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धार्मिक कथा सुना कर टूटे हुए सालो के रिश्ते को, इस जज ने एक साथ किया Couples को

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अक्सर ही पति पत्नी के बीच झगड़ा होता ही रहता है और झगड़ा इस हद तक बढ़ जाता है की तलाक की कगार पर आ जाता है | ऐसे में पति-पत्नि कोर्ट का सहरा लेते है तलाक लेने के लिए | कई फॅमिली कोर्ट अपने पैसे बनाने के लिए दोनों का तलाक करवा देते है | पर इंदौर में एक ऐसा कोर्ट है जहां टूटे हुए रिश्ते को जुड़ावने का प्रयास करते है | एक ऐसा जज है जिसने पिछले 11 महीने में 100 से अधिक जोड़ो की कॉन्सलिंग कर उन्हें एक कर दिया है | कई वर्षो से क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे Couples एक कर के दिखाया वो भी गुरु ग्रंथ साहिब के दोहे सुना कर साथ रहने की सीख दी, तो किसी को रामायण में राम और सीता के प्रेम का उदाहरण देकर एक-दूसरे के साथ का महत्व बताया।
किसी को उनके बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए साथ में रहने का प्रयास किया है। किसी को बुढ़ापे में एक-दूसरे के साथ का हवाला देकर एक किया।

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11 महीने में 2100 से अधिक केस में काउंसलिंग

बात हो रही है न्यायाधीश संगीता मदान की। उन्होंने पिछले 11 महीने में 2100 से अधिक केस की काउंसलिंग कर चुकी हैं। अच्छी बात तो ये है की उन्होंने इनमें से 100 जोड़ों को दुबारा के किया है | जोड़े अपना विवाद भूल कर फिर से एक हो गए | जज अपनी कोर्ट में नियमित सुनवाई के साथ हर दिन अलग-अलग केस में काउंसलिंग कर रही हैं। अमूमन लोक अदालत के आसपास इस तरह की काउंसलिंग होती है, लेकिन जज मदान नियमित काउंसलिंग से केस का निराकरण कर रही हैं। जिन केस में जोड़ों के साथ रहने की बिलकुल संभावनाएं नहीं हैं, वहां बिना विवाद के सहमति से तलाक भी हुए हैं।

4 साल के बेटे ने कविता सुनाई और Couples झगड़ा भूल गए

वहीं एडवोकेट प्रमोद जोशी बताती है की इंदौर की लड़की की शादी शिवपुरी में हुई थी। शादी के बाद उनका एक बेटा है। पांच साल से विवाद के चलते दोनों अलग-अलग रह रहे थे| वहीं एडवोकेट ने तीन घंटे तक काउंसलिंग की। बाद में उनके बेटे को कहा- पापा को कविता सुनाओ। बेटे की कविता सुनने और जज की समझाइश को मान पति और पत्नी दोनों ने अपनी गलती मान माफी मांगी और एक हो गए।

पांच साल से पेंडिंग था केस, बच्चों का महत्व समझाया तो माने

एडवोकेट ने बताया एक सिख Couples का पारिवारिक विवाद करीब पांच साल से कोर्ट में विचाराधीन था। जज मदान ने काउंसलिंग के लिए दोनों को बुलाया और उनका पक्ष सुना। इसके बाद गुरु ग्रंथ साहिब के दोहे सुनाकर उन्हें परिवार, बच्चों का महत्व बताया। दोनों को एक-दूसरे की जिम्मेदारी का अहसास हुआ और वे एक हो गए।

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