Uttar Pradesh
Mulayam Singh की पुण्यतिथि पर जानिए दिलचसप बातें, क्यों यादव जी ने साइकिल का सिंबल चुना
आज Mulayam Singh के निधन को दो साल हो गए हैं। वे समाजवादी पार्टी राजनीतिक समूह के संस्थापक थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई महत्वपूर्ण लोग आज उन्हें याद कर रहे हैं। Mulayam Singh यादव ने समाजवादी पार्टी के साथ विधानसभा के सदस्य बनकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और फिर उन्होंने 1992 में समाजवादी पार्टी बनाई। पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल है और साइकिल कैसे बनी, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। समाजवादी पार्टी बनने के बाद चुनाव आयोग ने मुलायम सिंह यादव को पार्टी के लिए चुनाव चिन्ह चुनने के लिए आमंत्रित किया।
विकल्पों में से एक साइकिल थी और जब मुलायम ने इसे देखा, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए इसे तुरंत चुन लिया। यह साइकिल समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह बन गई। मुलायम ने कहा कि पार्टी का झंडा और चुनाव चिन्ह हमेशा एक जैसा रहेगा। साइकिल उन्हें इतनी पसंद क्यों थी, इसके बारे में एक मजेदार कहानी है! राजनीति के बारे में बात करने वाले कुछ चतुर लोगों ने बताया कि Mulayam Singh यादव एक दोपहर अपने दोस्त के साथ उजयनी नामक गांव में थे। जब वे वहां थे, तो कुछ ग्रामीण ताश खेल रहे थे। खिलाड़ियों में से एक, लाला रामप्रकाश गुप्ता नामक आलू विक्रेता ने कहा कि कार्ड गेम के विजेता को रॉबिन हुड साइकिल नामक एक विशेष साइकिल मिलेगी। मुलायम को वास्तव में साइकिल चाहिए थी, इसलिए उन्होंने खेल खेला और जीत गए, और उन्हें साइकिल घर ले जाने का मौका मिला!
बहुत समय पहले, साइकिल और नेताजी के बीच एक विशेष संबंध था। जब वे कॉलेज में थे, तो वे इटावा पर अध्ययन करने के लिए लगभग 20 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय करते थे। तीन बार महत्वपूर्ण नेता बनने के बाद भी, मुलायम सिंह यादव नामक व्यक्ति 1977 तक साइकिल चलाते रहे। उस समय, साइकिल किसानों, गरीब लोगों, श्रमिकों और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए महत्वपूर्ण थी। साइकिल चलाना आसान था और इसमें ज़्यादा पैसे भी खर्च नहीं होते थे। साथ ही, यह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा था! इसलिए उन्होंने साइकिल को प्रतीक के रूप में चुना।
नेताजी ने राजनीति में वाकई अच्छा प्रदर्शन किया! 1967 में जब वे मात्र 28 वर्ष के थे, तब वे पहली बार विधानसभा के सदस्य चुने गए। फिर 1977 में वे जनता पार्टी में मंत्री बने। बाद में 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी नाम से एक नई पार्टी शुरू की। वे तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, यानी वे उस राज्य के नेता थे। उन्होंने एक अन्य सरकार में रक्षा मंत्री के रूप में भी काम किया।
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यूपी में बात नहीं बनी तो, Akhilesh ने महाराष्ट्र में कांग्रेस के सामने रख दी सीटों की बड़ी डिमांड
समाजवादी पार्टी के नेता Akhilesh Yadav का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जानबूझकर मिल्कीपुर में चुनाव टाले हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे हार जाएंगे। उनका कहना है कि भाजपा ने चुनाव प्रक्रिया में शामिल कुछ महत्वपूर्ण लोगों को बदल दिया और पिछड़े और दलित समुदायों जैसे कुछ समूहों का समर्थन करने वालों को हटा दिया। उनकी संभावनाओं की जांच करने के बाद, मुख्यमंत्री ने पाया कि वे हारने की संभावना रखते हैं, इसलिए उन्होंने चुनाव टालने का फैसला किया।
अखिलेश यादव को लगता है कि भाजपा चुनाव कराने के लिए अदालत और चुनाव आयोग में जाकर बुरा दिखने से बचने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि अगर वे दो दिनों में इसे नहीं सुलझाते हैं, तो चुनाव शायद ही हो। वह उनसे अदालत से अपना अनुरोध जल्दी वापस लेने के लिए कह रहे हैं। अखिलेश यादव कह रहे हैं कि सरकार में शामिल लोगों, जिन्हें भाजपा कहा जाता है, ने अच्छे काम करने के बजाय समस्याएं पैदा करने और अन्याय करने में बहुत समय बिताया। अब वे एक नया कन्वेंशन सेंटर बनाने की बात कर रहे हैं, लेकिन अखिलेश को लगता है कि उन्हें जाने का समय आ गया है क्योंकि उन्होंने सत्ता में रहते हुए पर्याप्त अच्छे काम नहीं किए हैं। अखिलेश यादव, जो कभी प्रदेश के नेता हुआ करते थे, ने कहा कि बहराइच में हुए कार्यक्रम के दौरान जिम्मेदार लोगों ने अपना काम ठीक से नहीं किया।
उन्होंने कहा कि वे हमेशा कहते हैं कि वे बुरी चीजों को होने से रोकना चाहते हैं, लेकिन जब कोई बड़ा कार्यक्रम चल रहा था, तो सभी को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त पुलिस नहीं थी। उनका मानना है कि जिम्मेदार लोग और पुलिस सभी के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि जयंती मनाने के लिए समाजवादी पार्टी ने वाल्मीकि समुदाय के लिए छुट्टी कर दी है। वे अभी भी इस बारे में बात करते हैं कि अपने समुदाय के लोगों को नौकरी कैसे दिलवाई जाए। उनका मानना है कि उन्हें मदद मिलनी चाहिए, लेकिन सरकार पर्याप्त मदद नहीं कर रही है। जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी, तो वे यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि वाल्मीकि समुदाय को नौकरी और सम्मान मिले। समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि वे कल महाराष्ट्र जा रहे हैं, ताकि भारतीय गठबंधन को जीत दिला सकें। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए और सीटें मांगी हैं, ताकि उन्हें पहले से ज्यादा सीटें मिल सकें। अखिलेश ने वादा किया कि वे अखिल भारतीय गठबंधन का भरपूर समर्थन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे जल्द ही उत्तर प्रदेश में चुनाव स्थलों को बांटने पर निर्णय लेंगे।
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UP में 150 एनकाउंटर कर चुका ये पुलिस वाला, फ़िल्मी परदे पर भी दिखेगा जलवा, रियल सिंघम
UP के बहराइच में एक त्यौहार के दौरान कुछ गड़बड़ हो गई, जहाँ लोग पानी में मूर्तियाँ डालकर जश्न मना रहे थे। इस परेशानी की वजह से पुलिस को आगे आना पड़ा और चीज़ों को सुरक्षित रखना पड़ा। अमिताभ यश नाम के एक पुलिस अधिकारी को लोगों को परेशान करने के लिए दौड़ते हुए देखा गया। वह अब यूपी में काफी मशहूर हो चुके हैं और उनके बारे में एक फिल्म भी बन चुकी है! जियो स्टूडियो द्वारा बनाई गई यह फिल्म उनके और ददुआ नामक व्यक्ति के बीच लड़ाई की कहानी बताती है और इसे इस सप्ताह MAMI नामक फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जाएगा। मूल रूप से, फिल्म का नाम “यश” था और इरफान खान नामक एक प्रसिद्ध अभिनेता ददुआ की भूमिका निभाने वाले थे। आइए अमिताभ यश के बारे में और जानें!
