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Punjab Government का नया Anti-Sacrilege Bill: क्या ये Law ज़रूरी है या Controversial बढ़ाने वाला?

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पंजाब की भगवंत मान सरकार ने हाल ही में विधानसभा में एक नया बिल पेश किया है जिसका नाम है पंजाब प्रिवेंशन ऑफ ऑफेन्सेज अगेंस्ट होली स्क्रिप्चर(ज़) बिल, 2025″। इस बिल का मकसद है धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने वालों के खिलाफ सख्त सज़ा तय करना। हालांकि ये बिल अभी पास नहीं हुआ है, इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया गया है। माना जा रहा है कि कमेटी इसे जांचने-परखने में करीब 6 महीने का वक्त ले सकती है। उसके बाद यह दोबारा विधानसभा में जाएगा और फिर राज्यपाल के पास मंज़ूरी के लिए भेजा जाएगा। अगर इस बिल को केंद्र सरकार के पास भी भेजा गया तो इसे कानून बनने में एक साल से ज्यादा का समय लग सकता है।

पहले भी लाए जा चुके हैं ऐसे बिल

ये पहली बार नहीं है जब पंजाब में इस तरह का बिल लाया गया है। इससे पहले अकाली दल-बीजेपी गठबंधन और कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस सरकार भी ऐसे बिल लाने की कोशिश कर चुकी हैं। लेकिन वे बिल इतने प्रभावी नहीं थे और इसलिए उन्हें खारिज कर दिया गया था।

नया बिल कितना अलग?

सरकार का दावा है कि इस बार का बिल ज़्यादा सख्त, सेक्युलर और मजबूत है, ताकि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी करने वालों को कड़ी सज़ा दी जा सके। पंजाब में इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया जाता है क्योंकि अतीत में ऐसी घटनाओं ने राज्य में तनाव और हिंसा फैलाने का काम किया है।

गुरजीत सिंह की tower protest भी बनी वजह

इस बिल की मांग को लेकर गुरजीत सिंह खालसा नाम के एक व्यक्ति ने अक्टूबर 2024 से BSNL के मोबाइल टावर पर चढ़कर विरोध प्रदर्शन किया हुआ है। वे किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़े हैं, लेकिन उनका कहना है कि पंजाब में बेअदबी के खिलाफ एक सख्त कानून होना चाहिए।

कानून तो पहले से मौजूद हैं

दरअसल, केंद्र सरकार ने जो नया आपराधिक कानून बनाया है – भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) – उसमें धाराएं 298, 299 और 300 पहले से ही धार्मिक भावनाओं को आहत करने वालों के लिए सख्त सज़ा का प्रावधान करती हैं। लेकिन पंजाब सरकार और कुछ एक्टिविस्ट्स का मानना है कि ये धाराएं काफी नहीं हैं।

नया विवाद: गीता को दूसरे ग्रंथों के बराबर रखना

बिल में भगवद गीता का ज़िक्र भी दूसरे धर्मों की पवित्र किताबों के साथ किया गया है। इस बात को लेकर कुछ लोग नाराज़ हो सकते हैं क्योंकि हिंदू धर्म में और भी कई ग्रंथ हैं जिन्हें लोग पवित्र मानते हैं। सुझाव है कि सभी धर्मों की किताबों का सामूहिक ज़िक्र हो, नाम लेकर न लिखा जाए ताकि कोई विवाद न हो।

क्या सभी राज्यों को अपनी-अपनी धार्मिक कानून बनाने चाहिए?

इस बात की चिंता भी उठ रही है कि अगर पंजाब ऐसा कानून बनाता है, तो और राज्य भी अपने-अपने हिसाब से कानून बना सकते हैं, जिससे देशभर में अलग-अलग नियम बनने लगेंगे। जबकि केंद्र का कानून सब जगह लागू होता है और एकरूपता बनाए रखता है।

दुरुपयोग की भी आशंका

किसी भी सख्त कानून के साथ सबसे बड़ा खतरा होता है उसका दुरुपयोग। ऐसा कानून कुछ गलत इरादों वाले लोग इस्तेमाल कर सकते हैं समाज में फूट डालने के लिए या धार्मिक तनाव बढ़ाने के लिए। पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य में जहां पहले भी धार्मिक कट्टरता और हिंसा देखी जा चुकी है, वहां सरकार को बहुत सतर्कता से कदम उठाने की ज़रूरत है।

केन्द्रीय सरकार से बात क्यों नहीं की?

सबसे अहम बात ये है कि पंजाब सरकार ने इस पूरे मुद्दे पर केंद्र सरकार या कानून मंत्रालय से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया। जबकि ये एक ऐसा मामला है जो सभी धर्मों और पूरे देश से जुड़ा है।

क्या और भी जोड़ा जाना चाहिए?

कुछ जानकारों का सुझाव है कि इस बिल में ध्वज (flag) और भारतीय संविधान जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान को भी शामिल किया जाना चाहिए ताकि यह कानून और व्यापक हो सके।

धार्मिक मामलों से जुड़ा कोई भी कानून बनाना आसान नहीं होता। ये बेहद संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा होता है, खासकर पंजाब जैसे राज्य में जहां धर्म और राजनीति का मेल बहुत गहरा है। इसलिए ज़रूरी है कि ऐसे किसी भी कानून को पूरी पारदर्शिता, सहयोग, और केंद्र की मंज़ूरी के साथ ही लागू किया जाए ताकि समाज में एकता बनी रहे और किसी तरह का राजनीतिक या धार्मिक तनाव पैदा न हो।

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