Uttar Pradesh
सीएम योगी का ‘धर्म’ कार्ड: UP में 2027 के चुनावी रण की तैयारियां तेज
UP में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सियासी हलचल तेज हो गई है, और इस बार के चुनावी एजेंडे में धर्म एक बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है। ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के बयान के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर से संभल हिंसा और बांग्लादेश का जिक्र करते हुए बाबर और डीएनए के संदर्भ में बयान देकर सियासी पारा और बढ़ा दिया है। इस बयान को 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के एजेंडे से जोड़कर देखा जा रहा है, और यह साफ संकेत है कि यूपी का अगला चुनाव भी धर्म और सनातन के कार्ड पर लड़ा जाएगा।
हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनेगा यूपी
सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी को हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है और अब वह 403 विधानसभा सीटों में से हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही, आगामी चुनाव का एजेंडा भी तैयार हो चुका है। सीएम योगी ने अयोध्या में रामकथा पार्क में रामायण मेले के उद्घाटन के दौरान कहा कि, “500 साल पहले बाबर के आदमी ने अयोध्या में क्या किया था, वही हाल संभल और बांग्लादेश में हो रहा है। इन घटनाओं की प्रकृति और इसमें शामिल लोगों का डीएनए एक जैसा है।” इस बयान के जरिए उन्होंने हिंदू वोटों को एकजुट करने की कोशिश की और साफ किया कि आगामी चुनाव में उनकी रणनीति बहुसंख्यक हिंदू वोटों के सहारे चुनावी रण में उतरने की होगी।
बीजेपी बनाम समाजवादी पार्टी: धर्म और PDA की जंग
जहां बीजेपी धर्म कार्ड का इस्तेमाल कर चुनावी राजनीति में बढ़त बनाने की कोशिश कर रही है, वहीं समाजवादी पार्टी अपनी रणनीति में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) के वोटों को एकजुट करने की दिशा में काम कर रही है। हालांकि, इस बीच समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच मुस्लिम वोटों को लेकर खींचतान भी शुरू हो गई है। हाल ही में संभल को लेकर सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कांग्रेस पर हमला बोला, जिसके बाद राहुल-प्रियंका गांधी 4 दिसंबर को संभल के लिए निकल पड़े।
समाजवादी पार्टी यह नहीं चाहती कि अल्पसंख्यक और संभल जैसे मुद्दों पर कांग्रेस कोई बढ़त बना ले। ऐसे में, अखिलेश यादव भी अल्पसंख्यकों के साथ-साथ दलित वर्ग को आगे बढ़ा रहे हैं। यह साफ हो गया है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में यूपी की सियासत धर्म और PDA के खेमों में बंटी नजर आएगी।