अमिताभ यश बिहार नामक जगह से एक विशेष पुलिस अधिकारी हैं। वह भोजपुर नामक जिले में पले-बढ़े हैं। उनके पिता, रामयश सिंह भी एक पुलिस अधिकारी थे और एक उच्च पदस्थ अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त होने तक उन्होंने कड़ी मेहनत की। अभी, अमिताभ उत्तर प्रदेश नामक जगह में एक महत्वपूर्ण पुलिस नेता हैं, जहाँ वह चीजों को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने में मदद करते हैं। उनका जन्म 11 अप्रैल 1971 को हुआ था और बचपन से ही उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ बहुत समय बिताया। उन्होंने पुलिस स्टेशन में ही पढ़ाई की और खाना भी खाया, जिससे उन्हें छोटी उम्र से ही पुलिस की नौकरी से जुड़ाव महसूस हुआ। अमिताभ यश ने बहुत मेहनत की और खूब पढ़ाई की।
उन्होंने जो कुछ भी सीखा, उसकी वजह से वे यूपीएससी नामक बड़ी परीक्षा पास करने में सफल रहे और आईपीएस अधिकारी बन गए, जो पुलिस में एक खास नौकरी है। स्कूल खत्म करने के बाद अमिताभ और भी सीखने के लिए दिल्ली चले गए। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज नामक एक प्रसिद्ध स्कूल से स्नातक किया। फिर, वे आगे की पढ़ाई के लिए आईआईटी कानपुर नामक जगह चले गए। बहुत समय पहले, 1996 में अमिताभ यश नाम के एक व्यक्ति ने पुलिस अधिकारी बनने के लिए एक बड़ी परीक्षा पास की। दो साल बाद, उन्होंने उत्तर प्रदेश नामक जगह पर पुलिस के लिए काम करना शुरू कर दिया। उनकी पहली नौकरी संत कबीर नगर नामक एक कस्बे में थी। 11 महीने बाद, वे बाराबंकी नामक दूसरी जगह चले गए। उसके बाद उन्होंने हरदोई, जालौन, सहारनपुर, महाराजगंज, सीतापुर, बुलंदशहर, नोएडा और कानपुर जैसे कई अलग-अलग शहरों में काम किया।
2007 में, उन्होंने STF नामक एक विशेष पुलिस टीम के नेता के रूप में एक नई नौकरी शुरू की। इस दौरान, उन्होंने ददुआ नामक एक बहुत ही खतरनाक अपराधी को पकड़ने में मदद की, जो वास्तव में बहुत बुरा था क्योंकि उसने बहुत से लोगों को चोट पहुँचाई थी – 150 से भी ज़्यादा! ददुआ का असली नाम शिव कुमार पटेल था और वह 30 साल तक चंबल नामक जगह पर बहुत ही खौफनाक होने के लिए जाना जाता था। यहाँ तक कि बड़े-बड़े लोग भी उससे डरते थे। 2017 में, वह STF में उच्च पद पर आसीन हो गया और 2021 तक उसे और भी बड़ी नौकरी मिल गई। इसी साल जनवरी में, उसे यूपी नामक जगह में ADG लॉ एंड ऑर्डर नामक एक नया पद दिया गया।
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अयोध्या की Milkipur सीट पर फंसा हुआ था पेंच, बाबा गोरखनाथ वापस लेंगे याचिका
उत्तर प्रदेश में 10 ऐसी जगहें हैं, जहां लोगों को वोट डालना है, क्योंकि वे जगहें खाली हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि वे इनमें से 9 जगहों के लिए मतदान की तारीखें साझा करेंगे, लेकिन उन्होंने अयोध्या में मिल्कीपुर नामक एक जगह के बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा है। Milkipur पर सभी की नज़र है, क्योंकि वहाँ 2022 के चुनाव के नतीजों को लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है। ताज़ा खबर यह है कि बाबा गोरखनाथ नाम के एक व्यक्ति ने मिल्कीपुर में चुनाव रोकने वाले मामले को खत्म करने के लिए आज कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
बाबा गोरखनाथ Milkipur के प्रतिनिधि हुआ करते थे, लेकिन 2022 में चुनाव हार गए। उन्हें विजेता अवधेश प्रसाद से परेशानी थी, उनका दावा था कि अवधेश ने चुनाव लड़ने के लिए नामांकन करते समय नियमों का पालन नहीं किया। शिकायत में कहा गया है कि अवधेश के कागजात की जाँच करने वाले व्यक्ति के पास उस समय वैध लाइसेंस नहीं था। हाईकोर्ट का कहना है कि दस्तावेजों की जाँच करने वाले व्यक्ति के पास वैध लाइसेंस होना चाहिए।
पिछले चुनाव में सपा नामक समूह से जुड़े अवधेश प्रसाद नामक व्यक्ति ने भाजपा के बाबा गोरखनाथ नामक व्यक्ति को करीब 13,000 वोटों से हराया था। अब जब भाजपा नेता अपनी शिकायत वापस ले लेंगे, तो हमें आगामी चुनाव के बारे में और जानकारी मिल जाएगी। उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर विशेष चुनाव होंगे। जिन स्थानों पर लोग मतदान करेंगे, वे हैं कटेहरी, करहल, मीरापुर, गाजियाबाद, मझवां, सीसामऊ, खैर, फूलपुर और कुंदरकी। सरकार 18 अक्टूबर को चुनाव के बारे में सभी को बताएगी। जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं, वे 25 अक्टूबर तक नामांकन कर सकते हैं। उसके बाद, अधिकारी 28 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच करेंगे। अगर कोई अपना मन बदलना चाहता है, तो वह 30 अक्टूबर तक ऐसा कर सकता है। 13 नवंबर को मतदान होगा और विजेताओं की घोषणा 23 नवंबर को की जाएगी।
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