Connect with us

Punjab

CM Mann ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को लिखा पत्र, पंजाब यूनिवर्सिटी में जल्द चुनव करने की अपील

Published

on

CM Mann ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ प्रशासन से यूनिवर्सिटी के सीनेट चुनाव जल्द से जल्द कराने की अपील की है. पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ हमारे राज्य की भावनात्मक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और संसाधनपूर्ण विरासत का हिस्सा है।

CM Mann के अनुसार, विश्वविद्यालय की सीनेट का गठन ऐतिहासिक रूप से हर चार साल में होता रहा है, जिसके सदस्यों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाता है। हालांकि, 31 अक्टूबर को मौजूदा सीनेट का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव नहीं हुए हैं, जो विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से चली आ रही परंपरा का उल्लंघन है। मान ने इस देरी को अभूतपूर्व और विश्वविद्यालय के हितधारकों, जिसमें संकाय, छात्र और पूर्व छात्र शामिल हैं, के लिए “अत्यधिक भावनात्मक” बताया।

भगवंत सिंह मान ने पत्र में लिखा कि 31 अक्टूबर, 2024 को मौजूदा सीनेट का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट चुनाव की घोषणा न करना राज्य के लिए बेहद भावनात्मक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय का गठन पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 (1947 का अधिनियम VII) के तहत किया गया था और इसकी स्थापना 1947 में देश के विभाजन के बाद लाहौर में पंजाब राज्य के मुख्य विश्वविद्यालय के नुकसान की भरपाई के लिए की गई थी। भगवंत सिंह ने कहा कि 1966 में राज्य के विभाजन के बाद, पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 ने अपनी स्थिति बनाए रखी, जिसका अर्थ है कि विश्वविद्यालय उसी तरह काम करता रहा जैसा वह था और वर्तमान पंजाब राज्य में शामिल क्षेत्रों पर इसका अधिकार क्षेत्र वैसे ही जारी रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि तब से ही पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ राज्य की भावनात्मक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और समृद्ध विरासत का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से हर चार साल बाद इसकी सीनेट का गठन किया जाता है, जिसके सदस्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाते हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि इस साल सीनेट के चुनाव नहीं हुए हैं, जबकि पिछले छह दशकों से ये चुनाव नियमित रूप से संबंधित वर्ष के अगस्त-सितंबर के महीनों में होते रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी सीनेट के चुनाव न करवा पाना, जिसका मौजूदा कार्यकाल 31 अक्टूबर को खत्म हो गया है, न केवल हितधारकों को निराश कर रहा है बल्कि यह किसी भी अच्छे शासन और कानून के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सीनेट चुनाव में देरी के कारण शिक्षकों, पेशेवरों, तकनीकी सदस्यों, यूनिवर्सिटी के स्नातकों और विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों में काफी नाराजगी है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह
यूनिवर्सिटी के नियमों के भी खिलाफ है, जिसके अनुसार हर चौथे साल चुनाव करवाना अनिवार्य है और इस देरी ने यूनिवर्सिटी के अकादमिक और पूर्व छात्र समुदायों में व्यापक चिंता पैदा कर दी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया की जगह नामांकन प्रक्रिया को लाने की खबरें आग में घी डालने का काम कर रही हैं, क्योंकि इस तरह के बदलाव से विश्वविद्यालय की लोकतांत्रिक भावना कमजोर होगी और स्नातक मतदाताओं की आवाज दब जाएगी, जिन्होंने हमेशा संस्थान के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उपराष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करते हुए भगवंत सिंह मान ने उनसे आग्रह किया कि वे पंजाब विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन को विश्वविद्यालय की सीनेट के चुनाव उचित और समय पर करवाने के लिए सलाह दें।

author avatar
Editor Two
Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement