर वाकई गर्व है। उन्होंने कहा, “मैं अपनी बेटी के लिए बहुत खुश हूं। वह बहुत होशियार है!” उन्होंने बताया कि कैसे सबा ने स्कूल में वाकई अच्छा प्रदर्शन किया, बीएससी में अपनी कक्षा में अव्वल रही और एएमयू से एमएससी में स्वर्ण पदक जीता। उसके बाद, उसने शादी कर ली और अपने पति, जो एक कंप्यूटर इंजीनियर है, के साथ अमेरिका चली गई। अली हैदर ने बताया कि उनके परिवार की हमेशा से राजनीति में रुचि रही है, इसलिए जब सबा को अमेरिका में अवसर मिला, तो उसने उसे स्वीकार कर लिया!
सबा हैदर की माँ, चांदनी, America चुनावों में अपनी बेटी की जीत से बहुत खुश थीं। उन्होंने कहा कि उन्हें सबा पर बहुत गर्व है और उन्होंने चुनावों के दौरान हमेशा उसका समर्थन किया। चांदनी अपने पूरे परिवार का उत्साह बढ़ाने में विश्वास करती हैं और अपने बच्चों को बहादुर बनने में मदद करना चाहती हैं ताकि वे जीवन में अद्भुत चीजें कर सकें। सबा को अमेरिका में थोड़ा अकेलापन महसूस होता था और वह अपनी माँ को बहुत बार फोन करती थी। दुख की बात है कि चांदनी अपनी बेटी से मिलने नहीं जा सकी क्योंकि उसकी आँख की सर्जरी होनी थी।
Uttar Pradesh
Varanasi में परिवार की मर्डर मिस्ट्री उलझती चली जा रही, आखिर राजेंद्र गुप्ता ने खुद को कैसे मार ली 2-3 गोली?
Varanasi में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कैसे हुई, इसका रहस्य समझना अब आसान नहीं रह गया है। सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय चाय की दुकानों तक हर जगह इस दुखद घटना के बारे में चर्चा हो रही है। कई सवाल पूछे जा रहे हैं, जो पुलिस की पहले की सोच को बदल रहे हैं। पहले तो पुलिस को लगा कि गुप्ता परिवार की मां, दो बेटों और बेटी की हत्या करने वाला पिता राजेंद्र गुप्ता है। लेकिन वारदात के कुछ ही घंटों बाद उन्हें राजेंद्र का शव भी निर्माणाधीन इमारत में मिला। कई लोग हैरान हैं कि आखिर हुआ क्या था।
सबसे पहले तो वे जानना चाहते हैं कि राजेंद्र गुप्ता ने अपने परिवार को चोट पहुंचाने के बाद खुद को दो-तीन गोलियां कैसे मार लीं। दूसरे, वे इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि उनके परिवार के सभी लोग एक ही तरह से कैसे घायल हो गए। आखिर में, वे यह समझना चाहते हैं कि राजेंद्र घटना वाली जगह से 15 किलोमीटर दूर जाकर कैसे सो गया, अपनी शर्ट उतारी और मच्छरदानी का इस्तेमाल किया। चूंकि राजेंद्र लंबे समय से लापता था, इसलिए पुलिस को लगा कि उसने अपने परिवार की परेशानियों के चलते उसे चोट पहुंचाई होगी और फिर भाग गया होगा। उन्हें याद आया कि राजेंद्र पहले भी कुछ ऐसा ही कर चुका है।
1997 में उसने अपने भाई और भाभी को सोते समय चोट पहुंचाई क्योंकि उसे उनकी संपत्ति चाहिए थी। उसके बाद उसके अपने पिता ने उसके खिलाफ केस दर्ज करवाया, लेकिन राजेंद्र ने अपने पिता को भी चोट पहुंचाने की धमकी दी थी। दुख की बात यह है कि जब वे अपने भाई के लिए एक विशेष समारोह आयोजित कर पाते, उससे ठीक पहले राजेंद्र के पिता को भी गोली मार दी गई। वहां मौजूद दो अन्य लोग भी घायल हो गए। हालांकि पुलिस ने राजेंद्र और उसके दोस्त को पकड़ लिया, लेकिन केस को ठीक से हैंडल न किए जाने के कारण वह सिर्फ एक साल जेल में रहा और उसके बाद उसने सारी संपत्ति अपने नाम कर ली। मंगलवार को कुछ बुरा होने के बाद पुलिस ने राजेंद्र गुप्ता को उसके पड़ोस में बन रहे एक घर में पाया। उन्हें उसका शव बिस्तर पर मिला और वह खून से लथपथ था। पुलिस को लगा कि शायद राजेंद्र ने अपने परिवार को चोट पहुंचाई और फिर खुद को चोट पहुंचाने के लिए इस घर में आया। लेकिन चूंकि वह बिस्तर पर मिला था, इसलिए यह समझना मुश्किल था कि ऐसा क्यों हुआ।
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