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अकाल तख्त ने समलैंगिक विवाह कराने पर बठिंडा गुरुद्वारा के ग्रंथी को अयोग्य ठहराया

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अमृतसर : अकाल तख्त ने पिछले महीने गुरुद्वारा में समलैंगिक विवाह कराने वाले बठिंडा गुरुद्वारा के ग्रंथी को धार्मिक सेवा के लिए अयोग्य ठहराया है। अमृतसर में सोमवार को ‘पंज सिंह साहिबान’ (पांच सिख धर्मगुरु) की एक बैठक के बाद सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त के जत्थेदार ने इस निर्णय की घोषणा की। बठिंडा जिले के गुरुद्वारा कलगीधर साहिब में 18 सितंबर को दो महिलाओं ने ‘शादी’ कर ली। इसके बाद अकाल तख्त ने गुरुद्वारे के ‘ग्रंथियों’ (सिख पुजारी), प्रबंधन और ‘रागियों’ को निलंबित कर दिया था।

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सोमवार को कहा था कि सिख धर्म में समलैंगिक विवाह के लिए कोई जगह नहीं है और ग्रंथी को धार्मिक सेवा से अयोग्य ठहराया गया है। सिख आचार संहिता ‘ सिख रहत मर्यादा’ के उल्लंघन के लिए गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी हरदेव सिंह, ग्रंथी अजायब सिंह, रागी सिकंदर सिंह और तबला वादक सतनाम सिंह को पांच वर्षों के लिए काली सूची में डाला गया है।

जत्थेदार ने कहा कि ये लोग किसी भी गुरुद्वारे या धार्मिक कार्यक्रम में किसी तरह की धार्मिक सेवा देने के लिए पात्र नहीं होंगे। बठिंडा गुरुद्वारे की प्रबंधन समिति के सदस्यों को किसी भी अन्य गुरुद्वारे में कोई पद धारण करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। अकाल तख्त का यह फैसला समलैंगिक विवाह पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से एक दिन पहले आया। उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला देते हुए समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने यह भी कहा कि इस बारे में कानून बनाने का काम संसद का है।

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