Himachal Pradesh
लापता बच्चों को खोज निकालने में शिमला पुलिस प्रदेश में नंबर वन
शिमला : शिमला पुलिस लापता बच्चों को खोज निकालने में समूचे प्रदेश में अव्वल रही है। प्रदेशभर में 447 लापता बच्चों को खोज निकाला है, जिसमें से सबसे अधिक 72 मामले शिमला पुलिस ने ट्रेस किए हैं। राज्य के 14 पुलिस जिला में शिमला पुलिस बच्चों को ढूंढ निकालने में अव्वल रही है। शिमला पुलिस के पास वर्ष 2023 में 74 बच्चों के लापता होने के मामले सामने आए हैं, जिसमें से पुलिस ने 72 मामले सुलझाते हुए बच्चों को उनके परिजनों को सुपुर्द किया है। 98 प्रतिशत मामलों में पुलिस की रिकवरी रही है, जबकि 2 बच्चों के मामले में रामपुर में पानी से लापता हुई एक बच्च्ची शामि
ल है, जबकि एक माइनर बच्ची का विवाह हो गया था, जो बाद में बालिग हो चुकी है। यदि आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो बद्दी में 25, बिलासपुर में 22, चम्बा में 30, हमीरपुर में 36, कांगड़ा में 49, किन्नौर में 20, कुल्लू में 27, लाहौल-स्पीति में 1, मंडी में 47, नूरपुर में 14, सिरमौर में 46, सोलन में 32 और ऊना में 26 लापता बच्चों को ढूंढ निकाला है, जबकि जिला पुलिस शिमला ने 72 बच्चे खोज निकाले हैं। सीडीआर व डंप डाटा विशलेष्ण बना मददगार पुलिस की साइबर तकनीकी सहायता टीम कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) को स्कैन करके, डंप डाटा विश्लेषण और महत्वपूर्ण सुराग प्रदान करने वाले आईपी एडै्स को डिकोड करने के अलावा सोशल नैटवर्किंग साइट्स लापता नाबालिगों के स्थान का पता लगाती है। सोशल मीडिया के चलन के कारण नई जगहों का आकर्षण और लोगों से ऑनलाइन दोस्ती करने की ललक, शिमला जिले में बच्चों के घर छोड़ने के प्रमुख कारण हैं।
लापता को ढूंढने के लिए शिमला पुलिस करती है त्वरित कार्रवाई : एसपी पुलिस अधीक्षक शिमला संजीव गांधी ने कहा कि लापता बच्चों को ढूंढ निकालने के लिए शिमला पुलिस त्वरित कार्रवाई करती है और यही कारण है कि मिसिंग मामलों में ढूंढने की प्रतिशतता 98 है। उन्होंने कहा कि एएसपी सुनील नेगी व नवदीप सिंह के प्रयास इस मामले में सराहनीय रहे हैं। उन्होंने कहा कि लापता बच्चे और किशोर अपराध के लिए काफी संवेदनशील होते हैं और उन्हें खोजने में देरी के कारण दुर्घटना हो सकती है। शिमला पुलिस तकनीकी सहायता ले रही है और नाबालिगों को छुड़ाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों का इस्तेमाल कर रही है।