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प्राण प्रतिष्ठा: रामलला की चांदी की मूर्ति को कराया परिसर भ्रमण, अचल मूर्ति ने भी परिसर में किया प्रवेश
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन रामलला की चांदी की मूर्ति को राममंदिर परिसर का भ्रमण कराया गया है। पहले रामलला की अचल मूर्ति को राम जन्मभूमि परिसर में भ्रमण कराने की योजना था, लेकिन मूर्ति का वजन अधिक होने व सुरक्षा कारणों से इस योजना को निरस्त कर दिया गया। परिसर भ्रमण की रस्म रामलला की छोटी रजत प्रतिमा को लेकर पूरी कराई गई। वहीं देर शाम को रामसेवक पुरम स्थित योग केंद्र विवेक सृष्टि परिसर से रामलला की अचल मूर्ति को रामजन्मभूमि परिसर में पहुंचा दिया गया है।
बुधवार दोपहर 10 किलो वजनी चांदी से बनी रामलला की प्रतिमा को मुख्य यजमान डॉ़ अनिल मिश्रा ने पालकी पर विराजमान कर मंदिर के अंदर व मंदिर के चारों तरफ भ्रमण कराया। इस दौरान मंदिर परिसर वैदिक मंत्रोंच्चारों से गूंजता रहा। आचार्यों व मंदिर निर्माण में लगे इंजीनियरों व सुरक्षा कर्मियों ने प्रतिमा पर पुष्पवर्षा भी की। वहीं राम जन्मभूमि परिसर की भव्य सजावट भी की गई है। इससे पहले विहिप के संरक्षक मंडल सदस्य दिनेश चंद्र व मुख्य यजमान डॉ़ अनिल मिश्र ने रामलला की रजत प्रतिमा का पूजन भी किया। इसके पहले दिन में 2:30 बजे निर्मेाही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास और पुजारी सुनील दास ने गर्भगृह में पूजा की।
रामलला की अचल मूर्ति बुधवार की देर शाम विवेक सृष्टि परिसर से भारी सुरक्षा में राम जन्मभूमि परिसर पहुंचाई गई। अचल मूर्ति को बंद ट्रक में विराजमान कर ले जाया गया। इस दौरान सुरक्षा में पीएसी के दो सौ जवान, एटीएस की टीम व अन्य पुलिस अधिकारी शामिल रहे। विवेक सृष्टि से धर्मपथ, लता चौक, मुख्य मार्ग होते हुए क्राॅसिंग 11 से अचल मूर्ति को परिसर में पहुंचाई गई। जहां अचल मूर्ति को भारी सुरक्षा में रखा जाएगा। अचल मूर्ति को सोने के सिंहासन पर विराजित किया जाएगा। गर्भगृह में सिंहासन बनकर तैयार है।
शुभ मुहूर्त में दोपहर 1:20 बजे हुआ कलश पूजन
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान के दूसरे दिन का शुभारंभ कलश पूजन के साथ हुआ। शुभ मुहूर्त में दोपहर 1:20 बजे कलश पूजन का शुभारंभ सरयू तट पर हुआ। मुख्य यजमान डॉ़ अनिल मिश्र ने संकल्प लेकर कलश पूजन किया। इस दौरान कुल दस कलशों का पूजन किया गया। पूजन के बाद 21 मातृ शक्तियों ने जल कलश यात्रा निकाली। मुख्य कलश को राम जन्मभूमि परिसर में बने यज्ञमंडप में स्थापित किया गया है। जबकि रामलला के नवनिर्मित गर्भगृह में श्रीराम यंत्र की स्थापना के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा के कर्मकांड का शुभारंभ कर दिया गया है।
अपने ”लल्ला” के प्रति उमड़ा मातृ शक्तियों का प्रेम
प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले बुधवार को महिलाओं ने जल कलश यात्रा निकाली। कलश यात्रा के जरिये महिलाओं ने अपने लल्ला यानी रामलला के प्रति अपार प्रेम दर्शाया। इस यात्रा में 500 से अधिक महिलाएं शामिल रहीं। बुधवार को प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का दूसरा दिन रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आह्वान पर समूचा समाज इस आयोजन से जुड़ गया है। श्रीराम नगरी में अयोध्या महानगर की महिलाओं ने सुबह सरयू तट से यात्रा का शुभारंभ किया। श्रीराम की पताका फहराते, सिर पर कलश में भरा मां सरयू का जल लेकर महिलाएं राम धुन पर झूमते व जय श्रीराम का जयघोष करते निकलीं। पीले वस्त्र में निकले महिलाओं का समूह देखकर लग रहा था मानो रामनगरी ने जैसे पीतांबरी ओढ़ ली हो।
यात्रा महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी के संयोजन में निकाली गई। इसका नेतृत्व महापौर की धर्मपत्नी रामलक्ष्मी त्रिपाठी ने किया। महापौर ने कहा कि हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम अपने नूतन आवास में प्रवेश कर रहे हैं। इसकी खुशी हम सभी को है। यह आयोजन अयोध्या की मातृ शक्ति का है। यह यात्रा मातृ शक्तियों का अपने आराध्य अपने लल्ला के प्रति प्रेम है। यात्रा में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की धर्मपत्नी नम्रता पाठक, जिला पंचायत अध्यक्ष रोली सिंह समेत 500 से अधिक महिलाएं शामिल रहीं।