Haryana
Sonipat में किसानों का आंदोलन तेज, ‘वन नेशन, वन एमएसपी’ की मांग पर जोर
हरियाणा के Sonipat में किसान आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है। खनौरी बॉर्डर की ओर किसानों का जत्था रवाना हुआ, जबकि कई किसान ट्रेन से भी रवाना हुए। किसानों ने केंद्र सरकार से सवाल किया है, ‘जब आप वन नेशन, वन इलेक्शन की बात कर सकते हैं, तो वन नेशन, वन एमएसपी क्यों नहीं?’
खनौरी बॉर्डर पर भूख हड़ताल
सूत्रों के अनुसार, खनौरी बॉर्डर पर पहुंचे किसान एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे। इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि सरकार ने देश को जाति, धर्म, और समुदाय के आधार पर बांटने के साथ-साथ किसानों को भी विभाजित कर दिया है।
किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि उनके साथ वादाखिलाफी न की जाए। उन्होंने कहा, “सरकार हमें कमजोर न समझे। हम अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे।”
हरियाणा की खाप पंचायतें करेंगी महापंचायत
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए हरियाणा की खाप पंचायतें 29 दिसंबर को हिसार जिले के बास गांव में महापंचायत करेंगी। इसमें आंदोलन की अगली रणनीति तय की जाएगी।
11 सदस्यों की खाप कमेटी ने सभी किसान संगठनों को एकजुट होने की अपील की है। कमेटी ने केंद्र सरकार को 10 दिन का अल्टिमेटम दिया है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने किसानों से बातचीत शुरू नहीं की, तो अगला फैसला महापंचायत में लिया जाएगा।
जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी
15 दिसंबर को खाप कमेटी ने खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की। कमेटी ने डल्लेवाल से अनशन समाप्त करने की अपील की और कहा कि उन्हें “शहीद का दर्जा” दिया जाएगा। हालांकि, डल्लेवाल ने अनशन तोड़ने से इनकार कर दिया।
पंजाब में रेल पटरियां जाम, यात्री परेशान
पंजाब में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बुधवार, 18 दिसंबर को किसानों ने रेल पटरियां जाम कर दीं। दातासिंह वाला बॉर्डर पर अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल के समर्थन में यह कदम उठाया गया।
किसानों ने दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक रेल पटरियों को बाधित किया, जिससे दो एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ और यात्रियों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी।
शंभू बॉर्डर पर किसान की आत्महत्या
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, 14 दिसंबर को शंभू बॉर्डर पर एक 57 वर्षीय किसान रणजोध सिंह ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। वह किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत से परेशान थे।
रणजोध सिंह को राजिंदरा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन 18 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई। किसान नेताओं ने रणजोध सिंह के बलिदान को आंदोलन की मजबूती के प्रतीक के रूप में देखा है।